जानिये अमावस्या से जुड़ी कुछ खास बातें, इस दिन नहीं करें ये गलतियां

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कमल सिंघी । Oct 16 2018 12:53PM

प्रकृति में जिस प्रकार हर वस्तु का अपना महत्व है ठीक वैसे ही दिन का भी अपना ही विशेष महत्व है। पूर्णिमा की रात चांद आकाश में चमकता हुआ बेहद खूबसूरत नजर आता है, लेकिन अमावस्या को चांद के दर्शन नहीं होते।

प्रकृति में जिस प्रकार हर वस्तु का अपना महत्व है ठीक वैसे ही दिन का भी अपना ही विशेष महत्व है। पूर्णिमा की रात चांद आकाश में चमकता हुआ बेहद खूबसूरत नजर आता है, लेकिन अमावस्या को चांद के दर्शन नहीं होते। अमावस्या की अंधेरी काली रात अनेक बुरी शक्तियां भी जाग्रत होती हैं। आइए यहां जानते हैं इस दिन से जुड़ी कुछ खास बातें...

जाग्रत होती हैं ऐसी शक्तियां

ऐसा कहा जाता है तांत्रिकों के लिए ये रात खास होती है जब वे अपनी सिद्धियों से विभिन्न शक्तियों को जाग्रत करते हैं और उनसे कार्य कराते हैं। इस वजह से अमावस्या की रात एक ओर जहां तांत्रिकों की रात मानी जाती है तो वहीं दूसरी ओर इस बचने के लिए भी प्रयास किए जाते हैं।

वर्ष की 12 पूर्णिमाओं में कार्तिक पूर्णिमा, माघी पूर्णिमा, शरद पूर्णिमा, गुरु पूर्णिमा, बुद्ध पूर्णिमा आदि मुख्य पूर्णिमा मानी गई हैं। हिन्दू पंचांग के अनुसार माह के 30 दिन को चन्द्र कला के आधार पर 2 पक्षों में

बांटा गया है शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष। जो कि प्रत्येक माह में 15 दिन के होते हैं। हिंदू धर्म में इसका विशेष महत्व है। हर पाक्षिक में पूर्णिमा और अमावस्या पर उनके महत्व के अनुसार ही दान पुण्य किया जाता है।

पवित्र नदियों में स्नान का विशेष महत्व

वहीं दूसरी ओर पूर्णिमा के समान ही अमावस्या पर भी पवित्र नदियों में स्नान का महत्व है। प्रत्येक माह की अमावस्या और पूर्णिमा के साथ एक कथा जुड़ी हुई है। अमावस्या के दिन दान व ईश्वर की आराधना अवश्य करना चाहिए। ऐसा करने से ईष्ट जहां प्रसन्न होते हैं वहीं बुरी शक्तियां भी आपसे दूर रहती हैं एवं विशेष ग्रह नक्षत्रों का भी विशेष लाभ प्राप्त होता है।

ना करें इनका सेवन

हर अमावस्या और पूर्णिमा का प्रभाव माह के अनुसार भी पड़ता है। ग्रह नक्षत्रों के हिसाब से विभिन्न राशियों के जातकों पर ही इसका प्रभाव देखने को मिलता है। यही वजह है कि इस दिन पवित्र नदियों में स्नान और ईश्वर की आराधना की सलाह दी जाती हैं। अमावस्या पर मुख्य रूप से व्यक्ति को मांस मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए। धर्म शास्त्रों मे इसे उपर्युक्त नहीं बताया गया है।

इस दिन दी जाती है दान पुण्य की सलाह

इस दिन विभिन्न दोषों को नाश करने के लिए पुण्य दान की भी सलाह दी जाती है, किंतु ये भी उस दिन की तिथि को ध्यान में रखकर ही किया जाए तो इसका फल विशेष प्राप्त होता है। जैसे कि शनि अमावस्या पर नीली, काली वस्तुओं का दान। यदि वस्तुओं का दान दिन के महत्व के अनुसार किया जाए तो उस दिन जिस भी देवता को माना गया है उसका आशीर्वाद प्राप्त होता है और बुरी शक्तियां निकट आने से डरती हैं।

इन्हें करती हैं ज्यादा प्रभावित

ऐसा भी कहा जाता है कि कमजोर दिल वालों को ये शक्तियां ज्यादा प्रभावित करती हैं। इसका संबंध चंद्रमा की रोशनी से भी है और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से ज्वार भाटा से भी। पितृदोष से मुक्ति पाने के लिए इस दिन पितृ तर्पण स्नानदान आदि करना बहुत ही पुण्य फलदायी माना जाता है। इस दिन अनेक छूटे हुए कार्यों को भी पूर्ण किया जा सकता है।

-कमल सिंघी

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