Paush Month 2023: 27 दिसंबर से 25 जनवरी तक रहेगा पौष मास, जानें इस माह का महत्व
ज्योतिषाचार्य डॉ अनीष व्यास ने बताया कि पुण्य देने वाले इस पवित्र महीने में भगवान विष्णु की पूजा नारायण रूप में करनी चाहिए। वहीं, उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने का भी विधान है। पौष महीने में सूर्य नारायण नाम से पूजा करने से हर तरह की परेशानियां दूर हो जाती हैं।
हिन्दी पंचांग का दसवां महीना पौष 27 दिसंबर से 25 जनवरी तक रहेगा। ये हिंदू पंचांग का दसवां महीना है। इस महीने सूर्य देव को पूजने की परंपरा है। पौष मास में सूर्य को दिया अर्घ्य पुण्यदायी माना जाता है। पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर जोधपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य डॉ अनीष व्यास ने बताया कि हिन्दी पंचांग का दसवां महीना पौष 27 दिसंबर से 25 जनवरी तक रहेगा। पुराणों का कहना है कि पौष में सूर्य पूजा करने से उम्र बढ़ती है। हर महीने सूर्य अलग रूप की पूजा करने का विधान है, इसलिए पौष मास में भग नाम के सूर्य की उपासना की जाती है। इस महीने में सूर्य पूजा करने का विशेष महत्व है। पौष मास में गंगा, यमुना, अलकनंदा, शिप्रा, नर्मदा, सरस्वति जैसी नदियों में, प्रयागराज के संगम में स्नान करने की परंपरा है। इस महीने में तीर्थ दर्शन करने की भी परंपरा है। इस हिंदी महीने में व्रत-उपवास, दान और पूजा-पाठ के साथ ही पवित्र नदियों में नहाने का भी महत्व बताया है। इस पवित्र महीने में किए गए धार्मिक कामों से कई गुना पुण्य फल मिलता है। व्रत और दान का विशेष फल मिलता है।
ज्योतिषाचार्य डॉ अनीष व्यास ने बताया कि पुण्य देने वाले इस पवित्र महीने में भगवान विष्णु की पूजा नारायण रूप में करनी चाहिए। वहीं, उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने का भी विधान है। पौष महीने में सूर्य नारायण नाम से पूजा करने से हर तरह की परेशानियां दूर हो जाती हैं। पौष मास में रोज सुबह जल्दी उठना चाहिए, स्नान के बाद सूर्य को अर्घ्य अर्पित करना चाहिए। इस में महीने में पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करना करें। स्नान करते समय सभी तीर्थों का और पवित्र नदियों का ध्यान करेंगे तो घर पर ही तीर्थ स्नान करने का पुण्य मिल सकता है।
ऐसे चढ़ाएं सूर्य को अर्घ्य
भविष्यवक्ता एवं कुंडली विश्लेषक डॉ अनीष व्यास ने बताया कि रोज सुबह स्नान के बाद घर के आंगन में ऐसी जगह चुनें, जहां से सूर्य देव के दर्शन होते हैं। इसके बाद तांबे के लोटे में जल भरें, जल में कुमकुम, चावल और फूल भी डालें। इसके बाद सूर्य को जल चढ़ाएं।
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सूर्य मंत्र
भविष्यवक्ता एवं कुंडली विश्लेषक डॉ अनीष व्यास ने बताया कि ऊँ सूर्याय नम:, ऊँ खगाय नम:, ऊँ भास्कराय नम: आदि का जप करें। सूर्य को जल चढ़ाने के बाद जरूरतमंद लोगों खाना दान करें। आप चाहें तो अनाज और धन का दान भी कर सकते हैं। किसी गौशाला में भी दान-पुण्य करें।
सूर्य को जल चढ़ाने से मिलता हैं स्वास्थ्य लाभ
भविष्यवक्ता डॉ अनीष व्यास ने बताया कि अभी शीत ऋतु का समय है। इन दिनों में रोज सुबह जल्दी उठने और सुबह-सुबह की धूप में रहने से स्वास्थ्य लाभ मिलते हैं। ठंड के दिनों में सुबह-सुबह की धूप त्वचा की चमक बढ़ाती है। धूप से विटामिन डी मिलता है, जिससे हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। ठंड से होने वाली बीमारियों से बचाव होता है।
ग्रहों के राजा हैं सूर्य
कुंडली विश्लेषक डॉ अनीष व्यास ने बताया कि किसी भी काम की शुरुआत पंचदेवों की पूजा के साथ ही होती है। सूर्य पूजा से कुंडली के नौ ग्रहों से संबंधित दोष दूर होते हैं। कुंडली में सूर्य की स्थिति ठीक न हो तो घर-परिवार और समाज में कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। वैवाहिक जीवन में सुख-शांति बनी रहे, मान-सम्मान मिले, सफलता मिले, इसके लिए सूर्य की पूजा करनी चाहिए।
भविष्य पुराण में जिक्र
भविष्यवक्ता डॉ अनीष व्यास ने बताया कि भविष्य पुराण के ब्राह्म पर्व में श्रीकृष्ण ने अपने पुत्र सांब को सूर्यदेव पूजा का महत्व बताया है। भगवान श्रीकृष्ण ने सांब को बताया था कि सूर्यदेव एक मात्र प्रत्यक्ष देवता हैं यानी सूर्य हमें साक्षात दिखाई देते हैं। जो लोग श्रद्धा के साथ सूर्य पूजा करते हैं, उनकी सभी इच्छाएं सूर्य देव पूरी करते हैं।
वेद और उपनिषद में सूर्य
कुंडली विश्लेषक डॉ अनीष व्यास ने बताया कि अथर्ववेद और सूर्योपनिषद के अनुसार सूर्य परब्रह्म है। ग्रंथों में बताया गया है कि पौष मास में भगवान भास्कर ग्यारह हजार किरणों के साथ तपकर सर्दी से राहत देते हैं। इनका रंग खून के जैसा लाल है। शास्त्रों में ऐश्वर्य, धर्म, यश, श्री, ज्ञान और वैराग्य को ही भग कहा गया है और इन सबके कारण इन्हें भगवान माना जाता है। ये ही वजह है कि पौष मास का भग नाम के सूर्य को साक्षात परब्रह्म का ही रूप माना गया है। पौष महीने में सूर्य को अर्घ्य देने और उनके लिए व्रत करने का भी महत्व धर्म शास्त्रों में बताया है।
क्या करें
भविष्यवक्ता एवं कुंडली विश्लेषक डॉ अनीष व्यास ने बताया कि आदित्य पुराण के अनुसार, पौष माह के हर रविवार को तांबे के बर्तन में शुद्ध जल, लाल चंदन और लाल रंग के फूल डालकर सूर्य को अर्घ्य देना चाहिए तथा विष्णवे नम: मंत्र का जाप करना चाहिए। इसके साथ ही दिनभर व्रत रखना चाहिए और खाने में नमक का उपयोग नहीं करना चाहिए। संभव हो तो सिर्फ फलाहार ही करें। रविवार को व्रत रखकर सूर्य को तिल-चावल की खिचड़ी का भोग लगाने से मनुष्य तेजस्वी बनता है। पुराणों के अनुसार पौष माह में किए गए तीर्थ स्नान और दान से उम्र लंबी होती है और बीमारियां दूर हो जाती हैं।
पौष माह 2023 व्रत-त्योहार
28 दिसंबर 2023 - गुरु पुष्य योग
30 दिसंबर 2023 - अखुरथ संकष्टी चतुर्थी व्रत
7 जनवरी 2024 (रविवार) - सफला एकादशी
9 जनवरी 2024 (मंगलवार) - भौम प्रदोष व्रत, मासिक शिवरात्रि
11 जनवरी 2024 (गुरुवार) - पौष अमावस्या
13 जनवरी 2024 (शनिवार) - पंचक शुरू
14 जनवरी 2024 (रविवार) - पौष विनायक चतुर्थी
15 जनवरी 2024 (सोमवार)- मकर संक्रांति, पोंगल, उत्तरायण
17 जनवरी 2024 (मंगलवार) - गुरु गोबिंद सिंह जयंती
21 जनवरी 2024 (रविवार) - पौष पुत्रदा एकादशी, वैकुंण एकादशी
23 जनवरी 2024 (मंगलवार) - भौम दूसरा प्रदोष व्रत
25 जनवरी 2024 (गुरुवार) - पौष पूर्णिमा
- डॉ अनीष व्यास
भविष्यवक्ता एवं कुंडली विश्लेषक
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