2018 में इस तरह बचाएं इनकम टैक्स, ये रहे निवेश के बेहतरीन विकल्प

Save Income Tax in 2018, the best option for investments

जब आप एक निश्चित सीमा से ज्यादा आय अर्जित करते हैं तो आपको अपने आय पर कर देना जरूरी हो जाता है। इनकम पर टैक्स यानी आय कर। सरकार द्वारा तय किए गए दर पर इनकम टैक्स जमा करना अनिवार्य है।

जब आप एक निश्चित सीमा से ज्यादा आय अर्जित करते हैं तो आपको अपने आय पर कर देना जरूरी हो जाता है। इनकम पर टैक्स यानी आय कर। सरकार द्वारा तय किए गए दर पर इनकम टैक्स जमा करना अनिवार्य है। आप अपनी करयोग्य राशि को टैक्स सेविंग्स स्कीम में निवेश कर प्रबंधन कर सकते हैं। 

निवेश सभी के लिए जरूरी है लेकिन इनकम पर कितना टैक्स देना है और कितना टैक्स बचाना है इस पर भी सभी को ध्यान देना जरूरी है। आपके इंवेस्टमेंट के इंटरेस्ट पर जब टैक्स लगना शुरू हो जाता है तो भविष्य के लिए यह बाधा बन जाती है और आपकी सारी गाढ़ी कमाई टैक्स जमा करने में ही खर्च हो सकती है। बहुत सारे लोग इस बात को नहीं समझते हैं या समझदारी के अभाव में टैक्स सेविंग्स स्कीम में निवेश नहीं करते हैं। हम जब बैंकों के फिक्सड डिपोजिट स्कीम में निवेश करते हैं तो हमारा फोकस सिर्फ फिक्सड डिपोजिट पर कितना ब्याज मिल रहा है, इस पर रहता है, जबकि हमें इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि इस फिक्सड डिपोजिट में निवेश कर हम कितना कर योग्य राशि बचा कर अर्जित कर सकते हैं। फिक्सड डिपोजिट स्कीम में निवेश कर आप अपनी कमाई पर लगने वाले टैक्स का कितना प्रतिशत बचा सकते हैं, इस बात को समझना ज्यादा जरूरी है। 

अब नया वित्तीय वर्ष आ रहा है और नए साल में आपके नए फाइनेंसियल लक्ष्य भी होंगे। आइए जानते हैं ऐसे किस इंस्ट्रूमेंट्स में निवेश करें जिससे ज्यादा से ज्यादा टैक्स बचत तो हो ही साथ ही साथ ज्यादा से ज्यादा कमाई भी हो सकती है। 

टैक्स सेविंग फिक्सड डिपोजिट

फिक्स डिपोजिट स्कीम भारत में निवेश करने की एक पारंपरिक स्कीम है। आपके दादा और पिताजी भी आपको फिक्सड डिपोजिट स्कीम में निवेश करने की सलाह देते होंगे। लेकिन निवेश करने से पहले आप यह सोचते होंगे कि आप इनमें निवेश कर अपनी आय पर कितना टैक्स देंगे। अगर फिक्सड डिपोजिट पर मिलने वाला ब्याज 10,000 रुपये से है तो बैंक आपके फिक्सड डिपोजिट पर 10 प्रतिशत टीडीएस काटता है। अगर आप लांग टर्म गोल के लिए टैक्स की बचत करना चाहते हैं तो आपको ऐसे फिक्सड डिपोजिट स्कीम में निवेश करना चाहिए, जिसमें ज्यादा से ज्यादा टैक्स की बचत होती हो। हालांकि प्राय सभी बैंकों के एफडी की ब्याज दर एक समान ही होती है, हां एफडी के मैच्यूरिटी पर मिलने वाली कुल रकम में थोड़ा बहुत अंतर हो सकता है। उदाहरण के लिए अगर आप स्टेट बैंक के रेग्युलर फिक्सड डिपोजिट से अन्य बैंकों की एफडी पर मिलने वाले ब्याज दर की तुलना करते हैं तो थोड़ा बहुत अंतर मिल सकता है। लेकिन अगर आप FD calculator का इस्तेमाल करते हैं तो संभव है कि कई टैक्स सेविंग डिपोजिट पर आपको ज्यादा आय की संभावना दिखेगी। इस तरह के फिक्स्ड डिपॉजिट पर आम बैंक एफडी से कम ब्याज मिलता है। ऐसे डिपॉजिट में 5 साल का लॉक इन पीरियड रहता है। हालांकि इस एफडी पर मिलने वाले ब्याज पर टैक्स लगाया जाता है। इस तरह के एफडी पर समय से पूर्व मैच्यूर्ड राशि नहीं ले सकते और न ही इस पर लोन लेने की सुविधा बैंक देती है।

इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम (ELSS)

टैक्स में लाभ पाने का यह एक बेहद आसान तरीका है। यह एक प्रकार का डाइवर्सिफाइड म्यूचुअल फंड का प्रकार है जिसे इनकम टैक्स कानून के तहत टैक्स में छूट के लिए खरीदा जाता है। यह स्कीम तीन साल के लॉक इन पीरियड के साथ उपलब्ध है। ELSS स्कीम के तहत निवेश किए गए राशि पर section 80C के अंतर्गत 1.5 लाख तक का टैक्स छूट का लाभ मिलता है। बता दें कि ELSS एक इक्विटी स्कीम है और इसका 65 फीसदी हिस्सा इनकम टैक्स एक्ट के तहत टैक्स फ्री होता है। ELSS के तहत मिलने वाले रिटर्न पर ग्राहक को किसी तरह की गारंटी नहीं दी जाती है, क्योंकि इसके तहत निवेश किए गए राशि और एसेट का लिंक सीधा बाजार के भाव पर आधारित होता है। ELSS में डिविडेंड और ग्रोथ का विकल्प खुला रहता है। अगर आप लांग टर्म गोल के लिए और नियमित अंतराल पर एक निर्धारित आय लेना चाहते हैं तो ELSS आपके लिए निवेश का बेहतर ऑप्शन होगा। 

यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान (यूएलआईपी)

यह एक इंश्योरेंस प्लान है। इसमें निवेश से आपको ईक्विटी के साथ-साथ इंश्योरेंस का लाभ भी मिलता है। वहीं यह सेक्शन 80 सी के तहत टैक्स में छूट के दायरे में भी आता है। यूलिप में निवेश आपको जीवन की आर्थिक अनिश्चितताओं से सुरक्षा प्रदान करता है। यूलिप में पांच से लेकर 9 तरह के फंड ऑप्शन उपलब्ध हैं। यूलिप में भी इक्विटी पांच साल के लॉक इन पीरियड के साथ मिलता है। मैच्यूरिटी के बाद आपके पॉलिसी पर मिलने वाली कुल रकम पूरी तरह टैक्स फ्री होती है। यूलिप प्लान सभी के लिए फायदेमंद साबित नहीं होता है, खासकर उनके लिए जो पहले से ही ELSS और लाइफ इंश्योरेंस प्लान में निवेश कर चुका है। 

ईपीएफ और पीपीएफ 

आपकी सैलरी से प्रति माह प्रॉविडेंट फंड के लिए कटने वाला पैसा भी इनकम टैक्स नियम के सेक्शन 80 सी के तहत टैक्स में छूट के दायरे में आता है। रिटायरमेंट के बाद भी इस पर कोई टैक्स नहीं लगता है। यह एक स्मॉल सेविंग स्कीम है जिसमें आप कम से कम 500 रुपये और अधिकतम 1.50 लाख रुपये तक निवेश कर सकते हैं। इस निवेश पर आपको 8 फीसदी की दर से ब्याज मिलता है। इसमें निवेश और मिलने वाला ब्याज पूरी से टैक्स फ्री होता है। 

इसके अलावा सुकन्या समृद्धि स्कीम भी बेहतर विकल्प है निवेश करने के लिए। इस स्कीम के तहत यदि आप अपनी 10 साल से कम उम्र की बेटी के नाम पर निवेश करते हैं तो इनकम टैक्स नियम के सेक्शन 80 सी के तहत 1.50 लाख रुपये तक के निवेश पर आप छूट ले सकते हैं। इस स्कीम के तहत आप दो बेटियों के लिए खाता खुलवा सकते हैं। केंद्र सरकार ने यह स्कीम बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना के तहत शुरू की है।

- अभिषेक चक्रवर्ती

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