जानिये हर राज्य में अलग पेट्रोल-डीजल मूल्य का क्या है गणित

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कमलेश पांडे । Sep 25 2018 2:20PM

हाल के दिनों में पेट्रोल और डीजल दोनों बहुउपयोगी ईंधनों की कीमतें निरन्तर आसमान छू रही हैं। ऐसा इसलिए कि दैनिक मूल्य संशोधन के बाद इन दोनों महत्वपूर्ण ईंधनों की कीमतें बेकाबू होती जा रही हैं, जिससे महंगाई भी बढ़ रही है।

हाल के दिनों में पेट्रोल और डीजल दोनों बहुउपयोगी ईंधनों की कीमतें निरन्तर आसमान छू रही हैं। ऐसा इसलिए कि दैनिक मूल्य संशोधन के बाद इन दोनों महत्वपूर्ण ईंधनों की कीमतें बेकाबू होती जा रही हैं, जिससे महंगाई भी बढ़ रही है। लिहाजा सवाल उठ रहे हैं कि ईंधन की कीमतों की गणना कैसे की जाती है और इसमें कितने तरह के कर शामिल होते हैं। साथ ही, पेट्रोल और डीजल के मूल्यों में राज्यवार करारोपण सम्बन्धी विसंगतियां क्यों है? आखिरकार क्यों नहीं इसे भी जीएसटी के दायरे में लाया जा रहा है? वास्तव में, ये ऐसे सवाल हैं जिनका उत्तर देना किसी भी सरकार के लिए आसान नहीं है, क्योंकि आमलोगों से परोक्ष कर वसूलने का यह सबसे आसान फंडा प्रतीत हो रहा है, जिससे लोग हांफ रहे हैं।

यही वजह है कि भारत में ईंधन की कीमतों को केंद्र और राज्य सरकारों की पारस्परिक सहमति से नवीनतम जीएसटी फ्रेमवर्क से बाहर रखा गया है, क्योंकि केंद्र सरकार ने उत्पाद शुल्क के रूप में और राज्य सरकारों ने वैट के रूप में इसपर भारी भरकम कर लादे हुए हैं। यह ठीक है कि उत्पाद शुल्क में मामूली कटौती के बावजूद अंतरराष्ट्रीय कच्चे तेल की कीमतों के कारण पेट्रोल-डीजल की कीमतें हालिया उच्चतम स्तर पर पहुंच चुकी हैं, जिससे आम लोगों में हाहाकार मचा हुआ है। यदि आप विगत 18 महीनों में हुई मूल्य वृद्धि के कुछ कारणों पर नजर दौड़ाएंगे तो पता चलता है कि इस दरम्यान कच्चे तेल की कीमतों में काफी इजाफा हुआ जो कि 45 डॉलर प्रति बैरल से बढ़कर 78.43 डॉलर प्रति बैरल हो गया।

इसके अलावा, पेट्रोल और डीजल में लगभग 1 रुपये प्रति लीटर पेट्रोल पंप कमीशन में वृद्धि हुई है। यही नहीं, डॉलर के मुकाबले रुपये के कमजोर पड़ने से भी पेट्रोल-डीजल की कीमतों में मूल्य वृद्धि लाजिमी है। बता दें कि कुछ समय पहले तक 1 डॉलर की कीमत 71 रुपये के बराबर थी, जो कि आज 79 रुपये तक पहुंच चुकी है। स्पष्ट है कि डॉलर के मुकाबले रुपए के मूल्य की कमी हो जाने से अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर तेल कंपनियों को कच्चे तेल के लिए अधिक रुपयों का भुगतान करना पड़ रहा है, जिसका बोझ वो आमलोगों पर डाल दे रही हैं।

जहां तक कच्चे तेल की लागत की गणना का सवाल है तो पेट्रोल और डीजल पर यह निम्न रूप से है- अंतरराष्ट्रीय स्तर पर क्रूड ऑइल की कीमत 78.43 डॉलर तक पहुंच चुकी है। इसके अलावा, तेल आयात करने पर बैरल लागत और 1.5 $ ओशन फ्रेट का भुगतान करना पड़ता है। कुल मिलाकर आयात लागत के रूप में यह प्रति बैरल 79.93 डॉलर पड़ता है जो कि आईएनआर में 5700 रुपये के बराबर है। यह कीमत विनिमय दर 71.4 रुपये प्रति यूएसडी पर आधारित है जो कि अभी बहुत ज्यादा है और लगभग 80 रुपए तक पहुंच चुका है।

दरअसल, नई दिल्ली में पेट्रोल और डीजल की कीमतों के लिए सरलीकृत गणना चार्ट इस प्रकार है:- पेट्रोल और डीजल की कीमत की मूल्य गणना ओशन फ्रेट के साथ कच्चे तेल की अंतर्राष्ट्रीय कीमत गत 4 सितंबर 2018 को प्रति बैरल 79.93 डॉलर यानी कि 5700 रुपये प्रति बैरल थी। चूंकि कच्चे तेल की 1 बैरल में 159 लीटर कच्चे तेल होते हैं। इस प्रकार 159 लीटर कच्चे तेल की प्रति लीटर लागत 35.89 रुपये और मूल ओएमसी लागत गणना यथा प्रवेश कर, रिफाइनरी प्रसंस्करण, ओएमसी मार्जिन, फ्रेट लागत आदि 3.45 रुपये प्रति लीटर और 7.14 रुपये प्रति लीटर तक पड़ेंगी। इस प्रकार परिष्करण लागत के बाद ईंधन की मूल लागत प्रति लीटर 39.34 रुपये और ओएमसी मार्जिन व फ्रेट लागत सहित प्रति लीटर 43.03 रुपये तक पड़ेंगी।

इसके अतिरिक्त, केंद्र सरकार द्वारा चार्ज किए गए एक्साइज ड्यूटी और रोड सेस पेट्रोल पर 19.48 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 15.33 रुपये प्रति लीटर है। इस प्रकार वैट लगने से पहले डीलरों को चार्ज किया गया खुदरा मूल्य प्रति लीटर 58.82 रुपये और प्रति लीटर 58.36 रुपये है। इस डीलर खुदरा मूल्य की गणना, बेस स्थान दिल्ली, पेट्रोल पंप डीलरों के लिए आयोग प्रति लीटर 3.63 रुपये और प्रति लीटर 2.53 रुपये वैट से पहले ईंधन लागत लगभग प्रति लीटर 62.45 रुपये और प्रति लिटर 60.89 रुपये है।

इसके अतिरिक्त, वैट जो कि राज्य दर राज्य भिन्न भिन्न होता है, दिल्ली में पेट्रोल पर 27 प्रतिशत और डीजल +25 पी पर 16.75 प्रतिशत सरचार्ज के साथ है, जबकि प्रदूषण सेस के रूप में पेट्रोल पर 16.86 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 10.45 रुपये प्रति लीटर लिया जाता है। जिसके मुताबिक 4 सितम्बर 2018 को अंतिम खुदरा मूल्य गणना प्रति लीटर 79.31 रुपये और प्रति लीटर 71.34 रुपये थी।

बता दें कि 2017 के अंत से पेट्रोल में 10 प्रतिशत ईथनॉल पेट्रोल के साथ मिश्रित किया गया है, जो कि एक प्राकृतिक ईंधन है और चीनी तथा स्टार्च से बना है। इसे बिना किसी बदलाव के पेट्रोल के साथ बहुत अच्छी तरह से मिश्रित किया जा सकता है। खास बात यह कि इसमें कोई पीएम (विशेष सामग्री) प्रदूषण नहीं है। हालांकि पकड़ने वाली बात यह है कि इथेनॉल की कीमत प्रति लीटर 40.85 रुपये है, जबकि यह पेट्रोल में मिश्रित है और दी गई संयुक्त दर पर वह उपभोक्ताओं को बेची जाती है। इसका तातपर्य यह है कि यदि आपकी कार पेट्रोल भरवाने के लिए जाती है तो उसमें 30 लीटर पेट्रोल की जगह 27 लीटर पेट्रोल और 3 लीटर इथेनॉल मिलेगा, लेकिन 3 लीटर इथेनॉल की कीमत भी पेट्रोल की कीमत जितनी ही वसूली जाएगी, जो कि अनुचित प्रतीत होता है।

#पेट्रोल और डीजल ईंधन पर कराधान की एक झलक:-

सवाल है कि अंतरराष्ट्रीय कच्चे तेल की लागत गिरने के बावजूद भारत में पेट्रोल और डीजल की कीमतें लगातार ऊंची क्यों हैं? ऐसा इसलिए कि कच्चे तेल की दरों के अलावा दो और महत्वपूर्ण कारक वैट और उत्पाद शुल्क हैं जो ईंधन लागत का निर्धारण करते हैं। आपके समझने के लिए मैंने इसे नवम्बर 2014 में कर, अगस्त 2017 में कर और सितम्बर 2018 में कर जैसी तीन कोटियों में विभाजित करके क्रमशः इनके मूल्य यहां दिए जा रहे हैं जो इस प्रकार हैं:- पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क प्रति लीटर 9.20 रुपये, प्रति लीटर 21.48 रुपये और प्रति लीटर 19.48 रुपये लगाया गया है। जबकि डीजल पर उत्पाद शुल्क क्रमशः प्रति लीटर 13.46 रुपये, प्रति लीटर 17.33 रुपये, प्रति लीटर 15.33 रुपये लगाया गया है। इसी प्रकार, पेट्रोल पर मूल मूल्य पर वैट क्रमशः 20 प्रतिशत, 27 प्रतिशत और 27 प्रतिशत लगाया गया है। जबकि डीजल पर मूल मूल्य पर वैट क्रमशः 12.5 प्रतिशत, 16.75 प्रतिशत और 16.75 प्रतिशत है।

वास्तव में, ईंधन प्राप्त करने के लिए कर भुगतान ईंधन की कुल लागत का दिल्ली में पेट्रोल पर प्रति लीटर 36.34 रुपये (45 प्रतिशत) है जिससे इसका खुदरा बिक्रय मूल्य प्रति लीटर 79.31 रुपये हो जाता है। इसी प्रकार डीजल पर प्रति लीटर 25.78 रुपये (36 प्रतिशत) है जिससे इसका खुदरा मूल्य प्रति लीटर 71.34 रुपये हो जाता है। यह आंकड़ा आधार वर्ष- सितम्बर 2018 दिल्ली में कीमतें पर आधारित है। इसका अर्थ यह है कि आप जिन पेट्रोलियमों को भर रहे हैं, उनके लिए आप राज्य भर में 36.34 रुपये प्रति लीटर कर का भुगतान कर रहे हैं, जबकि अन्य शहरों में यह कर और भी अधिक है।

यदि आप देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में रह रहे हैं तो आप भारत में पेट्रोल की कीमतों पर उच्चतम कर चुका रहे हैं। कारण कि मुंबई में उच्चतम राज्य स्तरीय कर (अतिरिक्त अधिभार के साथ वैट) है और सितंबर 2018 में यह कीमत प्रति लीटर 86.7 रुपये के करीब है। क्योंकि मुंबई में एक्साइज + वैट + सरचार्ज पेट्रोल में लगभग 39.12 फीसदी अकेले है।

भारत में ईंधन की कीमतें गत 4 सितम्बर 2018 तक घोषित कीमतों पर क्रमशः पेट्रोल और डीजल मूल्य प्रति लीटर पर आधारित हैं जो कि विभिन्न महानगरों/शहरों के लिए अलग-अलग हैं:- जैसे- नई दिल्ली में क्रमशः 79.31 रुपये और 71.43 रुपये, मुंबई में 86.72 रुपये और 75.82 रुपये, चेन्नई में 82.41 रुपये और 75.48 रुपये, कोलकाता में 82.22 रुपये और 74.27 रुपये, अंडमान और निकोबार द्वीप में 68.8 9 रुपये और 67.46 रुपये। इस प्रकार उपर्युक्त ईंधन मूल्य के बीच अंतर के लिए आश्चर्य तो होता है, लेकिन विकल्प क्या है?

वास्तव में, विभिन्न राज्यों में ईंधन की कीमतों में विसंगति के प्रमुख कारणों में से एक अहम कारण यह है कि पेट्रोलियम मूल्यों पर कोई जीएसटी ढांचा नहीं है। जिससे अभी भी कुछ राज्यों में अतिरिक्त अधिभार के साथ खास अंतर दरों पर वैट लगाया गया है। जहां तक वैट रेट में अंतर का सवाल है तो यह वैट दरें राज्य दर राज्य में भिन्न-भिन्न ही होती है। यही वजह है कि महाराष्ट्र, पंजाब, तेलंगाना, केरल और तमिलनाडु में वैट दर सबसे ज्यादा हैं, तो गोवा जैसे कुछ राज्यों में वैट दर सबसे कम है।

विभिन्न राज्यों में पेट्रोल और डीजल पर वैट दरें क्रमशः निम्नलिखित हैं:- नई दिल्ली में 27 प्रतिशत और 16.75 प्रतिशत + 25 पीसेस; मुंबई और पुणे में 39.12 प्रतिशत और 24.78 प्रतिशत; चेन्नई में 32.16 प्रतिशत और 24.08 प्रतिशत; कोलकाता में 25.25 प्रतिशत और 17.54 प्रतिशत; हैदराबाद में 33.31 प्रतिशत और 26.01 प्रतिशत; चंडीगढ़ में 19.75 प्रतिशत और 11.42 प्रतिशत; गोवा में 16.66 प्रतिशत और 18.88 प्रतिशत; पंजाब में 35.12 प्रतिशत और 16.74 प्रतिशत तथा अंडमान और निकोबार द्वीप में 6 और 6 प्रतिशत है।

इस प्रकार यह कहा जा सकता है कि भारत में विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में पेट्रोलियम उत्पादों पर लागू अलग अलग वैट दरों से भी ईंधन मूल्यों की मंहगाई पर गम्भीर असर पड़ता है, जिससे बचे जाने की जरूरत है। इसके अलावा, केंद्र सरकार को भी चाहिए कि वह इस पर लगे उत्पाद शुल्क को तर्कसंगत बनाए, ताकि महंगाई घटे और आमलोग लाभान्वित हो सकें।

-कमलेश पांडे

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