कायम है रेखा का जलवा, जानिये अमिताभ के साथ कैसे शुरू हुई ''लव लाइफ''
फिल्म अभिनेत्री रेखा की बात करें तो अमिताभ बच्चन के साथ उनकी जोड़ी और उनके साथ रोमांस के किस्से नजरों के सामने दौड़ जाते हैं। वाकई यह जोड़ी बड़े पर्दे पर सर्वाधिक जमने वाली जोड़ियों में से एक थी।
पुराने जमाने की जिन अभिनेत्रियों का आज तक बड़े पर्दे पर जलवा कायम है उनमें हेमा मालिनी के अलावा रेखा का नाम प्रमुख है। खास बात यह है कि इन दोनों ही अभिनेत्रियों का जन्मदिन भी एक सप्ताह के अंतराल पर ही पड़ता है। रेखा की बात करें तो अमिताभ बच्चन के साथ उनकी जोड़ी और उनके साथ रोमांस के किस्से नजरों के सामने दौड़ जाते हैं। वाकई यह जोड़ी बड़े पर्दे पर सर्वाधिक जमने वाली जोड़ियों में से एक थी। यश चोपड़ा के निर्देशन में बनी फिल्म 'सिलसिला' से ही इनके अफेयर का सिलसिला शुरू हुआ था और इसको लेकर आज भी कई किस्से कहे जाते हैं। यही नहीं रेखा का जन्मदिन भी अमिताभ बच्चन से ठीक एक दिन पहले ही पड़ता है।
रेखा को जीवन में लगभग शुरू से ही अकेलेपन का सामना करना पड़ा। बचपन में पैसे की कमी के कारण रेखा यानी भानुरेखा गणेशन को 12 साल की उम्र में तेलुगू फिल्म में मजबूरी में काम करना पड़ा। तब से उन्होंने अभिनय छोड़ा नहीं और आज तक बड़े पर्दे पर अपना जलवा बिखेरे हुए हैं। बॉलीवुड में ऐसे कम ही लोग हैं जोकि पिछले चार दशक से लोगों के दिलों पर राज कर रहे हैं।
रेखा ने हिंदी फिल्मों में अपना कैरियर फिल्म 'सावन भादो' से शुरू किया था। इस फिल्म में उनके हीरो नवीन निश्चल थे। यह फिल्म कुछ खास नहीं चली और लोगों ने रेखा को नोटिस नहीं किया लेकिन रेखा ने हार नहीं मानी और पूरी प्रतिबद्धता के साथ बॉलीवुड में जमी रहीं। आखिरकार उन्हें तब सफलता मिली जब 1976 में फिल्म 'दो अनजाने' प्रदर्शित हुई। इस फिल्म ने उनकी प्रसिद्धि को बुलंदियों पर पहुंचा दिया। साथ ही इस फिल्म में अमिताभ बच्चन के साथ उनकी जोड़ी को काफी सराहा गया तथा इस जोड़ी के बारे में तरह−तरह की चर्चाएं भी चल पड़ीं।
रेखा को अभिनय विरासत में मिला। उनके पिता जैमिनी गणेशन और मां पुष्पवल्ली भी अभिनय के क्षेत्र से ही थे। उनके पिता जहां तमिल फिल्मों के जाने माने अभिनेता थे वहीं मां तेलुगू फिल्मों की प्रसिद्ध अभिनेत्री थीं। उनका जन्म 10 अक्तूबर 1954 को तत्कालीन मद्रास में हुआ था। मुजफ्फर अली की फिल्म 'उमराव जान' ने तो रेखा को बॉलीवुड में पूरी तरह स्थापित ही कर दिया। इस फिल्म में उनका हुस्न और अभिनय दोनों शबाब पर था जिसका जादू अभी तक लोगों के सिर चढ़ कर बोलता है।
रेखा को एकाकी स्वभाव वाली महिला माना जाता है। उन्हें अकेला रहना पसंद है और वह पार्टियों और समारोहों से भी अपने को अकसर दूर ही रखती हैं। रेखा ऐसी सहज अभिनेत्री हैं जो बहुत जल्द ही अपने किरदार में ढल जाती है। रेखा को राज्यसभा के लिए मनोनीत किया गया था जहां उनका कार्यकाल इस वर्ष पूरा हो गया। हालांकि वह इस बात के लिए निशाने पर रहीं कि सदन में वह बहुत ही कम दिखीं।
For our generation and even for today’s youth #Rekha is eternal diva. I attended IIFA award function & was lucky enough to be entertained by her performance. She is like a vintage wine with the capacity of intoxicating 3 generation with the same vigour. Happy birthday
— Amar Singh MP (@AmarSinghTweets) October 10, 2018
रेखा की सफल फिल्मों की बात की जाये तो उनमें 'कहानी किस्मत की', 'नमक हराम', 'प्राण जाए पर वचन न जाए', 'मुकद्दर का सिकंदर', 'खूबसूरत', 'सिलसिला', 'विजेता', 'उत्सव', 'खून भरी मांग', 'जुबेदा', 'भूत' और 'कृष' प्रमुख रूप से शुमार हैं। फिल्म 'उमराव जान' में सर्वश्रेष्ठ अभिनय के लिए रेखा राष्ट्रीय पुरस्कार से भी सम्मानित की जा चुकी हैं।
- प्रीटी
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