कन्या पूजन के दौरान इन बातों का रखेंगे ध्यान तो आएगी सुख-समृद्धि
भक्तगण पूरी भक्तिभाव से माता की आराधना करते हैं लेकिन नवरात्रि पूजन और व्रत तभी संपन्न माने जाते हैं, जब अंतिम दिन कन्या पूजन किया जाए। जो व्यक्ति अपने घर में माता की स्थापना करता है, वह कन्या पूजन अवश्य करता है।
नवरात्रि के नौ दिनों तक भक्तगण पूरी भक्तिभाव से माता की आराधना करते हैं लेकिन नवरात्रि पूजन और व्रत तभी संपन्न माने जाते हैं, जब अंतिम दिन कन्या पूजन किया जाए। जो व्यक्ति अपने घर में माता की स्थापना करता है, वह कन्या पूजन अवश्य करता है। लेकिन कन्या पूजन के दौरान बहुत-सी बातों का विशेष रूप से ध्यान रखना होता है, कन्या पूजन का वास्तविक लाभ तभी प्राप्त होता है। तो चलिए जानते हैं कि कन्या पूजन के दौरान किन बातों का रखा जाए ध्यान−
उम्र है महत्वपूर्ण
कन्या पूजन के दिन कन्याओं का पूजन करने का प्रावधान है। लेकिन किसी भी भक्तगण को कन्या का चयन करते समय उसकी उम्र का ध्यान विशेष तौर पर रखना चाहिए। आमतौर पर ग्यारह साल से कम उम्र की कन्या का ही पूजन करने का ही विधान है। इसके पीछे भी एक प्रमुख कारण है। दरअसल, ग्यारह वर्ष के बाद अधिकतर लड़कियों के पीरियड्स शुरू हो जाते हैं और जिसके कारण उनकी गिनती कन्याओं में नहीं, बल्कि बड़ी लड़कियों में की जाती है।
सही हो पूजन
जब भी आप कन्या पूजन करें तो भोजन से लेकर कन्याओं का पूजन करते समय हर छोटी−छोटी बात का ध्यान रखना चाहिए। मसलन, जब कन्याएं घर में प्रवेश करें तो भक्त को उन्हें पैर धुलाने चाहिए। चूंकि कन्याओं ने बाहर से घर में प्रवेश किया है तो पैर धोने से शुद्धि होती है। साथ ही तिलक लगाना भी आवश्यक माना जाता है। ठीक इसी तरह, भोजन बनाते समय उन सभी आहार को भोज में शामिल करना चाहिए, जो सभी चीजें माता को पसंद हैं।
जरूर लें आशीर्वाद
जब आपका कन्या पूजन संपन्न हो और आप कन्याओं को विदा करें तो माता रूपी कन्याओं का आशीर्वाद लेना न भूलें। बहुत से लोग सिर्फ हाथ जोड़कर आशीर्वाद लेते हैं लेकिन वास्तव में उनके आशीर्वाद को ग्रहण करने के लिए आप एक प्लेट में चावल लें और सभी कन्याओं से थोड़े−थोड़े चावल हाथ में लेने के लिए कहें। इसके बाद आप उनके हाथों से उन चावलों को अपनी झोली में लें और सालभर उन चावलों को माता के आशीर्वाद स्वरूप घर में रखें। माना जाता है कि ऐसा करने से घर में खुशियां और सुख−समृद्धि बनी रहती है।
इसका भी रखें ध्यान
जिन कन्याओं का अंग−भंग होता है, उनका पूजन नवरात्रि समापन के दिन करना अच्छा नहीं माना जाता।
यूं तो कन्या पूजन के दौरान नौ कन्याओं का ही पूजन किया जाता है, लेकिन अगर आपको ग्यारह साल से कम की नौ कन्याएं न मिलें तो आप सात या पांच कन्याओं का पूजन भी कर सकते हैं। कन्या पूजन के अंतिम चरण में सभी कन्याओं को कुछ न कुछ भेंट अवश्य देनी चाहिए। आप अपनी श्रद्धानुसार माता की पसंदीदा किसी भी चीज को भेंटस्वरूप प्रदान कर सकते हैं। भेंट दिए बिना कन्यापूजन की विधि पूरी नहीं होती।
-मिताली जैन
ज्योतिषाचार्या गुंजन वार्ष्णेय से बातचीत पर आधारित
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