''मोहनजो दारो'' में सारा ध्यान सेट्स और ड्रेसेज की भव्यता पर
इस फिल्म का निर्माण शुरू होने के दिन से ही इसको लेकर काफी चर्चाएं थीं लेकिन फिल्म देखने के बाद निराशा हुई क्योंकि सारा ध्यान भव्य सेट्स और ड्रेसेज तैयार करने पर ध्यान दिया गया है।
लीक से हटकर फिल्में बनाने के लिए मशहूर निर्देशक आशुतोष गोवारिकर इस सप्ताह दर्शकों के लिए 'मोहनजो दारो' लेकर आये। इस फिल्म का निर्माण शुरू होने के दिन से ही इसको लेकर काफी चर्चाएं थीं लेकिन फिल्म देखने के बाद निराशा हुई क्योंकि सारा ध्यान भव्य सेट्स और ड्रेसेज तैयार करने पर ध्यान दिया गया है। ए.आर. रहमान का संगीत सुकून देता है लेकिन फिल्म की कहानी में कोई दम नहीं है। वह तो हिम्मत है आशुतोष गोवारिकर की वरना इस विषय पर तो कोई भी निर्माता-निर्देशक फिल्म बनाने से हिचकेगा।
फिल्म की कहानी सरमन (रितिक रोशन) और चानी (पूजा हेगड़े) के इर्दगिर्द घूमती है। सरमन (रितिक रोशन) अपने काका (नितिश भारद्वाज) और काकी के साथ आमरी में नीले पत्थर का काम करता है। आमरी से दूर बसे शहर मोहनजो दारो में व्यापारी नीले पत्थर बेचने जाते हैं लेकिन काका कभी भी सरमन को वहां नहीं ले जाते क्योंकि काका नहीं चाहते कि सरमन कभी मोहनजो दारो के क्रूर शासक महाम (कबीर बेदी) को जाने या उसका शिकार बने। सरमन के जिद करने पर काका उसे व्यापार के लिए मोहनजो दारो भेजने को राजी हो जाते हैं। यहां सरमन की मुलाकात चानी (पूजा हेगड़े) से होती है, सरमन पहली ही मुलाकात में चानी पर मर मिटता है। मोहनजो दारो के निवासी महाम के अत्याचारों से पीड़ित हैं। महाम अपने बेटे मूंजा (अरुणोदय सिंह) के साथ चानी की शादी करना चाहता है। मूंजा भी चानी पर फिदा है। अब सरमन अपने प्यार को हासिल करने और मोहनजो दारो के निवासियों को महाम और मूंजा के अत्याचारों से मुक्ति दिलाने के मकसद से काफी संघर्ष करना पड़ता है।
अभिनय के मामले में रितिक रोशन प्रभावी रहे। वह अपने रोल में जमे हैं और रोल में जान डालने के लिए उन्होंने काफी मेहनत भी की है। एक्शन दृश्यों में तो उन्होंने गजब का काम किया है। पूजा हेगड़े अभी नयी हैं और उन्हें काफी कुछ सीखने समझने की जरूरत है। कबीर बेदी और मनीष चौधरी प्रभावित करने में सफल रहे। अरुणोदय सिंह ठीकठाक रहे। फिल्म में रहमान ने एक-दो गानों में गजब का संगीत दिया है लेकिन उनका फिल्मांकन जानदार नहीं बन पाया है। ऐतिहासिक विषयों से जुड़ी फिल्मों में नकारात्मक बात यह होती है कि तथ्यों को दिखाने के लिए कहानी को लंबा खींच दिया जात है और मनोरंजन की कमी रहती है जोकि दर्शकों की बोरियत बढ़ाते हैं। इंटरवेल के बाद की कहानी को संभालने में निर्देशक को काफी दिक्कत हुई, यह बात साफ तौर पर उभर कर आती है।
कलाकार- रितिक रोशन, पूजा हेगड़े, कबीर बेदी, नितीश भारद्वाज।
निर्देशक- आशुतोष गोवारिकर।
- प्रीटी
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