वसंत पंचमी पर ऐसे करें माँ सरस्वती का पूजन, यह है पूजा मुहूर्त

How to do Maa Saraswati worship on Vasant Panchami
शुभा दुबे । Jan 20 2018 10:44AM

इस पर्व को विद्या की देवी सरस्वती के जन्मदिवस के रूप में भी मनाया जाता है और देश भर में शिक्षाविद् और छात्र माँ शारदे की पूजा कर उनसे और अधिक ज्ञानवान बनाने की प्रार्थना करते हैं।

वसंत ऋतु के आगमन की खुशी के बीच मनाया जाता है वसंत पंचमी पर्व। इस पर्व को विद्या की देवी सरस्वती के जन्मदिवस के रूप में भी मनाया जाता है और देश भर में शिक्षाविद् और छात्र माँ शारदे की पूजा कर उनसे और अधिक ज्ञानवान बनाने की प्रार्थना करते हैं। वसंत पंचमी के दिन विद्यालयों में भी देवी सरस्वती की आराधना की जाती है। भारत के पूर्वी प्रांतों में तो इस दिन घरों में देवी सरस्वती की मूर्ति स्थापित कर उनकी पूजा की जाती है। अगले दिन मूर्ति को नदी में विसर्जित कर दिया जाता है। 

पूजा मुहूर्त

इस वर्ष वसंत पंचमी 22 जनवरी को पड़ रही है और पूजा का मुहूर्त सुबह 7 बजकर 13 मिनट से लेकर 12 बजकर 38 मिनट तक है। 5 घंटे 24 मिनट की इस अवधि में अज्ञानता से छुटकारा पाने के लिये देवी सरस्वती की उपासना करें। बहुत-सी जगहों पर इस दिन शिशुओं को पहला अक्षर लिखना सिखाया जाता है। बंगाल में लोग इस दिन बच्चे को पढ़ने और लिखने के लिए अवश्य कहते हैं। इस दिन छात्र अपनी पुस्तकें और कापियां तथा कलम देवी सरस्वती की मूर्ति के सामने रखते हैं और आराधना करते हैं। इस दिन हर तरह के कलाकार भी देवी सरस्वती की उपासना कर अपनी कला में और प्रवीण होने का आशीर्वाद मांगते हैं।

पीला रंग किस बात का सूचक है?

देवी भागवत में उल्लेख मिलता है कि माघ शुक्ल पक्ष की पंचमी को ही संगीत, काव्य, कला, शिल्प, रस, छंद, शब्द शक्ति जिव्हा को प्राप्त हुई थी। वसंत पंचमी पर पीले वस्त्र पहनने, हल्दी से सरस्वती की पूजा और हल्दी का ही तिलक लगाने का भी विधान है। पीला रंग इस बात का द्योतक है कि फसलें पकने वाली हैं इसके अलावा पीला रंग समृद्धि का सूचक भी कहा गया है। इस पर्व के साथ शुरू होने वाली वसंत ऋतु के दौरान फूलों पर बहार आ जाती है, खेतों में सरसों सोने की तहर चमकने लगता है, जौ और गेहूं की बालियां खिल उठती हैं और इधर उधर रंगबिरंगी तितलियां उड़ती दिखने लगती हैं। इस पर्व को ऋषि पंचमी के नाम से भी जाना जाता है।


सरस्वती देवी का जन्मदिवस भी है इस दिन

हिन्दु कैलेण्डर के अनुसार प्रत्येक वर्ष माघ मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी को मनाए जाने वाले इस त्योहार के दिन ही ब्रह्माण्ड के रचयिता ब्रह्माजी ने सरस्वती की रचना की थी। जिसके बारे में पुराणों में यह उल्लेख मिलता है कि सृष्टि के प्रारंभिक काल में भगवान विष्णु की आज्ञा से ब्रह्माजी ने मनुष्य योनि की रचना की पर अपने प्रारंभिक अवस्था में मनुष्य मूक था और धरती बिलकुल शांत थी। ब्रह्माजी ने जब धरती को मूक और नीरस देखा तो अपने कमंडल से जल लेकर छिड़का जिससे एक अद्भुत शक्ति के रूप में चतुर्भुजी सुंदर स्त्री प्रकट हुई जिनके एक हाथ में वीणा एवं दूसरा हाथ वर मुद्रा में था। यह शक्ति सरस्वती कहलाईं। उनके द्वारा वीणा का तार छेड़ते ही तीनों लोकों में कंपन हो गया और सबको शब्द और वाणी मिल गई।

श्रद्धालुओं में दिखता है उत्साह

इस दिन श्रद्धालु गंगा तथा अन्य पवित्र नदियों में डुबकी लगाने के बाद मां सरस्वती की आराधना करते हैं। उत्तराखंड के हरिद्वार और उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में तो श्रद्धालुओं की अच्छी खासी भीड़ रहती है। इस दिन लाखों की संख्या में श्रद्धालु गंगा और संगम के तट पर पूजा अर्चना करने आते हैं। इसके अलावा पंजाब, हरियाणा, उत्तराखण्ड व अन्य राज्यों से श्रद्धालु हिमाचल प्रदेश के तात्पानी में एकत्रित होते हैं और वहां सल्फर के गर्म झरनों में स्नान करते हैं।

पूजा में दिखती हैं विभिन्न छटाएँ

इस दिन उत्तर भारत के कई भागों में पीले रंग के पकवान बनाए जाते हैं और लोग पीले रंग के वस्त्र पहनते हैं। पंजाब में ग्रामीणों को सरसों के पीले खेतों में झूमते तथा पीले रंग की पतंगों को उड़ाते देखा जा सकता है। पश्चिम बंगाल में ढाक की थापों के बीच सरस्वती माता की पूजा की जाती है तो छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में प्रसिद्ध सिख धार्मिक स्थल गुरु−का−लाहौर में भव्य मेले का आयोजन किया जाता है। माना जाता है कि वसंत पंचमी के दिन ही सिख गुरु गोविंद सिंह का जन्म हुआ था।


शुभ कार्य करें लाभकारी रहेगा

वसंत पंचमी के दिन कोई भी नया काम प्रारम्भ करना भी शुभ माना जाता है। जिन व्यक्तियों को गृह प्रवेश के लिए कोई मुहूर्त ना मिल रहा हो वह इस दिन गृह प्रवेश कर सकते हैं या फिर कोई व्यक्ति अपने नए व्यवसाय को आरम्भ करने के लिए शुभ मुहूर्त को तलाश रहा हो तो वह वसंत पंचमी के दिन अपना नया व्यवसाय आरम्भ कर सकता है। इसी प्रकार अन्य कोई भी कार्य जिनके लिए किसी को कोई उपयुक्त मुहूर्त ना मिल रहा हो तो वह वसंत पंचमी के दिन वह कार्य कर सकता है। 

सरस्वती वन्दना 

वसंत पंचमी के दिन सरस्वती स्तुति का पाठ करें जो इस प्रकार है-


या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता 

या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना। 

या ब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता 

सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा॥ 


शुक्लां ब्रह्मविचार सार परमामाद्यां जगद्व्यापिनीं 

वीणा-पुस्तक-धारिणीमभयदां जाड्यान्धकारापहाम्‌। 

हस्ते स्फटिकमालिकां विदधतीं पद्मासने संस्थिताम्‌ 

वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम्‌॥

-शुभा दुबे

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़