मौनी अमावस्या पर स्नान और दान का है खास महत्व

आज मौनी अमावस्या है, इसका हिन्दू धर्म में विशेष महत्व है, इस दिन नदियों में स्नान और दान को प्रशंसनीय माना जाता है, तो आइए हम आपको मौनी अमावस्या के महत्व के बारे में बताते हैं।
मौनी अमावस्या के बारे में रोचक जानकारी
इस तिथि पर मौन रखने का विशेष महत्व है। इस दिन मौन रहने का अर्थ है मौन धारण करके मुनियों के समान आचरण करते हुए स्नान करने के विशेष महत्व के कारण ही माघ मास के कृष्णपक्ष की अमावस्या तिथि मौनी अमावस्या कहलाती है। माघ मास में गोचर करते हुए भुवन भास्कर भगवान सूर्य जब चंद्रमा के साथ मकर राशि पर आसीन होते हैं तो ज्योतिष शास्त्र में उस काल को मौनी अमावस्या कहा जाता हैं। इस बार मकर राशि में बन रहा है चतुष्ग्रही योग। वैसे तो जब सूर्य और चंद्रमा का एक साथ गोचरीय संचरण शनि देव की राशि मकर में होता है तब उस महत्त्वपूर्ण पुण्य तिथि को मौनी अमावस्या कहा जाता है। इस वर्ष जहाँ सूर्य पुत्र शनि देव स्वगृही होकर मकर राशि मे गोचर कर रहे है , वही चंद्रमा भी अपने पुत्र बुध के साथ बुधादित्य योग का निर्माण करके मकर राशि में गोचर करते हुए इस दिन की शुभता को बढ़ाने वाले है।
मौनी अमावस्या के दिन क्यों रहते हैं मौन?
मौनी अमावस्या के दिन मौन धारण करते हुए जप-तप के कार्य किए जाते हैं। शास्त्रों के अनुसार मन के देवता चंद्र देव हैं। अमावस्या के दिन चंद्रमा के दर्शन ना होने की वजह से मन की स्थिति बिगड़ने लगती है। इसलिए इस दिन मौन रहकर कमजोर मन को संयमित करने का विधान है। पंडितों के अनुसार इस दिन व्रत रखकर मन ही मन ईश्वर का जाप और दान करना चाहिए। इस दिन ऋषियों की तरह चुप रहने से उत्तम फलों की प्राप्ति होती है। इस दिन किसी को भी कटु शब्द कहने से भी बचना चाहिए। मौनी अमावस्या के दिन भगवान विष्णु और शिव दोनों की पूजा करने से मोक्ष प्राप्ति के मार्ग खुलते हैं। जो व्यक्ति मौन रखकर इस व्रत को पूरा करता है तो उसे मुनि पद की प्राप्ति होती है।
मौनी अमावस्या से जुड़ी पौराणिक कथा
प्राचीन काल में कांचीपुर में एक बहुत सुशील गुणवती नाम की कन्या थी। विवाह योग्य होने पर उसके पिता ने जब ज्योतिषी को उसकी कुंडली दिखाई तो उन्होंने कन्या की कुंडली में वैधव्य दोष बताया। उपाय के अनुसार गुणवती अपने भाई के साथ सिंहल द्वीप पर रहने वाली सोमा धोबिन से आशीर्वाद लेने चल दी।दोनों भाई-बहन एक वृक्ष के नीचे बैठकर सागर के मध्य द्वीप पर पहुंचने की युक्ति ढूंढ़ने लगे। वृक्ष के ऊपर घौसले में गिद्ध के बच्चे रहते थे । शाम को जब गिद्ध परिवार घौंसले में लौटा तो बच्चों ने उनको दोनों भाई-बहन के बारे में बताया। उनके वहां आने कारण पूछकर उस गिद्ध ने दोनों को अपनी पीठ पर बिठाकर अगले दिन सिंहल द्वीप पंहुचा दिया।वहां पहुंचकर गुणवती ने सोमा की सेवा कर उसे प्रसन्न कर लिया। जब सोमा को गुणवती के वैधव्य दोष का पता लगा तो उसने अपना सिन्दूर दान कर उसे अखंड सुहागिन होने का वरदान दिया। सोमा के पुण्यफलों से गुणवती का विवाह हो गया वह शुभ तिथि मौनी अमावस्या ही थी।
मौनी अमावस्या के दिन प्रयागराज में लगता है विशेष मेला
हिन्दू पंचांग के अनुसार, माघ कृष्ण अमावस्या को मौनी अमावस्या के रूप में मनाते हैं। इस दिन माघ का दूसरा शाही स्नान होता है। प्रयागराज में हर साल लगने वाले माघ मेले में मौनी अमावस्या को लाखों को श्रद्धालु त्रिवेणी संगम में स्नान करने को पहुंचते हैं। पंडितों ने मौनी अमावस्या के दिन प्रयागराज के संगम में स्नान का विशेष महत्व बताया गया है। इस दिन यहां देव और पितरों का संगम होता है। शास्त्रों में इस बात का उल्लेख मिलता है कि माघ के महीने में देवतागण प्रयागराज आकर अदृश्य रूप से संगम में स्नान करते हैं। वहीं मौनी अमावस्या के दिन पितृगण पितृलोक से संगम में स्नान करने आते हैं और इस तरह देवता और पितरों का इस दिन संगम होता है। इस दिन किया गया जप, तप, ध्यान, स्नान, दान, यज्ञ, हवन कई गुना फल देता है।
शास्त्रों के अनुसार इस दिन मौन रखना, गंगा स्नान करना और दान देने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। अमावस्या के विषय में कहा गया है कि इस दिन मन, कर्म तथा वाणी के जरिए किसी के लिए अशुभ नहीं सोचना चाहिए। केवल बंद होठों से " ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नम: तथा "ॐ नम: शिवाय " मंत्र का जप करते हुए अर्घ्य देने से पापों का शमन एवं पुण्य की प्राप्ति होती है।
शुभ योग में मौनी अमावस्या, इन कार्यों को करने से बचें
इन दिन गरीबों, असहाय तथा पूर्वजों का अपमान करने से बचें इससे नुकसान होता है। इससे शनिदेव नाराज होते हैं। साथ ही धोखाधड़ी तथा झूठ से भी बचना चाहिए।
मौनी अमावस्या पर गंगा स्नान का है खास महत्व
शास्त्रों के अनुसार मौनी अमावस्या के दिन गंगा नदी में स्वर्ग से आकर देवता वास करते हैं इसलिए गंगा नदी में स्नान का विशेष महत्व है। इस दिन प्रयागराज तथा हरिद्वार में स्नान विशेष फलदायी होता है।
मौनी अमावस्या के दिन क्यों करें ये खास काम
इस दिन स्नान के बाद आटे की गोलियां बनाकर मछलियों को खिलाएं इससे सभी दुख-दर्द खत्म हो जाते हैं। साथ ही पंडितों के अनुसार इस दिन चीटिंयों को आटे में शक्कर मिलाकर खिलाना लाभदायी होता है। इससे समृद्धि आती है। इसके अलावा गरीबों को कपड़े और तिल दान करना चाहिए इससे पितृ प्रसन्न होते हैं।
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