सचिन: ए बिलियन ड्रीम्स देखकर फिर कहेंगे- सचिन, सचिन
फिल्म में मनोरंजन के नाम पर चालू मसाला परोसने की बजाय एक साधारण बच्चे को अपनी लगन, कड़ी मेहनत, धैर्य के साथ सचिन तेंदुलकर बनते दिखाया गया है।
इस सप्ताह प्रदर्शित फिल्म 'सचिनः अ बिलियन ड्रीम्स' क्रिकेट प्रेमियों खासकर सचिन तेंदुलकर के प्रशंसकों के लिए नायाब तोहफा है। फिल्म में मनोरंजन के नाम पर चालू मसाला परोसने की बजाय एक साधारण बच्चे को अपनी लगन, कड़ी मेहनत, धैर्य के साथ सचिन तेंदुलकर बनते दिखाया गया है जोकि सिर्फ भारत में ही नहीं दुनिया भर में करोड़ों लोगों के दिलों पर राज करता है और जिसको भारत में क्रिकेट का भगवान माना जाता है। भारत रत्न की उपाधि से सम्मानित सचिन ने अपनी इस बॉयोपिक में अपना रोल खुद ही निभाया है। फिल्म में उनके प्रशंसकों को सचिन के अपने परिवार और दोस्तों के साथ बिताए उन पलों की तसवीरें देखने को मिलेंगी जो इससे पहले उन्होंने शायद ही देखी हों।
फिल्म की कहानी सचिन के बचपन से शुरू होती है जब सचिन मात्र दस वर्ष के थे और भारत पहली बार क्रिकेट विश्व कप जीता था। उसी दिन विश्व कप ट्राफी अपने हाथ में पकड़ने का सपना सचिन ने देखा और उसे साकार करने के लिए जी-जान से जुट गये। सचिन के लिए पागल फैन्स के लिए वह क्षण भी दिल थाम लेने वाला है जब 1989 में हुए एक एग्जिबिशन मैच में सचिन ने पाकिस्तान के अब्दुल कादिर के 1 ओवर में 4 छक्के जड़े थे। इसके अलावा फिल्म में उस मैच के अंश भी दिखाये गये हैं जब 1998 में चेन्नई टेस्ट में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सचिन ने शेन वॉर्न की जबरदस्त धुनाई की थी।
निर्देशक ने सचिन को सूत्र में रखकर पूरी कहानी कही है और बीच-बीच में कई सारे कमेंटेटर, समीक्षक और खिलाड़ी महेंद्र सिंह धोनी, विराट कोहली, सौरभ गांगुली और हरभजन सचिन की तारीफ करते नजर आते हैं। सचिन की जिंदगी से जुड़े कुछ विवादित पहलुओं पर फिल्म में हल्की सी नजर दौड़ाई गई है और पूरी फिल्म सचिन स्तुति पर ही केंद्रित रही है। निर्देशक की खासियत यह रही कि वह जिस उद्देश्य को लेकर चले थे उससे भटके नहीं हैं और एक बॉयोपिक को बॉयोपिक के अंदाज में ही बनाया है।
कलाकार- सचिन तेंदुललकर, अंजलि तेंदुलकर, मयूरेश पेम और निर्देशक जेम्स अर्स्किन
प्रीटी
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