बेस्ट म्यूचुअल फंड्स में निवेश करना चाहते हैं तो यह रहे विकल्प

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कमलेश पांडे । Jul 5 2018 3:16PM

हम आपको बता रहे हैं एसआईपी शुरू करने के लिए टॉप फंड के बारे में जिसे आप इस साल ही शुरू कर सकें। हालांकि, इस बार हमने एक मामूली परिवर्तन करते हुए अपनी सूची से आदित्य बिड़ला सन लाइफ टॉप-10 को हटाया है।

वर्ष 2018 के छह महीने कैसे गुजर गए, बहुतों को पता भी नहीं चल पाया। कई लोग तो बेस्ट म्यूचुअल फंड्स में निवेश करने के बारे में जोड़-घटाव करते रहे, लेकिन कर नहीं पाए। वे निवेश सम्बन्धी गुणा-भाग में इस कदर उलझे रहे कि अंततोगत्वा यह तय ही नहीं कर पाए कि कब, कहां, कैसे और कितना इन्वेस्ट करना है? फिलवक्त तेजी से बीतते वर्ष में आप अपने हिसाब से नया निवेश कर सकते हैं। इसलिए हम आपको बता रहे हैं एसआईपी शुरू करने के लिए टॉप फंड के बारे में जिसे आप इस साल ही शुरू कर सकें। हालांकि, इस बार हमने एक मामूली परिवर्तन करते हुए अपनी सूची से आदित्य बिड़ला सन लाइफ टॉप-10 को हटाया है।

दरअसल, यह निर्णय इसलिए लिया गया, क्योंकि यह फंड हमारे तीन साल और पांच साल के पैमाने पर निरंतरता दिखाने में पूरी तरह से असफल रहा है जिसका सीधा असर आपके पोर्टफोलियो पर पड़ता और आपका कुल रिटर्न घट जाता। यही वजह है कि हमने आदित्य बिड़ला सन लाइफ टॉप-10 के बजाय मिराय एसेट इंडिया ऑपर्ट्यूनिटीज-जी और कोटक सिलेक्ट फोकस-डी को लार्जकैप कैटेगरी में शामिल किया है, क्योंकि इन दोनों ही फंड्स ने निरंतरता के साथ अच्छा प्रदर्शन किया है। इसलिए मैं आपको इक्विटी म्यूचुअल फंड्स में निवेश से जुड़े सलाह दे रहा हूं, जिस पर आप गौर करेंगे तो आपका निवेश आपको महत्वपूर्ण लाभ देगा। क्योंकि हम लोग अब विभिन्न फंड्स की लगातार समीक्षा कर रहे हैं और उसी के अनुरूप आपको नियमित सलाह दे रहे हैं।

आपको याद ही होगा कि इससे पहले आईसीआईसीआई प्रुडेंशियल वैल्यू डिस्कवरी फंड और क्वांटम लॉन्ग-टर्म इक्विटी फंड का भी बेहतर रिटर्न लोगों को नहीं मिला जिससे वह भी हमारे एजेंडे से बाहर चला गया। ऐसा इसलिए कि परिवर्तन संसार का नियम है और किसी ब्रांड्स के चक्कर में हम लोग अपने आर्थिक हितों की कुर्बानी नहीं दे सकते। अतः सचेत हो जाइये और फूंक फूंक कर निवेश सम्बन्धी कदम उठाइए। मेरी बातों को भी तर्क की कसौटी पर कसिए और जब वह प्रासंगिक लगे तब उसके अनुरूप निर्णय कीजिए। क्योंकि म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री में कई नए निवेशक भी दस्तक दे रहे हैं जिससे एसेट मैनेजमेंट कंपनियों का एसेट अंडर मैनेजमेंट (एयूएम) तीव्र गति से बढ़ रहा है।

यह बात अलग है कि अधिकांश निवेशकों के लिए अपने लॉन्ग-टर्म लक्ष्य के अनुरूप बेहतरीन स्कीमों का चयन करना अत्यंत कठिन हो जाता है। इस बात में कोई दो राय नहीं कि म्यूचुअल फंड पोर्टफोलियो का निर्माण बेहद जटिल हो सकता है। अतः इसकी शुरुआत चुनिंदा स्कीमों के प्रदर्शन और उसकी निरंतरता के मद्देनजर ही की जा सकती है। यही वजह है कि किसी भी प्रकार के निवेशकों को अपनी जोखिम क्षमता और निवेश लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए निवेश करना चाहिए। वैसे तो यह अब भी अबूझ पहेली जैसा है कि किसी भी व्यक्ति के लिए पोर्टफोलियो का मिश्रण कैसा होना चाहिए और उनके द्वारा किए गए निवेश को कब भुनाना चाहिए। शायद इसी समस्या को आसान करने के साथ-साथ आपकी मदद के लिए हमने तीन अलग-अलग एसआईपी पोर्टफोलियो तैयार किए हैं जो जोखिम क्षमता वाले निवेशकों के लिए उपयुक्त है।

इन पोर्टफोलियो को आप कम जोखिम (कंजर्वेटिव), मध्यम जोखिम (मोडरेट) एवं ज्यादा जोखिम (अग्रेसिव) वाले निवेशकों हेतु मान सकते हैं, जिसके लिए एसआईपी के निवेश को 2000-5,000 रुपये, 5,000-10,000 रुपये और 10,000 रुपये से अधिक की तीन श्रेणियों में विभाजित किया गया है।

जहां तक कम जोखिम वाले निवेशकों के लिए पोर्टफोलियो रेकमंडेशन की बात है तो सिप अमाउंट श्रेणी दो से पांच हजार के बीच एसबीआई ब्लूचिप-जी और एचडीएफसी बैलेंस्ड फण्ड-जी का औसत प्रतिशत 50 निकलता है। वहीं, सिप अमाउंट श्रेणी पांच से दस हजार के बीच एसबीआई ब्लूचिप-जी का औसत प्रतिशत 30, मिरे एसेट इंडिया अपॉर्चुनिटीज-जी का औसत प्रतिशत 20 और एचडीएफसी बैलेंस्ड फण्ड-जी का औसत प्रतिशत 50 निकलता है। इसी प्रकार सिप अमाउंट श्रेणी 10 हजार से अधिक के लिए एसबीआई ब्लूचिप-जी का औसत प्रतिशत 25, मिरे एसेट इंडिया अपॉर्चुनिटीज-जी का औसत प्रतिशत 15, एसबीआई मैग्नम मल्टीकैप-जी का औसत प्रतिशत 10 और एचडीएफसी बैलेंस्ड फण्ड-जी का औसत प्रतिशत 50 निकलता है।

इसी प्रकार से मध्यम जोखिम और ज्यादा जोखिम वाले निवेशकों के लिए भी सम्बन्धित कम्पनीज की योजनाओं से जुड़े अवसर अनुशंसा चार्ट तैयार किये जाते हैं जिन्हें स्थानाभाव के कारण यहां नहीं दे रहा हूं। इसकी चर्चा हम लोग फिर कभी करेंगे।

जैसा कि हमने पहले ही कहा है कि हम नियमित रूप से पोर्टफोलियो की स्कीमों पर अपनी नजर रखते हैं, और यदि कोई स्कीम लगातार सुस्त पड़ रही होती है तो हम पोर्टफोलियों में अत्यावश्यक सुधार की भी सलाह देते हैं। अतः आप नीचे दिए हुए हमारे पोर्टफोलियो सुझावों पर नजर डाल सकते हैं। लेकिन ध्यान रखिएगा कि इसके लिए हमने सिर्फ इक्विटी डायवर्सिफाइड तथा इक्विटी आधारित बैलेंस्ड स्कीमों का ही चयन किया है। क्योंकि हम यह मान कर चल रहे हैं कि हमारा निवेशक न्यूनतम पांच साल के लिए निवेश करेगा।

निःसन्देह, हमने म्यूचुअल फंड्स की स्कीमों के लिए निम्नलिखित मापदंडों का चयन किया है जो इस प्रकार है:-

* रोलिंग रिटर्न: यह तीन वर्षों तक का नियमित दैनिक रिटर्न होता है जिससे किसी को भी निवेश सम्बन्धी निर्णय लेने में सहूलियत होती है, क्योंकि आंकड़े खुद बोलते हैं।

* निरन्तरता: यह तीन वर्षों तक डिविडेंड में दी गई निरंतरता के आधार पर निकाली जाती है जिससे निवेशकों को निवेश स्थिति और सम्भावित लाभ को समझने में सहूलियत होती है।

* प्रदर्शन: किसी भी निवेश के प्रदर्शन के मापदंड के लिए हमने जेसन अल्फा विधि का इस्तेमाल किया है, जिसके मुताबिक यह संख्या जितनी अधिक होगी, स्कीम का रिटर्न बाजार के अपेक्षित अनुमान से उतना ज्यादा बेहतर होगा। लिहाजा, इसको मापने का सही तरीका है:- स्कीम का औसत रिटर्न= [जोखिम रहित रिटर्न + स्कीम का बीटा रेट x {इंडेक्स का औसत रिटर्न - जोखिम रहित रिटर्न}]

* एसेट साइज: इसके तहत डायवर्सिफाइड फंड के लिए स्कीम का न्यूनतम एयूएम 100 करोड़ रुपए और बैलेंस्ड फंड के लिए न्यूनतम एयूएम 50 करोड़ रुपये रखा गया है ताकि निवेशकों को अच्छा रिटर्न मिल सके।

आपको यह बात भलीभांति याद रखनी चाहिए कि पिछला प्रदर्शन भविष्य का अनुमान होता है, किसी तरह की गारंटी नहीं। इसलिए किसी भी प्रकार का निवेश करने का निर्णय लेने से पहले अपने वित्तीय सलाहकार से अवश्य सलाह लें। इससे आपको फायदा होगा, घाटा नहीं, क्योंकि वित्तीय मामलों में जानकारी से ज्यादा अनुभव अहम मायने रखता है।

-कमलेश पांडे

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