15 बार बेस्ट प्ले बैक सिंगर के लिए नॉमिनेट अनुराधा पौडवाल की जिंदगी का सच

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[email protected] । Oct 27 2018 12:46PM

ये कहानी है एक ऐसी गायिका की जो दरअसल फिल्मों में गाना ही नही चाहती थी। लेकिन जब गाया तो उन्होनें बॉलीवुड जगत में वो मुकाम हासिल किया जो किसी अन्य गायिका के लिए हासिल करना तकरीबन नामुमकिन था।

ये कहानी  है एक ऐसी गायिका की जो दरअसल फिल्मों में गाना ही नही चाहती थी। लेकिन जब गाया तो उन्होनें बॉलीवुड जगत में वो मुकाम हासिल किया जो किसी अन्य गायिका के लिए हासिल करना तकरीबन नामुमकिन था। हम बात कर रहे है 90 की दशक की मशहूर संगीतकार अनुराधा पौडवाल की । बचपन से ही संगीत अनुराधा पौडवाल की रगो में बह रहा था। लेकिन अनुराधा पौडवाल के पिता का मानना था कि इज्जतदार घरों की लड़कियां बॉलीवुड का हिस्सा नहीं बनती है। अनुराधा पौडवाल के  पिता इनकी शादी के लिए बेहद चिंतित रहते थे। लेकिन जैसै -जैसे अनुराधा पौडवाल के  पिता की  अरुण  पौडवाल  से मुलाकात बढ़ती गयी फिर दोनों की शादी के लिए हामि भी दी गई। इन दोनों के बीच करीबन 10 साल का अतंर है । अरुण  पौडवाल  दरअसल फिल्मों में दादा बरमन के साथ काम कर चुके थे। अनुराधा पौडवाल को उनके पति नें ही प्ले बैक सिंगिग के लिए प्रशिक्षित किया था। 

दरअसल अरुण एक बार अनुराधा को लता जी के रिकार्डिंग में लेकर गये थे तब अनुराधा ने लता जी की रिकार्डिंग बड़े ध्यान से सुनी थी। फिर अनुराधा ने  वहीं गाना आकाशवाणी के युवा वाणी प्रोग्राम में गाया था। जिसके बाद लता जी के छोटे भाई हृदयनाथ मंगेशकर,संगीतकार जोड़ी लक्ष्मीकांत प्यारे लाल और भी कुछ बड़े चुनिंदा म्यूजिक डायरेक्टरस ने रेडियो स्टेशन पर फोन किया और पूछा 'कि'यह लड़की कौन थी जो अभी गाना गाकर गयी है ।उन्हें बताया गया कि वह तो अलका नन्दकरनी है ।दरअसल अनुराधा पौडवाल  का असली नाम अलका नन्दकरनी था। और उस समय एस डी बरमन 'अभिमान फिल्म का म्यूजिक दे रहे थे, जिसमें उनके सहायक के रुप में अरुण पौडवाल थे। तब बरमन ने अनुराधा से कहा कि तुम्हें एक श्लोक गाना होगा । इसके बाद अनुराधा  की आवाज में वह श्लोक रिकार्ड किया गया और इसी से अनुराधा ने फिल्म अभिमान से बॉलीवुड में डेब्यू किया।

अनुराधा लता जी से बहुत मुतासिर थी। वह हमेशा लता जी के गाने उन्हीं के सुर में गाने की कोशिश करती थी। जिसकी वजह से इनकी आवाज पर गहरा असर पड़ा था । कुछ समय बाद अनुराधा की तबीयत बेहद खराब हो गयी थी । जिसकी वजह से इनकी आवाज तकरीबन गायब हो गयी थी  ।लेकिन जब इनकी आवाज वापस आयी तब जैसै मानो चमत्कार ही हो गया और इनकी आवाज में एक अजब सुरीलापन पैदा हो चुका था । अनुराधा को उत्सव फिल्म के मेरे मन बाजे मृदंग के गाने के लिए पहला अवार्ड मिला था।

दरअसल एक बार लक्ष्मीकांत प्यारे लाल जी ने एक गाना बनाया था तू मेरा जानू है इस गाने को अनुराधा ने डब किया था । लेकिन इस गाने को लिए लक्ष्मीकांत प्यारे लाल  जी ने  पहले ही एकदम साफ कर दिया था कि यह गाना सिर्फ लता जी ही गाएंगी । तब अनुराधा ने लक्ष्मीकांत प्यारे लाल  जी  से कहा कि आप मुझे इस गाने को गाने का मौका तो दे। तो उन्होनें साफ इंकार कर हिया था। तब अनुराधो ने कहा कि मैं तो यह गाना डब करने जा रही हूं । अनुराधा  ने यह गाना पहले ही टेक में डब कर दिया था। गाना इतना सुरीला गया था कि फिर यह गाना उन्हीं की आवाज में रखा गया था।

लता जी अत्यंत व्यस्त रहती थी । उनके लिए जो गायिका गाने डब करती थी कभी - कभी उनकी आवाज में वही गाने रिकार्ड में रख लिए जाते थे। लेकिन अनुराधा को अपनी अससी सफलता तो तब मिली जब उन्होनें आशिकी फिल्म में गाना गाया था । गुलशन कुमार भारतीय म्यूजिक इंडस्ट्री को परिवर्तित कर रहे थे और उस परिवर्तन की आवाज बनकर उभरी थी अनुराधा पौडवाल । गुलशन कुमार के साथ अनुराधा पौडवाल  की जोड़ी ऐसी जमी की फिर टी-सीरीज और अनुराधा पौडवाल  दोनों ने ही पलट कर कभी भी नहीं देखा  । अनुराधा पौडवाल ने करीब दस साल से भी ज्यादा टी-सीरिज के लिए काम किया था।

दिल है की मानता नहीं , सड़क , आशिकी के लिए अनुराधा पौडवाल  को तीन फिल्मफेयर अवार्ड भी मिले । साथ ही में भारत सरकार द्वारा अनुराधा पौडवाल को पदमश्री अवार्ड से सम्मानित किया जा चुका है ।यह गाने उस समय के सबसे मशहूर गानो में से एक थे । अनुराधा पौडवाल  इसके बाद सफलता के शिखर पर पहुंच गयी थी । अपनी बेहतरीन आवाज की वजह से अनुराधा पौडवाल को अगला लता मंगेशकर कहा जाने लगा था । । लेकिन कहते है न खुशी को नजर लगते देर नहीं होती , और हुआ भी कुछ ऐसा ही । इसी दौरान अनुराधा के पति की तबीयत बेहद खराब चल रही थी ।फिर साल 1983 में  अनुराधा  ने अपना बच्चा खो दिया था । इसके बाद उनके पति का भी देहांत हो गया था । सन् 1957 गुलशन कुमार जी की हत्या हो गयी थी जिसका असर  पूरी फिल्म इंडस्ट्री और टी- सीरिज से जुड़े बहुत से कलाकारो  पर पड़ा था । जिसमे एक नाम अनुराधा पौडवाल   का भी था । इसके बाद अनुराधा पौडवाल  धीरे- धीरे भक्ति संगीत की तरफ बढ़ने लगी । इन्होनें संस्कृत में शिव महिमा भी गायी है । 

अनुराधा ने बॉलीवुड गानो और भजनों के अलावा बंगाली , पंजाबी , तमिल , तेलुगु , मराठी , उड़िया और नेपाली जैसी तमाम भाषाओं में भी गाने गाए है ।  आज भी इनके गाने रिमिक्स किए जाते है । बॉलीवुड की अदाकारा माधुरी दिक्षित हो या पूजा भट्ट सभी के लिए इनकी आवाज का इस्तेमाल किया गया । यकीनन भारतीय सिनेमा के इतिहास में अनुराधा पौडवाल  वो गायक बनकर उभरी जिनकी जगह पाने के लिए आज भी बहुत सी गायिका बेताब है ।  न भूल पाएगा जमाना जिसे करती है हर दिल पर राज , , ऐसी थी अनुराधा पौडवाल की आवाज 

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