भारतीय अर्थव्यवस्था का मंथन: विशेषज्ञों के महत्वपूर्ण सुझाव

Indian Economy

प्रधानमंत्री के लिए आर्थिक सलाहकार परिषद के वी अनंत नागेश्वरन का पहला सुझाव है कि व्यक्तिगत आयकर आकलन खत्म हो और टीडीएस (स्रोत पर कर कटौती) के मौजूदा तंत्र पर भरोसा करना चाहिए और कर भुगतान के लिए अग्रिम कर हो।

पिछले चार दशकों में ऐसा पहली बार हुआ है जब भारतीय अर्थव्यवस्था बहुत तेज़ी के साथ मंदी की तरफ बढ़ रही है। कोविद-19 के प्रकोप की वजह से वास्तविक जीडीपी संकुचन 5-10% के बीच रहने की सम्भावना है। जिसकी वजह से सरकार के लिए ये बहुत ही अस्वाभाविक परिणाम होंगे, जैसे कमजोर राजस्व और अधिक व्यय, उपभोक्ताओं के लिए कम आय और व्यय और वित्तीय संस्थानों के लिए ऋण ना चुकाने की अवस्था का इज़ाफा। इन तमाम समस्याओं का हल खोजना आसान नहीं है। लेकिन भारतीय अर्थव्यवस्था की मरम्मत और पुनर्जीवन के लिए बहुत सारे उपाय हैं जिन्हे एक शुरुआती कदम के रूप में उठाये जा सकते हैं।

एसपी जैन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट एंड रिसर्च द्वारा आयोजित एक वेबिनार में बोलते हुए शीर्ष अर्थशास्त्रियों और अर्थव्यवस्था पर नजर रखने वालों ने अर्थव्यवस्था के लिए अपनी काम करने (To-do) की लिस्ट प्रस्तुत किया. जब उनसे पूछा गया कि वे कौन सी महत्वपूर्ण चीजें हैं जिस पर वे काम करना चाहेंगे, तो प्रणब सेन, रथिन रॉय, वी अनंत नागेश्वरन और अनंत नारायण ने क्या कहा- आइये इस  बारे में जानते हैं।

इंडिया ग्रोथ सेण्टर और भारत के पूर्व मुख्य सांख्यिकीविद् प्रोनब सेन ने भारत पर कोविद-19 के प्रभाव का विवरण देते हुए “आइडिया फॉर इंडिया” पर एक पांच भाग की श्रृंखला लिखी है जिसमें उन्होंने भारत के इस वर्ष के वास्तविक जीडीपी में दोहरे अंकों के संकुचन का अनुमान लगाया है। सेन ने कहा कि हालांकि सरकार की प्रारंभिक प्रतिक्रिया अच्छी थी, लेकिन अभी भी बहुत कुछ करने की आवश्यकता है।

इसे भी पढ़ें: प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना से इस तरह उठा सकते हैं ज्यादा से ज्यादा लाभ

उनका पहला सुझाव हाल के सरकारी आदेश को उलट देना था जिसने परियोजनाओं पर खर्च करने के लिए विराम लगा दिया था। अगले कदम के रूप में सेन ने कहा कि सरकार को मंज़ूर की हुई परियोजनाओं की सभी सूची को देखना चाहिए- ग्रामीण सड़कों से आवास तक और उन सभी पर खर्च करना शुरू कर देना चाहिए। उन्होंने कहा कि चूंकि इन परियोजनाओं में पहले से ही कुछ मंजूरियां मिली होंगी, इसलिए इन पर काम शुरू करना आसान होगा। उन्होंने अपने अगले सुझाव पर ज़ोर देते हुए कहा कि “अब उन्हें ज़मीन से हटा दें क्योंकि मंत्रालयों ने पहले ही इन योजनाओं को तैयार करने में और अप्रूवल लेने में कई साल लगा दिए हैं, अब बस इसके साथ लगे रहो।”

उन्होंने कहा कि सरकार को देश भर के सभी स्वास्थ्य केंद्रों को उन्नत करने के लिए एक बड़ा कार्यक्रम शुरू करना चाहिए और इसके बाद शहरी नवीकरण का काम होना चाहिए। चूंकि बड़ी संख्या में प्रवासी श्रमिक अपने अपने घरों को लौट गए हैं, इसलिए शहरी केंद्रों पर ध्यान देने और बुनियादी ढाँचा को मज़बूत बनाने के लिए काम करना चाहिए।

राष्ट्रीय सार्वजनिक वित्त एवं नीति संस्थान (The National Institute of Public Finance and Policy) के निदेशक रथिन रॉय ने कहा कि पहली चीज जो सरकार को करनी चाहिए वह यह है कि उसे भारत की जनता से संवाद करना चाहिए और यह बताना चाहिए कि अगले तीन वर्षों में सरकार क्या खर्च करना चाहती है और उससे होगा क्या।

उन्होंने कहा कि दूसरा कदम खर्च और फंडिंग पर आधारित एक सुनियोजित और जांचा परखा टाइम टेबल होना चाहिए। तत्काल खर्च के उद्देश्यों के लिए हम कोविद-विशिष्ट बांड का उपयोग कर सकते हैं। उदाहरण के तौर पर, कंसोल ऐसे बॉन्ड हैं जो ब्याज की एक आकर्षक दर का भुगतान तो करते हैं, लेकिन मूल हमेशा के लिए भुगतान नहीं करता है। वे अनिवार्य रूप से स्थायी बॉन्ड्स होते हैं। इसके अलावा, केंद्र, राज्य और स्थानीय सरकारों के सरकारी खातों में पड़े लगभग 1-1.5 लाख करोड़ रुपये की नकदी को गतिमान बनाये रखना चाहिए और सरकार को साथ साथ ये भी प्लान करना चाहिए कि आने वाले वर्षों में इससे कहाँ कहाँ धन इकट्ठा हो सकता है।

इसे भी पढ़ें: बिज़नेस के लिए मोदी सरकार बिना गारंटी दे रही है 50000 का लोन, ब्याज में 2 प्रतिशत की सब्सिडी

उन्होंने इस बात पर ज़ोर देते हुए आगे कहा कि “अंतिम बात जो मैं कहूंगा उसमें भारत के सामने आए तीन बड़े सवालों के बारे में पारदर्शी बातचीत होनी चाहिए। वो सवाल हैं-  कोविद के सामने अर्थव्यवस्था की गति धीमी क्यों थी? टैक्स रेवेन्यू क्यों रुका हुआ था? सरकार अपना पैसा अधिक प्रभावी ढंग से कैसे खर्च कर सकती है?

प्रधानमंत्री के लिए आर्थिक सलाहकार परिषद (Economic Advisory Council to the Prime Minister) के वी अनंत नागेश्वरन का पहला सुझाव है कि व्यक्तिगत आयकर आकलन खत्म हो और टीडीएस (स्रोत पर कर कटौती) के मौजूदा तंत्र (e-assessment) पर भरोसा करना चाहिए और कर भुगतान के लिए अग्रिम कर हो। उन्होंने कहा, "लगभग 92% प्रत्यक्ष कर स्वैच्छिक अनुपालन से आते हैं और यह सुनिश्चित करने के लिए सरकार के पास पर्याप्त डेटा है कि यह पूर्ण रूप से सफल रहे।

नागेश्वरन ने आगे कहा कि सरकार को मैक्रोइकोनॉमिक डेटा की समीक्षा करने और राज्य और देश के मैक्रो डेटा की विश्वसनीयता कायम रखने के लिए तीन महीने की समय सीमा निर्धारित करनी चाहिए। सरकार को इस समय विशेषज्ञों की एक "क्रैक टीम" की नियुक्ति करनी चाहिए, जो आर्थिक मामलों के बारे में कैबिनेट समिति को रिपोर्ट करेगी और महत्वपूर्ण निर्णय लेने में मदद करेगी। नागेश्वरन ने कहा कि राज्य के मुख्यमंत्रियों को तीन प्रमुख सुधारों पर सर्वसम्मति बनाने में मदद करने के लिए एक जुट होने  की जरूरत है, जो समयबद्ध हो, निगरानी योग्य और वितरण योग्य हो। उन्होंने कहा कि संबंधित उच्च अधिकारियों को शीर्ष 20 व्यवसायों से सीधे बात करनी चाहिए जो चीन से बाहर स्थानांतरित होने के लिए सोच रहे हैं और उनसे पूछना चाहिए कि उन्हें भारत में मूव करने के लिए ऐसा क्या करना चाहिए।

एस.पी. जैन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट एंड रिसर्च (SPJIMR) के अनंत नारायण, एसोसिएट प्रोफेसर- वित्त ने सुझाव दिया कि पहली बात तो यह है कि हमें समझ नहीं आ रहा है कि कोविद-19 संकट कब तक चलेगा। हमे तैयार रहना चाहिए कि आम लोगों और छोटे व्यवसायों को किस तरह से राहत पहुंचाई जा सकती है।  राजकोषीय घाटे (fiscal deficit) की चिंता नहीं करनी चाहिए। जिस तरह की भी आवश्यकता हो उसे प्रदान किया जाना चाहिए।

सरकार को वित्तीय क्षेत्र में फोकस की जरूरत है। बुरे ऋणों के स्टॉक के लिए एकमुश्त समाधान की आवश्यकता है, शासन और प्रशासन के क्षेत्र में सुधार की आवश्यकता है। इसी तरह, अन्य उपयोगी और महत्वपूर्ण क्षेत्रों, जैसे बिजली, रियल एस्टेट, एयरलाइंस से अच्छी तरह निपटना चाहिए। विशेषज्ञों से सलाह मशविरा करो, उन्हें सशक्त बनाओ। सरकार को व्यापार को और सुगम बनाने और रोजगार सृजन करने की आवश्यकता पर ज़ोर देना चाहिए।

और आखिरी में उन्होंने कहा कि अभी हमें जिस चीज़ पर ज्यादा ध्यान देने की ज़रूरत है वो है- स्वास्थ्य, पोषण और शिक्षा में निवेश। अभी हमारा उद्देश्य यही होना चाहिए कि हम भले ही खुद घास खाएं लेकिन अपने बच्चों को स्वास्थ्य देखभाल, पोषण और शिक्षा अवश्य देनी होगी।

- जे. पी. शुक्ला

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़