''बाबा ब्लैक शीप'' में फूहड़पन के अलावा कुछ और नहीं है

film review of Baa Baaa Black Sheep
प्रीटी । Mar 26 2018 3:07PM

इस सप्ताह प्रदर्शित फिल्म ''बाबा ब्लैक शीप'' को कॉमेडी फिल्म बताया गया है लेकिन इसमें फूहड़पन के अलावा कुछ और नहीं है। फिल्म की कहानी शुरू से लेकर अंत तक भटकी हुई है।

इस सप्ताह प्रदर्शित फिल्म 'बाबा ब्लैक शीप' को कॉमेडी फिल्म बताया गया है लेकिन इसमें फूहड़पन के अलावा कुछ और नहीं है। फिल्म की कहानी शुरू से लेकर अंत तक भटकी हुई है। यह देखकर निराशा होती है कि अनुपम खेर और अन्नू कपूर जैसे बड़े कलाकार भी इस तरह की फिल्मों में अजीब हरकतें करते नजर आते हैं। इस फिल्म को देखते समय आपको कई बार ऐसा भी लगेगा कि आप कोई सीरियल देख रहे हैं।

फिल्म की कहानी बाबा (मनीष पॉल) और उसके पिता चारुदत्त शर्मा उर्फ चार्ली (अनुपम खेर) के इर्दगिर्द घूमती है। यह परिवार गोवा में रहता है। चार्ली काजू की दुकान चलाता है और घर में अपनी पत्नी से डरा हुआ रहता है। जबकि असल में वह एक बड़ा कॉन्ट्रैक्ट किलर है जोकि अपने इस पारिवारिक बिजनेस को आगे बढ़ा रहा है जिसमें पैसे के लिए किसी की भी हत्या करवा दी जाती है। बाबा को भी इस बिजनेस में शामिल होना पड़ता है। बाबा ऐंजिलीना (मंजरी फडनीस) से प्यार करता है जोकि नकली पेंटिंग की जालसाजी करने वाले ब्रायन मोरिस उर्फ सांता क्लॉज (अन्नू कपूर) की बेटी है। कहानी में नया मोड़ तब आता है जब चार्ली और मोरिस के बीच टकराव होता है। दूसरी ओर फिल्म में भ्रष्ट मुख्यमंत्री उत्पल (मनीष वाधवा) की कहानी भी चलती है जोकि अपने फायदे के लिए इन दोनों का इस्तेमाल कर रहा है।

अभिनय के मामले में सिर्फ के.के. मेनन थोड़ा प्रभावी रहे। अनुपम खेर और अन्नू कपूर को ठीक रोल नहीं मिले इसलिए वह कुछ खास नहीं कर पाये। मनीष पॉल स्टाइलिश लगे हैं लेकिन उनकी भूमिका में खास दम नहीं है। मंजरी फडनीस ठीकठाक रहीं। फिल्म का गीत संगीत निष्प्रभावी है और निर्देशन में इतने झोल हैं कि फिल्म देखकर समय और पैसा दोनों बर्बाद होंगे। निर्देशक विश्वास पांड्या को कहानी पर और थोड़ी मेहनत करनी चाहिए थी।

कलाकार- मनीष पॉल, मंजरी फडनीस, अनुपम खेर, अन्नू कपूर, मनीष वाधवा और निर्देशक विश्वास पांड्या।

प्रीटी

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