अक्षय तृतीया का महत्व: क्यों अक्षय तृतीया के दिन होती है थोकबंद शादियां

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कमल सिंघी । May 4 2019 5:04PM

अक्षय तृतीया के दिन कई मुहूर्त रहते है। इस दिन विवाह का होना भी बड़ा महत्व रखता है। शास्त्रों के अनुसार अक्षय तृतीया के दिन स्वयंसिद्ध मुहुर्त रहता है। शास्त्रों के अनुसार ही इस दिन बिना पंचाग देखे कोई भी शुभ कार्य किया जा सकता है जो निश्चित ही सफल होता है।

अक्षय तृतीया इस वर्ष 7 मई मंगलवार को है। यह दिन भारत भर में कई त्योहारों के रूप में मनाया जाता है। इसी दिन शादियों के भी अनेक मुहूर्त रहते है और थोकबंद शादियां होती है। अक्षय तृतीया को आखा तीज भी कहा जाता है। अक्षय तृतीय हिन्दु पंचाग अनुसार वैशाख मास में शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को कहते है। माना जाता है कि इस दिन जो भी कार्य किए जाते है वे पुरी तरह सफल होते है एवं शुभ कार्यो को अक्षय फल मिलता है। इस हेतु इसे अक्षय तृतीया कहते है। वैसे तो अक्षय तृतीया को लेकर कई पौराणिक कथाएं भी है। लेकिन अक्षय तृतीया के दिन नही क्यों शादियों का होना सबसे शुभ माना जाता है। इस बारे में हम आपको हमारी इस खबर में बताएंगे। अक्षय तृतीया का अपने आप में एक विशेष महत्व है। जिसे कोई भी नकार नही सकता है। इसी दिन भगवान परशुराम जयंती भी रहती है। जो दक्षिण भारत में बड़े ही हर्षोउल्लास के साथ मनाई जाती है।

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इसलिए होती है अक्षय तृतीया के दिन थोकबंद शादियां

अक्षय तृतीया के दिन कई मुहूर्त रहते है। इस दिन विवाह का होना भी बड़ा महत्व रखता है। शास्त्रों के अनुसार अक्षय तृतीया के दिन स्वयंसिद्ध मुहुर्त रहता है। शास्त्रों के अनुसार ही इस दिन बिना पंचाग देखे कोई भी शुभ कार्य किया जा सकता है जो निश्चित ही सफल होता है। हिन्दु धर्म में विवाह सात जन्मों को संबंध है। दो आत्माओं का मेल ही अग्नि के सात फेरे लेकर होता है। अक्षय तृतीया का दिन बड़ा शुभ रहता है और इस दिन जो भी कार्य किया जाए वह अवश्य सफल रहता है। इसिलए अधिकांश शादियां अक्षय तृतीया के दिन ही होती है। ताकी महिला एवं पुरूष जीवन में विवाह के बाद बिना किसी रूकावट के अपार सफतला प्राप्त कर सकें एवं हंसी ख़ुशी अपना जीवन बिता सके। साथ ही यह भी मान्यता है कि अक्षय तृतीया के दिन अपने अच्छे आचरण और सद्गुणों से दूसरों का आशीर्वाद लेना अक्षय रहता है। 


अक्षय तृतीया के दिन भगवान परशुराम ने लिया था जन्म

अक्षय तृतीया का दिन अपने आप में कई गाथाओं को समेंटे हुए है। यह दिन अन्य दिनों से बहुत खास रहता है। भविष्य पुराण एवं स्कंद पुराण में उल्लेख है कि वैशाख शुक्ल पक्ष की तृतीया को रेणुका के गर्भ से भगवान विष्णु ने परशुराम रूप में जन्म लिया था। अक्षय तृतीया के दिन भारत के कई हिस्सों में विशेषकर दक्षिण भारत में परशुराम जयंती बडे़ ही हर्षोउल्लास के साथ मनाई जाती है। इसीदिन परशुरामजी की पूजा कर कथा भी सुनी जाती है। 

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सोना खरिदना होता है अत्यंत लाभदायक

बताया जाता है कि वर्ष में साढ़े तीन अक्षय मुहूर्त है। जिसमें प्रथम व विशेष स्थान अक्षय तृतीया का है। इसलिए इसी दिन समस्त शुभ कार्य होते है। साथ ही अक्षय तृतीया के दिन सोना खरिदना अत्यंत शुभ माना जाता है तथा गृह प्रवेश, पदभार गृहण, वाहन खरीदना, भूमि पूजन आदि शुभ कार्य करना अत्यंत लाभदायक एवं फलदायी होते है। इतना ही नही अक्षय तृतीया के दिन ही वृंदावन के बारे बिहारी के चरण दर्शन एवं प्रमुख तीर्थ स्थल बद्रीनारायण के पट (द्वार) भी अक्षय तृतीया को ही खुलते है। 

- कमल सिंघी

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