ऐसे खरीदिए शुद्ध सोना, अव्वल रिटर्न के लिए कीजिये निवेश

gold investment
कमलेश पांडेय । Aug 22 2020 6:29PM

सोने की खरीददारी करते समय काफी सावधानी बरती जाती है, क्योंकि सोना में मिलावट और इसकी पहचान एक बड़ी समस्या है। इसलिए यह समझना जरूरी होता है कि कैरेट के आधार पर सोना यानी गोल्ड की कीमत कैसे तय होती है।

भारतीयों को भूमि के बाद सोना सबसे ज्यादा पसंद है। यह औषधि, श्रृंगार और सामर्थ्य- अपने तीनों रूपों में कामयाब है। कहावत है कि सोना बेचकर कोना यानी जमीन खरीदी जाती है, लेकिन कोना मतलब जमीन बेचकर सोना नहीं खरीदा जाता है। ऐसा इसलिए कि भूमि स्थाई सम्पत्ति है, जबकि सोना अस्थाई यानी चलंत। खास बात यह कि भारतीय समाज में जमीन और सोना को खरीदना शुभ माना जाता है, लेकिन इसे बेचना बेहद अशुभ। इसलिए इसकी खरीददारी व इसमें निवेश के बारे में आगे गूढ़ बातें बताएंगे।

सोने की खरीददारी करते समय काफी सावधानी बरती जाती है, क्योंकि सोना में मिलावट और इसकी पहचान एक बड़ी समस्या है। इसलिए यह समझना जरूरी होता है कि कैरेट के आधार पर सोना यानी गोल्ड की कीमत कैसे तय होती है। हाल के दिनों में सोने का दाम छलांग लगाकर 53 हजार रुपए प्रति 10 ग्राम पर पहुंच गया था। जिससे इसकी डिमांड और महत्ता दोनों का पता चलता है। यह बात अलग है कि इसकी कीमत कभी स्थायी नहीं होती और वह ऊपर-नीचे होती रहती है।

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आपको यह मालूम होना चाहिए कि 24 कैरेट सोने के आभूषण नहीं बनते हैं। ये आभूषण मतलब गहने अमूमन 22, 20, 18 और 16 कैरेट के होते हैं। इसलिए इनके दाम अलग-अलग तय किये जाते हैं। हमें हमेशा हॉलमार्क देखकर ही सोना खरीदना चाहिए। हमारे लिए एक बात और जानना जरूरी है। वह यह कि सोने की जूलरी पर इसकी कीमत और मेकिंग चार्ज पर 3 प्रतिशत जीएसटी  लगता है। 

आम तौर पर सोना में निवेश करना भारत देश के लोगों की पारंपरिक पसंद रहा है। हमारे लोगों को पता होता है कि सबसे शुद्ध सोना 24 कैरेट का होता है। लेकिन हम-आप जो सोना खरीदते हैं वो 24 कैरेट न होकर उससे कम शुद्ध होता है। हालांकि, असली यानी शुद्ध सोने की पहचान करना सबके लिए आसान नहीं होता। फिर भी कुछ सावधानियां बरत कर आप गलत चीज खरीदने से बच सकते हैं। हम आपको यह बता रहे हैं कि शादी-विवाह, पर्व-त्यौहार और बेहतर निवेश के विकल्प के रूप में सोना खरीदते समय किन किन बातों का ध्यान रखें।

पहली बात, जब भी आप सोना खरीदें तो हॉलमार्क देखकर ही सोना खरीदें। सोना खरीदते वक्त उसकी क्वॉलिटी पर जरूर गौर करें। दरअसल, हॉलमार्क देखकर सोना इसलिए  खरीदा जाता है, क्योंकि हॉलमार्क सरकारी गारंटी है। अपने देश में हॉलमार्क का निर्धारण भारत की एकमात्र एजेंसी बीआईएस यानी ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड करती है। जिसकी हॉलमार्किंग योजना भारतीय मानक ब्यूरो अधिनियम के तहत संचालन, नियमन और विनियम का काम करती है।

दूसरी बात, आपको यह पता होना चाहिए कि 24 कैरेट सोने के आभूषण-गहने कभी नहीं बनते हैं। भले ही 24 कैरेट सोने को सबसे शुद्ध सोना माना जाता है, लेकिन इसके आभूषण कभी नहीं बनते, क्‍योंकि वो ठोस होने के बावजूद बहुत मुलायम भी होता है। लिहाजा, आमतौर पर आभूषणों के लिए 22 कैरेट सोने का इस्तेमाल ही किया जाता है, जिसमें 91.66 फीसदी सोना होता है। तकनीकी रूप से आप यह जान लें कि सभी कैरेट का हॉलमार्क अंक अलग अलग होता है, ताकि उसे आसानीपूर्वक पहचाना जा सके। उदाहरणतया, 24 कैरेट सोने पर 999, 23 कैरेट सोने पर 958, 22 कैरेट सोने पर 916, 21 कैरेट सोने पर 875 और 18 कैरेट सोने पर 750 लिखा होता है। इससे शुद्धता में कोई शक नहीं रह जाता है।

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तीसरी बात, यदि आपको सोने की शुद्धता का गणित समझना है तो ऐसे समझिए। मसलन, 1 कैरेट गोल्ड का मतलब होता है 1/24 पर्सेंट गोल्ड, यदि आपके आभूषण 22 कैरेट के हैं तो 22 को 24 से भाग देकर उसे 100 से गुणा करें। उदाहरण के तौर पर (22/24)x100= 91.66 यानी आपके आभूषण में इस्‍तेमाल हुई सोने की शुद्धता 91.66 फीसदी है। 

चौथी बात, महत्वपूर्ण सवाल है कि 1 कैरेट सोने की कीमत कैसे निकालें? क्योंकि अभी 24 कैरेट सोने की कीमत 53 हजार के करीब जा पहुंची थी। यह ऊपर-नीचे होती रहती है। इसलिए जब आप बाजार में सोना खरीदने जाते हैं तो 22 कैरेट सोने का मूल्य (53000/24)x22=48583 रुपए होगा। ऐसे ही 20 कैरेट गोल्ड की कीमत (53000/24)x20=44166 होगी। जबकि, ये ही सोना ऑफर के साथ देकर ज्वैलर आपको ठगते हैं। इसलिए उनकी चिकनी चुपड़ी बातों से सावधान रहिए। वहीं, सोने के कैरेट और उसकी शुद्धता (%) को आप इस अंकतालिका से समझिए:- 24-(99.9), 23-(95.8), 22-(91.6), 21-(87.5), 18-(75.0) और 17-(70.8)।

पांचवीं बात, आपको पता होना चाहिए कि सोने की ज्वेलरी यानी गहने पर टैक्स भी देना होता है। फिलवक्त, सोने के गहने खरीदने पर इसकी कीमत और मेकिंग चार्ज पर 3 फीसदी का गुड्स एंड सर्विस टैक्स, जीएसटी लगता है। आभूषण की पेमेंट आप कैसे भी करें, लेकिन आपको 3 फीसदी जीएसटी चुकाना ही होता है।

छठी बात, जहां तक रिटर्न का सवाल है तो यह जान लीजिए कि सोना चाहे जितना महंगा हो, लेकिन यह प्रायः अधिक रिटर्न ही देता है। क्योंकि देश का अभिजात्य वर्ग हमेशा सोना, जमीन, मकान व दुकान आदि में ही करता है। इसलिए इनकी कीमतों में वर्ष दर वर्ष अच्छा खासा इजाफा होता आया है। हाल ही में सोने ने महज एक साल में ही 36 फीसदी का रिटर्न दिया है। 

आंकड़े बताते हैं कि पिछले एक साल में ही सोने की कीमतों में करीब 36 फीसदी से ज्यादा का उछाल आया है। उदाहरण के तौर पर, अगस्त 2019 को सोने की कीमत 38 हजार 950 रुपए थी जो अब 54 हजार रुपए प्रति 10 ग्राम के पार पहुंच गई है। इस हिसाब से यदि देखा जाए तो सिर्फ एक साल में ही सोने ने 36 फीसदी का रिटर्न दिया है। जो दूसरी किसी भी जगह या वस्तु में मिलना सम्भव नहीं रहा।

सातवीं बात, विशेषज्ञों का साफ कहना है कि अगर कोरोना प्रकोप लम्बे समय तक चलता है तो इसके कारण बाजार में अनिश्चितता बनी रहेगी और इसकी कीमत अभी और बढ़ेगी। इसलिए, आपके पास भी अतिरिक्त पैसा है तो सोने में निवेश का यह बेहतरीन अवसर है। इसलिए अब हम आपको सोने में निवेश करने के 5 बेहतर तरीके बताते हैं। 

एक, जहां तक सोने में निवेश की बात है तो यह कहा जा सकता है कि सोने को आभूषण के तौर पर फिजिकल फॉर्म में खरीदा जा सकता है। यद्यपि, इसमें क्‍लवालिटी, सुरक्षा और ज्‍यादा कॉस्‍ट की चिंता रहती है। कुछ जानकार फिजिकल फॉर्म में सोने में निवेश की सलाह नहीं देते हैं।

दो, सोने को ज्वैलर्स मतलब सोनार, बैंक और अन्‍य माध्‍यम से सिक्‍के या ब‍िस्‍कुट के रूप में भी खरीदा जा सकता है। हालांकि, इसमें लगे हॉलमार्क को देख लेना जरूरी है, जो शुद्धता का मानक है। लेकिन, इसमें भी सुरक्षा से जुड़ी चिंताएं रहती हैं। 

तीन, एक्‍सचेंज ट्रेडेड-फंड यानी ईटीएफ द्वारा सोने को खरीदने का सबसे किफायती तरीका है, जिसमें सोने को पेपर फॉर्मेट में एक्‍सचेंजो पर खरीदा और बेचा जा सकता है। यह बात अलग है कि ईटीएफ की यूनिटें भुनाने पर टैक्‍स लगता है। 

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चार, गोल्ड यानी पीली धातु सोना में निवेश का एक तरीका सॉवरेन गोल्‍ड बॉन्‍ड भी हैं, जो समय समय पर सरकार जारी करती है। वह कुछ महीनों के अंतराल पर इसकी पेशकश करवाती है। यह सोने में लंबी अवधि के निवेश के लिए एक अच्‍छा और सुरक्षित विकल्‍प है। क्योंकि ऐसे बॉन्‍ड को भुनाने पर टैक्‍स देनदारी भी नहीं बनती है। 

पांच, डिजिटल गोल्‍ड ऑनलाइन प्‍लेटफॉर्म के जरिये सोने में निवेश का एक तरीका है। बताया जाता है कि इस फिजिकल गोल्‍ड को सेंट्रली सुरक्षित रूप से स्‍टोर किया जाता है। इसके अलावा, इसे फिजिकल गोल्‍ड के तौर पर भुनाया या वेंडर को दोबारा बेचा जा सकता है।

सावधानी सिर्फ इतनी कि भले ही कोरोना महामारी के चलते पैदा हुई बाजार अनिश्चितताओं के बीच सोने के भाव उछाल खा रहे हों, लेकिन पोर्टफोलियो में इसका हिस्सा 10-15 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए।

कमलेश पांडेय

वरिष्ठ पत्रकार व स्तम्भकार

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