मार्च माह के दूसरे सप्ताह के व्रत और त्योहारों पर विशेष जानकारी
विनायक चतुर्थी और गणेश चतुर्थी का व्रत रखें और भगवान को मोदकों का भोग लगायें। इस दिन भगवान श्रीगणेश की उपासना करने से घर-परिवार में सुख समृद्धि, आरोग्य और आर्थिक संपन्नता बनी रहती है साथ ही ज्ञान एवं बुद्धि की प्राप्ति भी होती है।
भारत पर्वों और त्योहारों का देश है। हर दिन यहाँ कोई ना कोई पर्व, त्योहार या विशेष दिन होता है। आइए जानते हैं मार्च महीने के दूसरे सप्ताह में पड़ने वाले पर्व और त्योहारों के बारे में। साथ ही यह भी जानते हैं कि इन पर्वों पर आप कैसे भगवान को कर सकते हैं प्रसन्न।
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फाल्गुन अमावस्या- 6 मार्च, बुधवार
दर्श अमावस्या- 6 मार्च, बुधवार- हिंदू शास्त्रों में उल्लेख मिलता है कि दर्श अमावस्या पर पूरी रात चांद नजर नहीं आता। कहा जाता है कि यदि सच्चे मन से इस दिन कोई प्रार्थना करेंगे तो वह अवश्य सुनी जायेगी। चंद्र देव इस दिन भक्तों की जरूर सुनते हैं। इस दिन पूर्वजों की पूजा करने का भी विशेष महत्व है।
चंद्र दर्शन- 8 मार्च, शुक्रवार- अमावस्या के बाद का पहला दिन चंद्र दर्शन के रूप में पूजा जाता है। हिन्दू धर्म में इस दिन का खास महत्व माना जाता है।
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फुलैरा दूज- 8 मार्च, शुक्रवार- मान्यता है कि फुलैरा दूज के साथ ही होली के रंगों की शुरुआत हो जाती है। इस दिन को फाल्गुन माह का सबसे शुभ दिन भी माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन कोई भी शुभ काम शुरू किया जा सकता है। उत्तर भारत में इस पर्व की छटा देखते ही बनती है।
रामकृष्ण जयन्ती- 8 मार्च, शुक्रवार- भारत के महान संत एवं विचारकों में से एक रामकृष्ण परमहंस ने सदैव सभी धर्मों की एकता पर जोर दिया। परमहंस को अपने बाल्यकाल से ही इस बात का विश्वास था कि ईश्वर के दर्शन संभव हैं। इसलिए ईश्वर की प्राप्ति के लिए उन्होंने कठोर साधना और भक्ति का जीवन बिताया। स्वामी रामकृष्ण मानवता के पुजारी थे।
विनायक चतुर्थी- 10 मार्च, रविवार- यदि आप भगवान श्रीगणेश जी की कृपा पाना चाहते हैं तो विनायक चतुर्थी और गणेश चतुर्थी का व्रत रखें और भगवान को मोदकों का भोग लगायें। इस दिन भगवान श्रीगणेश की उपासना करने से घर-परिवार में सुख समृद्धि, आरोग्य और आर्थिक संपन्नता बनी रहती है साथ ही ज्ञान एवं बुद्धि की प्राप्ति भी होती है।
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