सिनेमा के ट्रेजडी किंग दिलीप कुमार का फर्श से अर्श तक का सफर...

actor-dilip-kumar-life-struggle-journey
हेमा पंत । Dec 11 2018 5:00PM

भारतीय सिनेमा में ट्रेजडी किंग के नाम से मशहूर दिलीप कुमार एक महान लोकप्रिय अभिनेता है। हिन्दी सिनेमा में करीब पांच दशक तक अपना जलवा बिखरने वाले दिलीप जी बॉलीवुड जगत के एक सदाबहार अभिनेता है।

भारतीय सिनेमा में ट्रेजडी किंग के नाम से मशहूर दिलीप कुमार एक महान लोकप्रिय अभिनेता है। हिन्दी सिनेमा में करीब पांच दशक तक अपना जलवा बिखरने वाले दिलीप जी बॉलीवुड जगत के एक सदाबहार अभिनेता है। हर सीन में अपनी मार्मिक एक्टिंग के चलते वह हर किसी को अपना दिवाना बना लेते थे। भारतीय सिनेमा के गोल्डन इरा के समय दिलीप जी एक उभरते हुए अभिनेता थे। 

दिलीप कुमार का जन्म 11 दिसंबर 1922 में पाकिस्तान के पेशावर में हुआ था। उनका असली नाम मोहम्मद युसुफ खान था।  हिन्दी सिनेमा में अपने कदम रखने के बाद इन्होनें अपना नाम दिलीप कुमार रख लिया था। बता दें कि दिलीप कुमार जी के 12  भाई-बहन थे। उनके पिता फल बेचकर अपना घर चलाते थे।

1930 में दिलीप जी का पूरा परिवार मुंबई में आकर रहने लगा था। 1940 में अपने पिता से मतभेद के चलते दिलीप जी ने मुंबई वाला घर छोड़ दिया और पुणे चले गये थे। यहां उनकी मुलाकात एक कैनटीन के मालिक ताज मोहम्मद शाह से हुई जिनकी मदद से दिलीप जी ने आर्मी कल्ब में एक सैंडविच स्टॉल लगा लिया। कैनटीन का कान्ट्रैक्ट खत्म होने के बाद दिलीप जी पांच हजार रुपये जोड़कर पुणे से वापस अपने घर मुंबई लौट गये थे।

दिलीप कुमार ने बॉलीवुड जगत में 1940  में अपना कदम रखा था। इस समय हिन्दी सिनेमा अपने शुरुआती दौर में था। इसके बाद अपने पिता की आर्थिक मदद के लिए दिलीप जी ने नया काम तलाशना शुरु कर दिया था। इस फिल्ड में उन्हें आने का मौका उनके भाग्य ने दिया था। साल 1943 में चर्च के स्टेशन में दिलीप जी की मुलाकात डॉ मसानी से हुई थी।

डॉ मसानी ने दिलीप जी को  बाम्बे टॉकिस में काम करने का मौका दिया। इसके बाद दिलीप जी की मुलाकात बाम्बे टॉकिस की मालकिन देविका रानी से हुई जिनके साथ दिलीप जी ने 12,50 रुपये सालान का agreement कर लिया। यहां महानवेदा अशोक कुमार जी से दिलीप जी का परिचय हुआ, जो दिलीप जी की एक्टिंग से बेहद मोहित हुए थे।

 शुरुआत में दिलीप जी कहानी और स्क्रिप्ट लेखन में मदद किया करते थे, क्योंकि उर्दू और हिन्दी भाषा में दिलीप जी की अच्छी पकड़ थी। देविका रानी जी के कहने पर ही दिलीप जी ने अपना नाम युसुफ से बदलकर दिलीप रखा था। इसके बाद साल 1944 में दिलीप जी को फिल्म 'ज्वार भाटा' में बतौर लीड एक्टर का रोल मिला था। हालांकि यह फिल्म अपना जादू चलाने में कामायाब नही हो पायी और एक फ्लाप फिल्म बनकर रह गयी ।

इसके बाद दिलीप जी ने फिल्म 'जुगनू' में  बतौर एक्टर काम किया। यह फिल्म बड़े पर्दे पर सफल रही और  दिलीप जी रातो - रात एक सुपरस्टार बन गये थे । इसके बाद दिलीप जी को कई फिल्मो के ऑफर भी मिलने लगे थे। 

साल 1949 में दिलीप जी को राज कपूर और नरगिस के साथ फिल्म ' अंदाज' में काम करने का मौका मिला । यह फिल्म उस समय की सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्म थी। 1950 का दशक हिन्दी सिनेमा के लिए बेहद उपयोगी साबित हुआ था । क्योंकि इस समय दिलीप जी की ट्रेजडी किंग की छवि धीरे-धीरे सबके सामने आने लगी थी। दाग जैसी बेहतरीन फिल्म के चलते लोग इन्हें ट्रेजडी किंग कहने लगे थे ।

इस फिल्म के  लिए दिलीप जी को पहली बार फिल्मफेयर बेस्ट एक्टर अवार्ड भी मिला था। इसके बाद देवदास जैसी महान फिल्म में दिलीप जी ने एक शाराबी लवर का रोल अदा करके दोबारा अपनी एक्टिंग का लोहा मनवा लिया था । दिलीप जी को इस रोल के लिए बेहद सरहाया गया था।  दिलीप कुमार ने इसके अलावा कुछ हल्के - फुल्के रोल भी किये है । आन और आजाद जैसी फिल्मों में उन्होनें कॉमेडी की पचास के दशक तक दिलीप जी हिन्दी सिनेमा में एक महानायक के रुप में अपनी छवि बना चुके थे। इसके बाद साल 1960 में दिलीप कुमार ने फिल्म ' कोहिनूर ' में लीड रोल निभाया था। इस फिल्म के लिए उन्हें फिल्मफेयर का अर्वाड भी मिला था।

लगभग दो दशक तक सिनेमा में राज करने के बाद 70 के दशक में अभिताभ और राजेश खन्ना जैसे कलाकारो की हिन्दी सिनेमा में एंट्री होने के बाद दिलीप जी को फिल्मो के ऑफर मिलने कम हो गये थे। इस समय दिलीप जी कि जीतनी भी फिल्में बड़े पर्दे पर आयी थी ,वह असफल रही ।

फिर दिलीप जी ने बॉलीवुड से पांच साल का लम्बा ब्रेक लिया था । इसके बाद साल  1981 में मल्टीस्टार फिल्म ' क्रांति 'से धमाकेदार वापसी की । इसके बाद साल 1991में आयी फिल्म सौदागर दिलीप कुमार की एक बड़ी हिट फिल्म थी। इसके बाद वह 1998 में फिल्म ' किला ' में नजर आये। दिलीप जी ने अभिनेता के रुप में बॉलीवुड इंडस्ट्री से सन्यास ले लिया था।  दिलीप जी को भारत सरकार द्वारा पदम विभूषण से भी नवाजा गया है। साथ ही में दिलीप जी को दादा साहब फाल्के अवार्ड से भी सम्मानित किया गया है।

दिलीप जी को सबसे ज्यादा अर्वाड मिलने के कारण उनका नाम गिनीज बुक में शामिल किया गया है। साल 1966 में उन्होनें बॉलीवुड इंडस्ट्री की बेहद खूबसूरत और मशहूर अदाकार सायरा बानो से निकाह कर लिया था। दोनो के बीच उम्र का अंतर उस समय चर्चा का विषय बना हुआ था। कहा जाता है कि यह कपल बॉलीवुड जगत का सबसे हसीन जोड़ा है। इनके बीच आज भी प्यार की कोई कमी नहीं है।

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़