इस वर्ष अब तक प्रदर्शित फिल्मों में सर्वश्रेष्ठ है ''न्यूटन''

film review of newton
प्रीटी । Sep 25 2017 12:16PM

इस सप्ताह प्रदर्शित फिल्म ''न्यूटन'' कथानक और अभिनय के लिहाज से इतनी बेहतरीन फिल्म है कि प्रदर्शन के पहले दिन ही इसे ऑस्कर में विदेशी फिल्मों की श्रेणी में भारत की ओर से नामांकित कर दिया गया।

इस सप्ताह प्रदर्शित फिल्म 'न्यूटन' कथानक और अभिनय के लिहाज से इतनी बेहतरीन फिल्म है कि प्रदर्शन के पहले दिन ही इसे ऑस्कर में विदेशी फिल्मों की श्रेणी में भारत की ओर से नामांकित कर दिया गया। अभिनेता राजकुमार राव को इस फिल्म के लिए बरसों तक याद रखा जायेगा और यह मान कर चलना चाहिए कि इस वर्ष के सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के पुरस्कार उनके नाम हो चुके हैं। यह फिल्म पहले ही कई फिल्म समारोहों में धूम मचा चुकी है और अब तो इसे इतनी तारीफ मिल चुकी है कि जिन जिन अंतरराष्ट्रीय मंचों पर यह जायेगी और पुरस्कार तथा तारीफें बटोरेगी।

फिल्म की कहानी न्यूटन कुमार (राजकुमार राव) के इर्दगिर्द घूमती है। वह सरकारी कर्मचारी है और बेहद आदर्शवादी है। वह ईमानदार है और दूसरों से एकदम अलग है। भ्रष्टाचार से कोसों दूर रहने वाले न्यूटन हर चीज में इतना सिद्धांतवादी है कि उसके घर वाले भी उससे परेशान रहते हैं। एक बार जब वह शादी के लिए लड़की देखने जाता है तो इसी बात से मना कर देता है कि लड़की 18 वर्ष की नहीं होती है। छत्तीसगढ़ में चुनावों की घोषणा होती है तो सरकारी कर्मचारी होने के नाते उसकी भी ड्यूटी चुनाव में लगा दी जाती है। उसे जहां चुनाव अधिकारी नियुक्त किया जाता है वह नक्सली क्षेत्र है और नक्सलियों ने चुनाव के बहिष्कार की घोषणा कर रखी है। न्यूटन यहां के छोटे से गांव के कुल 76 वोटरों से वोटिंग कराने के लिए अपनी टीम के हेलिकॉप्टर से साथ यहां आता है। टीम में स्थानीय स्कूल की टीचर माल्को (अंजली पाटिल) भी शामिल हो जाती है। पोलिंग पार्टी की सुरक्षा की जांच का जिम्मा संभालने वाले आत्मा सिंह (पंकज त्रिपाठी) का मानना है कि वोटिंग कराने से कुछ होने वाला नहीं है। इसी बात को लेकर उसकी न्यूटन के साथ बहस होती रहती है। आखिरकार पोलिंग स्टेशन बनाया जाता है और फिर वहां शुरू होता है वोटरों के आने का इंतजार। 

अभिनय के मामले में राजकुमार राव का जवाब नहीं। वह यकीनन बॉलीवुड के उम्दा कलाकार हैं। उनके चेहरे के हाव-भाव और आंखें ही इतना कुछ कह देती हैं कि संवाद उनके सामने बौने पड़ जाते हैं। अन्य कलाकारों ने भी अच्छा काम किया है। फिल्म की कहानी तेजी से आगे बढ़ती है और कसी हुई पटकथा दर्शकों को कुछ और सोचने का मौका ही नहीं देती। फिल्म इतने सवाल खड़े कर के गई है कि आपका मन फिल्म देखने के बाद उद्वेलित हो जायेगा और कई सवाल मन में कौंधने लगेंगे। ऐसा नहीं है कि फिल्म में मनोरंजन के लिए कुछ नहीं है लेकिन लीक से हट कर बनी फिल्मों के शौकीनों को फिल्म बहुत भाएगी। फिल्म की रीयल लोकेशन इसका एक और सशक्त पक्ष है। निर्देशक अमित मसुरकर को ऐसी बेहतरीन फिल्म बनाने के लिए बधाई दी जानी चाहिए।

कलाकार- राजकुमार राव, पंकज त्रिपाठी, अंजली पाटिल, रघुबीर यादव और निर्देशक अमित मसुरकर।

- प्रीटी

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