रिटायरमेंट प्लानिंग में कहीं देर न हो जाए!

Retirement planning

ध्यान रहे, आपको बेहद जल्दी सेवानिवृत्ति की योजना बनानी चाहिए, ताकि आप एक सुकून भरी रिटायरमेंट की ज़िन्दगी गुजार सकें। ऐसे में म्यूचुअल फंड में इन्वेस्टमेंट एक बेहतरीन विकल्प है। इसमें आप एसआईपी, अर्थात सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान के साथ जा सकते हैं, अथवा एकमुश्त निवेश भी कर सकते हैं।

रिटायरमेंट की प्लानिंग अगर आपने शुरू नहीं की है, तो आज ही से  इसे शुरू करने का संकल्प लें! जी हां! दुनिया में भला ऐसा कौन सा व्यक्ति होगा, जिसको कभी न कभी रिटायर ना होना पड़े?

समय अपनी गति से चलता रहता है, और जल्द ही पता चलता है कि जिंदगी की भाग दौड़ में जाने कब आप पर सीनियर सिटीजन का लेवल लग गया!

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सामान्य तौर पर 60 साल या 65 साल में लोग रिटायर हो जाते हैं। देखा जाए तो एक औसत व्यक्ति 25 साल की उम्र से कमाना शुरु करता है। 35-40 की उम्र तक तो उसे रिटायरमेंट का ध्यान ही नहीं आता है। बहुत कम ही लोग इस समय तक सोच पाते होंगे कि रिटायरमेंट भी कोई चीज है, और यही वह गलती है, जिसे करने से बचना चाहिए।

ध्यान रहे, आपको बेहद जल्दी सेवानिवृत्ति की योजना बनानी चाहिए, ताकि आप एक सुकून भरी रिटायरमेंट की ज़िन्दगी गुजार सकें।

ऐसे में म्यूचुअल फंड में इन्वेस्टमेंट एक बेहतरीन विकल्प है। इसमें आप एसआईपी, अर्थात सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान के साथ जा सकते हैं, अथवा एकमुश्त निवेश भी कर सकते हैं। ध्यान रखिए म्यूच्यूअल फंड्स आपको बेहतर रिटर्न देता है, किंतु कौन से फंड्स का चयन आप करते हैं, और आपका फाइनेंशियल कंसलटेंट आप को आखिर कौन सी सलाह देता है, यह काफी इंपोर्टेंट है। आप खुद भी बहुत सारे प्लान्स की तुलना कर सकते हैं। साथ ही उन सभी में निवेश के अमाउंट से लेकर टैक्स सेविंग और रिटर्न तक समझने की कोशिश करें। चूंकि महंगाई हर समय बढ़ती है, और हाँ, आज के हिसाब से अपने रिटायरमेंट प्लान को ना सोचें। आज अगर ₹100 में आपको 5 किलो आलू मिलता है, तो बहुत मुमकिन है कि 25 साल बाद ₹100 में आपको 2 किलो आलू ही मिले। यह बेहद साधारण उदाहरण है, किंतु हर तरह के खर्चे में भारी बढ़ोतरी होती है। ऐसे में रिटायरमेंट की उम्र में आपको कितने फंड्स की जरूरत पड़ने वाली है, उस हिसाब से इन्वेस्टमेंट करने का प्रयत्न करें।

सारा पैसा एक ही जगह ना लगाएं।

ध्यान रखिए बहुत सारे लोग यह गलतियां करते हैं। बहुत सारा पैसा वह प्रॉपर्टी में डाल देते हैं, या अपना सारा पैसा शेयर मार्केट में लगाने की सोचते हैं, या म्यूचुअल फंड में ही सब डाल बैठते हैं। या बहुत हुआ तो गोल्ड में निवेश कर लेते हैं। अगर आप इन्वेस्टमेंट में डायवर्सिफाई नहीं करते हैं, तो आप खुद के साथ रिस्क लेते हैं, जो रिटायरमेंट की उम्र में आपको नहीं लेना चाहिए। अपने फंड्स को अलग-अलग जगह पर निवेश करें और ऐसे में आपको नुकसान होने की संभावना उतनी ही कम होगी। वैसे भी कहा गया है कि 'डोंट पुट आल योर एग्स इन वन बास्केट', अर्थात एक ही टोकरी में सभी अंडे नहीं रखना चाहिए। इन्वेस्टमेंट को लेकर यह बेस्ट सलाह है।

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डायवर्सिफिकेशन से फायदा यह होगा कि अगर कोई इंवेस्टमेंट आपको कम रिजल्ट देता है, तो दूसरा इन्वेस्टमेंट आपको बेहतर रिजल्ट दे सकता है।

और हाँ! रिटायरमेंट प्लानिंग में आप बृहद आंकलन करना न भूलें। आप जरूर आकलन करें कि इसमें बच्चों की शिक्षा से लेकर, उनकी शादी, घर बनाना- खरीदना जैसे खर्चे शामिल हो सकते हैं। बहुत मुमकिन है कि आप रिटायरमेंट के बाद वर्ल्ड टूर करना चाहें, उसके लिए क्या खर्चे हो सकते हैं। ऐसे में जब आप एक चेक लिस्ट तैयार करते हैं, वास्तव में तब आप समझ पाते हैं कि रिटायरमेंट के लिए आपको किस दिशा की ओर जाना चाहिए।

लिक्विड कैश की उपलब्धता ज़रूरी है!

ऊपर की तमाम सलाहों के अतिरिक्त आपके पास लिक्विड कैश होना आवश्यक है। कैश की ज़रुरत तमाम इन्वेस्टमेंट पूरा नहीं कर सकती हैं। वास्तव में इमरजेंसी की सिचुएशन ऐसी होती है, कि अगर उस वक्त आपके पास कैश की उपलब्धता न हो, तो आपको दूसरों के सामने हाथ फैलाना पड़ सकता है और यह आपके स्वाभिमान को मंजूर न हो शायद, वह भी रिटायरमेंट के दिनों में!

तो अपने सेविंग एकाउंट्स में इतना पैसा, वह भी कैश के रूप में ज़रूर रखें कि आपात स्थिति में वह आपके काम आ सके।

- मिथिलेश कुमार सिंह

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