हेल्थ इंश्योरेंस खरीदते समय रखें 'इन बातों' का ध्यान

Health Insurance

बीमारियों की कवरेज के अलावा क्लेम की राशि भी बहुत इंपॉर्टेंट फेक्टर है। कई सारी हेल्थ इंश्योरेंस कंपनीज, अपनी भिन्न पॉलिसीज में, गंभीर बीमारियों पर क्लेम की राशि कम देती हैं, तो कुछ अधिक! ऐसे में उम्र के हिसाब से आप तुलनात्मक अध्ययन कर सकते हैं।

कोरोना महामारी ने जिस प्रकार लोगों को आतंकित किया है, उससे हर कोई हैरान रह गया है।

कहीं लाशों के अंबार लग गए, तो कई जगहों पर कई-कई परिवार उजड़ गए हैं। कई लोगों के बिजनेस व्यापार सब ठप हो गए हैं। वास्तव में इस महामारी ने हेल्थ के बारे में लोगों की सोच बदल कर रख दी है। देखा जाए तो पहले हेल्थ इंश्योरेंस जैसे केवल बड़े शहरों के लिए ही होते थे, किंतु अब जब से कोरोना महामारी लोगों पर प्रलय बनकर टूटी है, तब से कहीं ना कहीं हेल्थ के प्रति जागरूकता भी बढ़ी है। हालांकि कोरोना जैसी महामारी में तो हेल्थ इंश्योरेंस ने लोगों को सपोर्ट किया ही है, लेकिन सामान्य दिनों में भी हेल्थ इंश्योरेंस की महत्ता से इनकार नहीं किया जा सकता है। देखा जाए तो अगर आप स्वस्थ जिंदगी जीना चाहते हैं, साथ ही हेल्थ एक्सपेंसेज को लेकर पीस आफ माइंड चाहते हैं, तो हेल्थ इंश्योरेंस बेहद आवश्यक है।

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आइए जानते हैं कि हेल्थ इंश्योरेंस लेते समय आपको किन बातों का ध्यान रखना चाहिए...

हेल्थ इंश्योरेंस के लिए सबसे पहले बीमारियों की कवरेज देखनी चाहिए। जी हाँ! कौन-कौन सी बीमारी आपके द्वारा ली जाने वाली पालिसी में कवर है, यह आपको अवश्य ही जानना चाहिए। कुछ पॉलिसीज में कई बीमारियाँ पहले दिन से कवर होती हैं, तो पथरी जैसी कई बीमारियाँ कुछ समय बाद से कवर होती हैं। एनालिसिस करने से आप जान पाएंगे कि इंश्योरेंस पॉलिसी का कौन सा पॉजिटिव प्वाइंट है, तो कौन सा नेगेटिव प्वाइंट है।

इसके लिए जरूरी है कि विभिन्न कंपनियों से आप कोटेशंस मंगाए। ऑनलाइन ऐसी तमाम सर्विसेज हैं, जो आपको इस तरह की सुविधाएं देती हैं। ऑनलाइन पालिसी कम्पेयर करना आसान है। ज्योंही आप किसी एक वेबसाइट पर अकाउंट बनाकर पॉलिसीज की जानकारी लेंगे, आपके पास तमाम लोगों की कॉल्स / मेल्स आनी शुरू हो जाएँगी। ऐसे में आपको जल्दबाजी नहीं करनी है, बल्कि आराम से एक-एक पॉइंट पर अध्ययन करना है।

बीमारियों की कवरेज के अलावा क्लेम की राशि भी बहुत इंपॉर्टेंट फेक्टर है। कई सारी हेल्थ इंश्योरेंस कंपनीज, अपनी भिन्न पॉलिसीज में, गंभीर बीमारियों पर क्लेम की राशि कम देती हैं, तो कुछ अधिक! ऐसे में उम्र के हिसाब से आप तुलनात्मक अध्ययन कर सकते हैं। अगर आपकी उम्र बढ़ रही है, तो गंभीर बीमारियों के होने का खतरा भी बढ़ जाता है। ऐसे में आपको सावधानी रखनी ही चाहिए।

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इसके अलावा हॉस्पिटल इत्यादि के खर्चे भी आपको समझ लेना चाहिए। कई सारी पॉलिसीज में शेयरिंग रूम का ऑप्शन होता है, तो कई सारी पॉलिसीज में आपको एक खास लिमिट तक का ही हॉस्पिटल खर्च कवर किया जाता है।

ऐसे में इसकी बारीकी को अवश्य ध्यान रखें।

एक और इंपॉर्टेंट फैक्टर को-पेमेंट क्लाज का होता है। इसमें पॉलिसी धारक को विभिन्न सेवाओं का भुगतान करना पड़ता है। चूंकि यह राशि सामान्य रूप से पहले से ही तय होती है। खासकर सीनियर सिटीजंस के लिए यह को पेमेंट की शर्त होती ही है। ऐसे में अगर आप कोई हेल्थ इंश्योरेंस की पॉलिसी लेते हैं, तो उसमें कम से कम को पेमेंट का प्रावधान रहे, इस बात का ध्यान रखें।

रिन्यूअल अमाउंट और प्रीमियम पर छूट 

जी हां! हेल्थ इंश्योरेंस जैसी सर्विस लेते समय आप उसका रिन्यूअल का भी खाका समझ लें। चूंकि कई कंपनियां हेल्थ इंश्योरेंस में पहले साल कम अमाउंट देती हैं, तो अगले साल उस में भारी बढ़ोतरी हो जाती है। उसके अगले साल फिर बढ़ोतरी हो जाती है। अब चूंकि हेल्थ इंसुरेंस कोई ऐसा सब्जेक्ट तो है नहीं कि आप 1 साल ही चलाएंगे, या 2 साल चलाया और बाद में बंद कर दिया... चूंकि यह हमेशा चलाना चाहिए, आजीवन... और लोग चलाते भी हैं, तो ऐसे में रिन्यूअल प्रीमियम का अमाउंट आप जरूर देख लें।

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कई बार क्या होता है कि एक मुश्त 2 साल, 3 साल या अधिक का प्रीमियम पे करने पर इसमें छूट भी मिलती है। तो इस तरफ भी ध्यान दे लें।

बहरहाल, बीमा तो वैसे भी बेहद आवश्यक है, किन्तु हेल्थ इंश्योरेंस कहीं ज्यादा आवश्यक फैक्टर बन चुका है। इसके बिना, कब कौन सी हेल्थ इमरजेंसी आ जाए, कुछ कहा नहीं जा सकता, इसलिए आपको इसके प्रति सजग, बेहद सजग हो जाना चाहिए।

- मिथिलेश कुमार सिंह

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