दर्शकों के साथ न्याय करने में असफ़ल रही नीरज पाण्डे की अय्यारी

Neeraj Pandey's Aiyaary unable to impress the audience

नीरज पाण्डेय निर्देशित फिल्म अय्यारी आज सिनेमा हॉल में रिलीज़ हो चुकी है। नीरज पाण्डेय पहले भी इसी जोनर की बेहतरीन फ़िल्में बना चुके हैं, इसलिए इस फिल्म से दर्शकों को काफी उम्मीद थी।

मुम्बई। नीरज पाण्डेय निर्देशित फिल्म अय्यारी आज सिनेमा हॉल में रिलीज़ हो चुकी है। नीरज पाण्डेय पहले भी इसी जोनर की बेहतरीन फ़िल्में बना चुके हैं, इसलिए इस फिल्म से दर्शकों को काफी उम्मीद थी। मगर यह फिल्म उन उम्मीदों पर खरी उतरने में असफल रही। हालाँकि फिल्म का प्लाट और स्टोरीलाइन प्रशंसनीय है पर अपने स्लो पेस के कारण फिल्म मनोरंजन करती नहीं दिख रही। फिल्म की कहानी दो ऑफिसर अभय सिंह (मनोज बाजपेयी) और जय बख्शी (सिद्धार्थ) के इर्द गिर्द बुनी गयी है। मेजर बख्शी सिस्टम में चल रहे भ्रष्टाचार से लड़ने के लिए एक ऐसा रास्ता चुनता है जिसमें वो अपने गुरु अभय सिंह के खिलाफ खड़ा है। स्टोरी नीरज पाण्डेय ने ही लिखी है।

फिल्म में मजबूत महिला किरदार की कमी खलती है। यदि यह फिल्म थोड़ी फ़ास्ट पेस होती तो शायद दर्शकों को लुभाने में सफल होती। अदाकारी की बात करें तो हमेशा की तरह मनोज बाजपेयी दिल जीतने में सफल हैं। सिद्धार्थ अपने रोल से आकर्षित करते हैं मगर एक्टिंग में सुधार की गुंजाईश रह जाती है। फिल्म की हीरोइन रकुलप्रीत सिंह को ज्यादा फ्रेम नहीं मिला है। फिल्म के अंत में लगता है कि फिल्म बेवजह खींची गयी है। काल्पनिक हादसे और स्कैम दर्शकों को बाँधने में चूक जाते हैं। नीरज पाण्डेय से इससे ज्यादा अच्छी फिल्म की उम्मीद करना लाज़मी लगता है। फिल्म की एडिटिंग पर यदि ध्यान दिया गया होता तो फिल्म बेहतर हो सकती थी। यह फिल्म एवरेज है और नीरज पाण्डेय के नाम के हिसाब से न्याय नहीं करती।

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