निश्छल प्रेम की कहानी है ''अक्टूबर'', मनोरंजन का अभाव है
इस सप्ताह प्रदर्शित फिल्म ''अक्टूबर'' निश्छल प्यार की ऐसी कहानी है जिस पर आपको यकीन इसलिए नहीं होगा क्योंकि आजकल ऐसा प्यार दिखता नहीं है। निर्देशक शुजित सरकार इससे पहले ''विकी डोनर'', ''पीकू'' और ''पिंक'' जैसी उम्दा फिल्में बना कर ख्याति अर्जित कर चुके हैं
इस सप्ताह प्रदर्शित फिल्म 'अक्टूबर' निश्छल प्यार की ऐसी कहानी है जिस पर आपको यकीन इसलिए नहीं होगा क्योंकि आजकल ऐसा प्यार दिखता नहीं है। निर्देशक शुजित सरकार इससे पहले 'विकी डोनर', 'पीकू' और 'पिंक' जैसी उम्दा फिल्में बना कर ख्याति अर्जित कर चुके हैं। 'अक्टूबर' में उन्होंने ऐसा प्यार दिखाया है जिसे महसूस किया जा सकता है लेकिन उसे समझने के लिए थोड़ा समय देना पड़ता है। फिल्म की कहानी शुरुआत में धीमी गति से आगे बढ़ी है जिससे दर्शकों को किरदार समझ में आने में समय लगा। सार्थक सिनेमा के प्रेमियों के लिए यह फिल्म वाकई एक उपहार की भाँति है। लेकिन इसका क्लाइमेक्स आपको उदास कर जायेगा।
फिल्म की कहानी डैन (वरुण धवन) और शिवली (बनिता संधू) के इर्दगिर्द घूमती है। डैन कभी भी अपने काम को गंभीरता से नहीं लेता वह एक फाइव स्टार होटल में इंटर्नशिप कर रहा है। लेकिन अपनी अनुशासनहीनता की वजह से उसको बार-बार चेतावनी मिलती रहती है कि उसे हटा दिया जायेगा लेकिन वह सुधरता नहीं है। वह यहां से इंटर्नशिप पूरी करने के बाद अपना एक होटल खोलना चाहता है लेकिन उसे खुद भी लगता है कि वह अपनी जिंदगी को सीरियसली नहीं ले रहा। दूसरी ओर शिवली जोकि उसकी सहपाठी है वह बहुत मेहनती है। दोनों के बीच जल्दी ही एक रिश्ते का अहसास होने लगता है। एक दिन शिवली एक हादसे का शिकार हो जाती है और कोमा में चली जाती है। अब यहां से डैन की जिंदगी में बदलाव आता है वह कैसे अस्पताल के चक्कर काट काट कर शिवली का ख्याल रखता है और अपना काम भी देखता है यही फिल्म में दिखाया गया है।
अभिनय के मामले में वरुण धवन का काम देख कर दर्शकों को सहसा विश्वास ही नहीं होगा कि यही वह वरुण धवन हैं जो बड़े पर्दे पर सिर्फ अपने डांस और कॉमेडी के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने कमाल का अभिनय किया है। अभिनय के लिहाज से यह उनकी अब तक की सबसे उम्दा फिल्म है। उन्होंने डॉयलॉग से ज्यादा तो अपनी भाव भंगिमाओं से कह दिया है। शिवली की भूमिका को बनिता संधू ने बहुत असरदार बना दिया है। शिवली की मां का रोल में गीतांजलि राव भी प्रभावी रहीं। अन्य कलाकारों का काम भी अच्छा रहा। निर्देशक के रूप में शूजित सरकार एक बार फिर सशक्त फिल्म देने में सफल रहे हैं लेकिन मनोरंजन की दृष्टि से फिल्म देखने जाएंगे तो निराशा ही हाथ लगेगी।
कलाकार- वरुण धवन, बनिता संधू, गीतांजलि राव और निर्देशक- शूजित सरकार।
प्रीटी
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