पुण्यतिथि विशेष- जब रोते रोते किशोर दा की आवाज हो गई सुरीली...
रूपहले पर्दे पर चमकने वाले सितारों की बात करें तो इनमें किशोर कुमार की पहचान सबसे चमकदार सितारे के तौर पर होती है। शानदार अभिनेता, सुरीले गायक, उम्दा निर्माता निर्देशक, कुशल पटकथा लेखक और बेहतरीन संगीतकार के तौर पर किशोर को एक संपूर्ण कलाकार कहा जा सकता है।
रूपहले पर्दे पर चमकने वाले सितारों की बात करें तो इनमें किशोर कुमार की पहचान सबसे चमकदार सितारे के तौर पर होती है। शानदार अभिनेता, सुरीले गायक, उम्दा निर्माता निर्देशक, कुशल पटकथा लेखक और बेहतरीन संगीतकार के तौर पर किशोर को एक संपूर्ण कलाकार कहा जा सकता है। हर तरह के गीतों, चाहे वह दर्द भरे गीत हों या रूमानियत से भरे प्रेमगीत, हुल्लड़ वाले जोशीले नगमे हों या संजीदा गाने उनकी आवाज ने बहुत से गीतों को यादगार बना दिया। उन्होंने हिंदी के अलावा और भी बहुत सी भाषाओं में गीत गाए। उनके अभिनय और निर्देशन को भी लाजवाब माना जाता है। हास्य अभिनय में किशोर कुमार अपने आप में अनूठे और बेजोड़ थे। इस महान कलाकार ने 13 अक्टूबर 1987 को इस दुनिया को अलविदा कहा।
वो एक्टर, सिंगर, डायरेक्टर, प्रोड्यूसर, म्यूजिक डायरेक्टर, और सबसे बढ़कर एक कमाल की शख्सियत थे। उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री को कई सदाबहार क्लासिक दिए, जिसे सुनकर आज भी हर कोई मदहोश हो जाता है। मेरे मेहबूब...', 'आ चल के तुझे...', 'आने वाला पल...', 'बचना ए हसीनो...' आदि सैंकड़ों गीत आज भी बड़े चाव से सुने जाते हैं। किशोर कुमार ने कुछ फिल्मों का निर्देशन भी किया, जिनमें 'चलती का नाम जिंदगी', 'बढ़ती का नाम दाढ़ी', 'दूर का राही', 'दूर गगन की छांव में' प्रमुख हैं। उन्हें 8 बार बेस्ट सिंगर के फिल्मफेयर अवॉर्ड से नवाजा गया था। किशोर कुमार की आवाज एक ऐसी आवाज थी जिसने कई स्टार्स को सुपरस्टार बनाया। मस्तमौला अंदाज वाले किशोर के जन्मदिन पर आइए जानते है उनसे जुड़े कुछ मजेदार और अनसुने किस्से।
रोते रोते आवाज हो गई सुरीली
किशोर कुमार की आवाज को लेकर एक बहुत ही मजेदार कहानी है कहते है की बचपन में किशोर दा की आवाज बहुत ही खराब थी। आज दिलो पर राज करने वाले किशोर दो उस टाइम बिल्कुल बेसुरे थे।उनके बड़े भाई अशोक कुमार ने एक इंटरव्यू में इस बात का खुलासा करते हुए कहा था कि बचपन में किशोर की आवाज फटे बांस जैसी थी, लेकिन एक बार उनका पांव सब्जी काटने वाली दराती पर पड़ गया, जिससे उनके पैर की अंगुली कट गई।डॉक्टरों ने उंगली का तो इलाज कर दिया लेकिन किशोर का दर्द नहीं गया। वो कई दिनों तक दर्द के कारण जोर-जोर से रोया करते थे। इस घटना की वजह से उनका ऐसा रियाज हुआ कि उनकी आवाज ही बदल गई। इस तरह घंटो रोने से उनकी वोकल कॉर्ड्स पर असर पड़ा और उनकी आवाज हस्की हो गई। किशोर की यह नई आवाज उस हादसे की देन थी। और आज किशोर दा इंडस्ट्री के टॉप सिंगर्स में गिने जाते हैं। उनकी ताजगी भरी आवाज आज भी कानों में पड़ती है तो जोश भर आता है।
किशोर दा ने 5 रूपय की उधारी लेकर बनाया था पहला गीत
किशोर कुमार वर्ष 1948 में पढ़ाई अधूरी छोड़कर इंदौर से मुंबई चले गए थे। लेकिन क्रिश्चियन कॉलेज के कैंटीन वाले के उन पर पांच रुपए और 12 आने (उस समय प्रचलित मुद्रा) उधार रह गए थे। माना जाता है कि यह बात किशोर कुमार को याद रह गई थी और उधारी की इसी रकम से ‘प्रेरित’ होकर फिल्म ‘चलती का नाम गाड़ी’ (1958) के मशहूर गीत “पांच रुपैया बारह आना…” का मुखड़ा लिखा गया था। इस गीत को खुद किशोर कुमार और लता मंगेशकर ने आवाज दी थी।
संघर्ष करके बनाई पहचान
किशोर कुमार ने भारतीय सिनेमा के उस स्वर्ण काल में संघर्ष शुरु किया था जब उनके भाई अशोक कुमार एक सफल सितारे के रूप में स्थापित हो चुके थे। दिलीप कुमार, राज कपूर, देव आनंद, बलराज साहनी, गुरुदत्त और रहमान जैसे कलाकारों के साथ ही पार्श्वगायन में मोहम्मद रफी, मुकेश, तलत महमूद और मन्ना डे जैसे दिग्गज गायकों का बोलबाला था।
13 अक्टूबर, 1987 को उन्होंने दुनिया को हमेशा के लिए अलविदा कह दिया। किशोर कुमार और सबके दिलों को छू जाने वाले उनके गीतों को भुलाया जाना मुमकिन नहीं है। वे सदा गीत प्रेमियों के दिलों पर राज करते रहेंगे।
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