अभिनेता ओमपुरी भारतीय सिनेमा के एक मंझे हुए कलाकार थे

Ompuri was a well-known artist of Indian cinema

महान कलाकार ओम पुरी का जन्म 18 अक्टूबर 1950 में हरियाणा के अम्बाला शहर में एक पंजाबी परिवार में हुआ। ओम पुरी के पिता भारतीय सेना में थे। अमरीश पुरी और मदन पुरी उनके चचेरे भाई थे।

महान कलाकार ओम पुरी का जन्म 18 अक्टूबर 1950 में हरियाणा के अम्बाला शहर में एक पंजाबी परिवार में हुआ। ओम पुरी के पिता भारतीय सेना में थे। अमरीश पुरी और मदन पुरी उनके चचेरे भाई थे। ओम पुरी ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा अपने ननिहाल पंजाब के पटियाला से पूरी की। ओमपुरी ने पुणे के फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया से अपना ग्रैजुएशन पूरा किया। इसके साथ उन्होंने  दिल्ली के नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा (एनएसडी) से भी पढ़ाई की। एनएसडी में नसीरुद्दीन शाह उनके सहपाठी थे। 1976 में ओमपुरी ने पुणे फिल्म संस्थान से प्रशिक्षण प्राप्त किया। इसके बाद लगभग डेढ़ वर्ष तक एक स्टूडियो में अभिनय की शिक्षा दी। ओमपुरी ने अपने निजी थिएटर ग्रुप ‘मजमा’ की स्थापना की। ओमपुरी का विवाह 1991 में अभिनेता अन्नू कपूर की बहिन सीमा कपूर से हुआ। कुछ समय बाद आपसी तालमेल न होने के कारण दोनों में तलाक हो गया। अन्नू कपूर की दूसरी शादी 1993 में पत्रकार नंदिता पुरी से हुई। जिनसे उनका एक पुत्र ईशान भी है। नंदिता ने ओमपुरी पर घरेलू हिंसा का आरोप लगाया था, इसके बाद 2013 में दोनों अलग हुए।

ओमपुरी ने अपने फिल्म कॅरियर की शुरुआत 1972 में मराठी फिल्म ‘‘घासीराम कोतवाल’’ से की। लेकिन भारतीय सिनेमा में उनकी अलग पहचान 1980 में आयी पहलान निहलानी की ‘‘आक्रोश’’ से बनी। ओमपुरी ने अमरीश पुरी, स्मिता पाटिल, नसीरुद्दीन शाह और शबाना आजमी के साथ मिलकर कई यादगार फिल्में दीं। जिनमे ओमपुरी का अभिनय दमदार था। ओमपुरी एक ऐसे अभिनेता थे जिन्होंने एक साधारण सा चेहरा होने के बाबजूद अपने अभिनय से फिल्म जगत में अपनी अलग पहचान बनाई। और कई सफलतम फिल्में दीं। आक्रोश में शानदार अभिनय के लिए ओमपुरी को बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर का फिल्मफेअर अवार्ड मिला। इसके बाद उन्होंने कई हिंदी फिल्मों में शानदार अभिनय किया। और अपने अभिनय के बल पर फिल्म जगत में शोहरत भी प्राप्त की। ओमपुरी ने अपने फिल्मी जीवन में हर तरीके की भूमिकायें निभायीं। ओमपुरी ने सकारात्मक भूमिकाओं के साथ-साथ, नकारात्मक और हास्य भूमिकाएं भी एक मंझे हुए कलाकार के रूप में की। ओमपुरी हमेशा से अपने गंभीर अभिनय के लिए जाने जाते थे। ओमपुरी को दो बार राष्ट्रीय पुरस्कार से भी नवाज जा चुका है। ओमपुरी को 1981 में पहली बार आरोहण फिल्म में शानदार अभिनय के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार मिला और दूसरी बार 1983 में अर्द्धसत्य फिल्म में बेहतरीन अदाकारी के लिए बेस्ट एक्टर का राष्ट्रीय पुरस्कार मिला। इसके साथ ही ओमपुरी को 1990 में देश के चैथे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पदम् श्री से नवाजा जा चुका है। 

ओमपुरी ने हिंदी फिल्मों के साथ-साथ हॉलीवुड फिल्मों में भी अभिनय किया है। जिनमे प्रमुख रूप से ईस्ट इज ईस्ट और सिटी ऑफ जॉय है। ओम पुरी अपनी शानदार आवाज से हर भूमिका में जान डाल देते थे। ओमपुरी की आवाज और डायलॉग डिलिवरी हमेशा से बेहतरीन रही। ओमपुरी ने अभिनय के साथ-साथ कई फिल्मों में अपनी आवाज भी दी। ओम पुरी ने अपने जीवन में धारावाहिक ‘भारत एक खोज’, ‘कक्काजी कहिन’, ‘सी हॉक्स’, ‘अंतराल’, ‘मि. योगी’, ‘तमस’ और ‘यात्रा’, ‘आहट’, ‘सावधान इंडिया’ में भी काम किया। ओमपुरी ने अपने जीवन में अनेक हिंदी फिमों सहित कई भाषाओँ की फिल्मों में काम किया। ओमपुरी ने कई अंग्रेजी फिल्मों में भी काम किया। ब्रिटिश फिल्म इंडस्ट्री में सेवा देने के लिए 2004 में ओमपुरी को ऑनरेरी ऑफिसर ऑफ द ऑर्डर ऑफ द ब्रिटिश एम्पायर का अवॉर्ड दिया गया। 2014 में ओमपुरी ने कॉमेडी-ड्रामा ‘‘हंड्रेड फुट जर्नी’’ में हेलेन मिरेन के साथ काम किया। ओमपुरी का अपने जीवन में विवादों से भी गहरा नाता रहा। एक टीवी बहस में ओम पुरी ने सरहद पर भारतीय जवानों के मारे जाने पर कहा था, ‘‘उन्हें आर्मी में भर्ती होने के लिए किसने कहा था? उन्हें किसने कहा था कि हथियार उठाओ?’’ इस बयान के बाद ओमपुरी के खिलाफ केस दर्ज किया गया। बाद में इस मामले में उन्होंने माफी मांगते हुए कहा था, ‘‘मैंने जो कहा उसके लिए काफी शर्मिंदा हूं. मैं इसके लिए सजा का भागीदार हूं। मुझे माफ नहीं किया जाना चाहिए। मैं उड़ी हमले में मारे गए भारतीय सैनिकों के परिवारों से माफी मांगता हूं।’’ इसके बाद जिंदादिल ओम पुरी पश्चाताप के लिए शहीद बीएसएफ जवान नितिन यादव के घर इटावा गए और ओम पुरी ने शहीद जवान की फोटो पर फूल चढ़ाए। उन्होंने शहीद नितिन यादव के पिता को गले से लगा लिया। ओमपुरी के आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे। इस मौके पर ओमपुरी ने अपनी गलती मानते हुए सबके सामने कहा कि, ‘मैंने बहस के दौरान जो शहीद का अपमान किया था वो मेरी गलती थी। उस दिन से मेरा दिल विचलित था। अगर किसी और देश में होता तो हाथ और सिर कटवा दिया गया होता।’ ओमपुरी ने अपने जीवन में अनेक गलतियां की और उनको सुधारा भी। दुनिया में कुछ ही लोगों में अपनी गलती स्वीकार करने की हिम्मत होती है, उनमे से ओमपुरी एक थे। 

नरसिम्हा, आक्रोश, माचिस, आरोहण, अर्द्धसत्य, घायल, मालामाल वीकली, रंग दे बसंती, खूबसूरत, चुप चुप के जैसी सैंकड़ों फिल्मों में अपने दमदार अभिनय से हर तरीके की भूमिकाओं से पहचान बनाने वाले ओमपुरी की आज 06 जनवरी 2018 को प्रथम पुण्यतिथि है। ओमपुरी का जिंदादिल अभिनय भारत के प्रत्येक नागरिक के दिलों में हमेशा जिंदा रहेगा।

- ब्रह्मानंद राजपूत

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