''लेजेंड्री'' ये शब्द हर किसी के लिए नहीं होता, लेकिन श्रीदेवी थी बॉलीवुड का चमकता सितारा

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[email protected] । Aug 13 2018 11:21AM

हिंदी फिल्म इंडस्ट्री की पहली फीमेल सुपरस्टार के नाम से मशहूर श्रीदेवी की आज 55वीं बर्थ ऐनिवर्सरी है। इसी साल 24 फरवरी को दुबई में श्रीदेवी का निधन हो गया था।

हिंदी फिल्म इंडस्ट्री की पहली फीमेल सुपरस्टार के नाम से मशहूर श्रीदेवी की आज 55वीं बर्थ ऐनिवर्सरी है। इसी साल 24 फरवरी को दुबई में श्रीदेवी का निधन हो गया था। बॉलीवुड  के लिए श्रीदेवी लेजेंड्री थी। 'लेजेंड्री', यह शब्द हर किसी के लिए इस्तेमाल नहीं किया जाता, कुछ बातें हैं जो श्रीदेवी को 'लेजेंड' बनाती हैं। ऐसी कोई चीज़ नहीं थी जो श्रीदेवी को नहीं आती थीं। 

चार साल की उम्र में फिल्मी दुनिया में रखा कदम

‘‘सदमा’’, ‘‘चांदनी’’, ‘‘लम्हे’’ से लेकर ‘‘इंग्लिश विंग्लिश’’ और ‘‘मॉम’’ आदि फिल्मों में तक विविधतापूर्ण किरदारों को पर्दे पर सजीव बनाने वाली श्रीदेवी 54 वर्ष की थीं। वर्ष 2013 में देश के चौथे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्मश्री से सम्मानित की जा चुकीं श्रीदेवी ने अपने अभिनय की शुरूआत चार साल की उम्र में तमिल फिल्म ‘‘थुनाइवन’’ से 1969 में की। मलयालम, तेलुगु ओर कन्नड़ फिल्मों में अभिनय की अपनी सफल पारी के बाद श्रीदेवी दक्षिण भारतीय फिल्मों का एक लोकप्रिय चेहरा बन गईं।

दक्षिण भारत की जानीमानी अभिनेत्री 

श्रीदेवी ने चार साल की उम्र में पहली बार कैमरे का सामना किया था। 1967 में जब वह चार साल की थीं उस समय उन्होंने अपनी तेलुगू फिल्म 'कंदन करुनाई' के जरिए अभिनय की दुनिया में कदम रखा था। इस फिल्म में श्रीदेवी के काम को खूब सराहा गया तो उन्हें जल्द ही कई तमिल, तेलुगू और मलयालम फिल्मों में काम करने का अवसर प्राप्त हुआ और धीरे धीरे वह सफलता की सीढ़ियां चढ़ती गयीं और दक्षिण भारत की जानीमानी अभिनेत्री बन गयीं। 

बॉलीवुड की सुपरस्टार

बॉलीवुड में उन्होंने अपना कदम फिल्म ‘‘सोलवां सावन’’ से रखा। यह फिल्म 1978 में आई लेकिन श्रीदेवी को पहचान नहीं दे पाई। पांच साल बाद श्रीदेवी फिल्म ‘‘हिम्मतवाला’’ में अभिनेता जीतेंद्र के साथ आईं और इस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर धूम मचा दी। ‘‘हिम्मतवाला’’ के बाद श्रीदेवी ने पीछे मुड़कर नहीं देखा और नायक प्रधान फिल्मों के दौर में उन्होंने ‘‘मवाली’’ (1983), ‘‘तोहफा’’ (1984), ‘‘मिस्टर इंडिया’’ (1987), ‘‘चांदनी’’ (1989), ‘‘चालबाज’’ (1989), ‘‘लम्हे’’ (1991) और ‘गुमराह’ (1993) जैसी फिल्में दीं। बॉक्स ऑफिस पर हिट कहलाने वाली इन फिल्मों के बीच उनकी फिल्म ‘‘सदमा’’ एक अलग पहचान रखती है। यह फिल्म 1983 में आई थी।

बोनी कपूर से शादी रचाई

फिल्म ‘‘जुदाई’’ में उन्होंने अनिल कपूर और उर्मिला मातोंडकर के साथ काम किया। इसके बाद ही श्रीदेवी ने अनिल कपूर के बड़े भाई बोनी कपूर से विवाह किया और करीब 15 साल तक रूपहले पर्दे पर नजर नहीं आईं। इस लंबे अंतराल में अपनी दो बेटियों की परवरिश करने के बाद श्रीदेवी साल 2012 में गौरी शिंदे के निर्देशन में बनी ‘‘इंग्लिश विंग्लिश’’ में नजर आईं। इस फिल्म में श्रीदेवी अपनी ‘‘ग्लैमर क्वीन’’ की छवि से बिल्कुल अलग, मध्यम वर्गीय गृहणी की भूमिका में नजर आईं जो इंग्लिश बोलने की चाहत इसलिए रखती है कि उसका परिवार उसकी अहमियत समझे।

शादी के 15 साल बाद बड़े पर्दे पर वापसी

बॉलीवुड पर राज करने वाली मशहूर फिल्म अभिनेत्री श्रीदेवी ने शादी के 15 सालों के लंबे अंतराल के बाद बड़े पर्दे पर वापसी की थी। फिल्म 'इंग्लिश विंग्लिश' के जरिये वापसी करने वाली श्रीदेवी ने तब कहा था कि अभिनय मेरे अंदर इतना रचाबसा है कि मुझे यकीन नहीं होता कि 15 साल से मैंने कोई फिल्म नहीं की। 

‘‘मॉम’’ आखिरी फिल्म

बीते साल वह ‘‘मॉम’’ फिल्म में नवाजुद्दीन सिद्दिकी ओर अक्षय खन्ना के साथ दिखाई दीं। उन्होंने अभिनेता शाहरूख खान की आगामी फिल्म ‘‘जीरो’’ में एक अतिथि भूमिका के लिए भी शूटिंग की। यह फिल्म दिसंबर में रिलीज होगी।

श्रीदेवी की यादें

1986 में आई 'नगीना', 1987 में 'मिस्टर इंडिया', 1989 में 'चांदनी' और 'चालबाज', 1991 में 'लम्हें', 1992 में 'खुदा गवाह' जैसी सफल फिल्मों ने उन्हें बॉलीवुड की पहली महिला सुपरस्टार का खिताब दिलाया। 

अपनी बेटियों के फिल्मों में आने के बारे में श्रीदेवी का कहना है कि मैं भले ही चार साल की उम्र में फिल्मों में आ गयी थी पर नहीं चाहती कि उनकी बेटियां इस उम्र में फिल्मों में आयें। हालांकि अब उनकी बड़ी बेटी जाह्नवी फिल्मों में आ रही हैं।

श्रीदेवी को अपने शानदार अभिनय के लिए अब तक काफी पुरस्कार हासिल हो चुके हैं जिनकी शुरूआत 1970 से हुई जब उन्हें फिल्म 'पूमबाटा' के लिए सर्वश्रेष्ठ बाल कलाकार का पुरस्कार मिला। श्रीदेवी को आठ बार सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का फिल्मफेयर पुरस्कार भी मिल चुका है। इसके अलावा उन्हें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों के साथ ही दक्षिण भारत की कई राज्य सरकारों के पुरस्कार भी मिल चुके हैं।

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