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जानिए कैसे शाम की सैर से सेहत को मिलते हैं यह लाभ
- मिताली जैन
- मार्च 27, 2019 17:02
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वॉक को एक बेहतरीन एक्सरसाइज माना गया है। अगर आप दिनभर काम के बाद थक गए हैं और हाई इंटेसिंटी एक्सरसाइज करना आपके लिए संभव नहीं है तो भी आप वॉक तो कर ही सकते हैं। इससे आप खुद को बेहद आसानी से फिट व हेल्दी बनाए रख सकते हैं।
सेहत का ख्याल रखने का एक सबसे आसान तरीका है वॉक करना। आप चाहें किसी भी उम्र के हों, वॉक बेहद आसानी से कर सकते हैं। लेकिन ऐसे भी बहुत से लोग होते हैं, जो सुबह ऑफिस जाने की जल्दी में पार्क में वॉक ही नहीं कर पाते और फिर वह अपनी दिनचर्या में टहलने को शामिल ही नहीं कर पाते। जिन लोगों के पास सुबह वक्त नहीं होता, उन्हें शाम को अवश्य टहलना चाहिए। इससे स्वास्थ्य को कई प्रकार के लाभ होते हैं। तो चलिए जानते हैं इसके बारे में−
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होती है एक्सरसाइज
वॉक को एक बेहतरीन एक्सरसाइज माना गया है। अगर आप दिनभर काम के बाद थक गए हैं और हाई इंटेसिंटी एक्सरसाइज करना आपके लिए संभव नहीं है तो भी आप वॉक तो कर ही सकते हैं। इससे आप खुद को बेहद आसानी से फिट व हेल्दी बनाए रख सकते हैं। इतना ही नहीं, इससे आपका एनर्जी लेवल भी बढ़ता है।
आराम का अहसास
अमूमन दिनभर कंप्यूटर पर काम करने के कारण मसल्स को एक्सरसाइज करने का समय ही नहीं मिलता, लेकिन ईवनिंग वॉक के जरिए आप ऐसा कर पाते हैं। जिससे आपके शरीर व दिमाग को आराम का अहसास होता है। इसलिए हर किसी व्यक्ति को कम से कम आधा घंटा शाम के समय सैर अवश्य करनी चाहिए।
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अच्छी नींद
शरीर के पूरी तरह आराम और स्वस्थ रहने के लिए अच्छी नींद की आवश्यकता होती है। एक अच्छी नींद लाने में शाम की सैर मददगार होती है क्योंकि इससे आप किसी भी तरह की टेंशन व तनाव से रिलैक्स महसूस करते हैं।
पाचन में मददगार
जब आप शाम के भोजन के बाद टहलने निकलते हैं तो इससे भोजन को पचने में आसानी होती है। हालांकि इस बात का ध्यान रखें कि भोजन करन के करीबन आधे घंटे बाद ही सैर पर निकलें, अन्यथा आपको वॉक के दौरान परेशानी हो सकती है।
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कमर दर्द से आराम
बहुत से लोगों को दिनभर कंप्यूटर पर बैठकर काम करने से कमर में दर्द की शिकायत शुरू हो जाती है। लेकिन अगर आप शाम में टहलते हैं तो इससे कमर से निचले हिस्से में दर्द से आराम मिलता है।
मजबूत इम्युन सिस्टम
आपको शायद पता न हो लेकिन शाम को वॉक करने से इम्युन सिस्टम भी मजबूत होता है। दरअसल, शाम को टहलने से शरीर के सभी हिस्सों का व्यायाम करें। इससे आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली भी मजबूत होती है और आपकी ऑवर ऑल हेल्थ सुधरती है।
मिताली जैन
पीली नहीं नीले रंग की नजर आती है यह हल्दी, कैंसर को भी दे सकती है मात
- मिताली जैन
- जनवरी 19, 2021 19:03
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काली हल्दी में औषधीय गुण तो मौजूद हैं ही, साथ ही इसकी सांस्कृतिक महत्ता भी कम नहीं है। भारत में सदियों से काली पूजा के लिए काली हल्दी का इस्तेमाल किया जाता रहा है, यह पूजा काली देवी को समर्पित है और यह जड़ी बूटी का सामान्य नाम भी है।
हल्दी हर भारतीय घर में एक आम सामग्री है। यह न केवल खाना पकाने के लिए उपयोग की जाती है, बल्कि इसे इसके औषधीय लाभों के लिए भी जाना जाता है। चोट लगने से लेकर कई मौसमी बीमारियों से राहत पाने के लिए हल्दी का सेवन करने की सलाह दी जाती है। लेकिन अगर आप सोचते हैं कि हल्दी केवल पीले रंग की ही होती है, तो आप गलत है। आम पीले रंग की हल्दी के अलावा भी इसके कई रूप हैं। आज हम आपको हल्दी की ऐसी ही एक प्रजाति के बारे में बता रहे हैं, जिसे काली हल्दी कहा जाता है, लेकिन वह अंदर से नीले रंग की नजर आती है−
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कुछ ऐसी नजर आती है काली हल्दी
काली हल्दी का पौधा एक बारहमासी जड़ी बूटी है जिसमें लाल रंग के बॉर्डर के साथ पीले पीले फूल होते हैं। इस जादुई हल्दी को भारत के पूर्वोत्तर और कुछ अन्य राज्यों में उगाया जाता है। काली हल्दी का वैज्ञानिक नाम करकुमा काशिया है और इसे ब्लैक ज़ेडेडरी के नाम से भी जाना जाता है। इस पौधे को आम हल्दी के पौधे के समान उगाया जाता है और काली हल्दी आमतौर पर मध्य सर्दियों में काटी जाती है। पीली हल्दी की तरह, काली हल्दी ताजा और पाउडर दोनों रूप में उपलब्ध होती है। आवश्यक तेलों की उपस्थित किे कारण इस प्रकंद की एक विशिष्ट मीठी गंध होती है। इस पौधे का मणिपुर और कुछ अन्य राज्यों में जनजातियों के लिए विशेष महत्व है, जहां पर राइजोम के पेस्ट को घावों के साथ−साथ सांप और बिच्छू के काटने पर भी लगाया जाता है।
सांस्कृतिक महत्ता नहीं है कम
काली हल्दी में औषधीय गुण तो मौजूद हैं ही, साथ ही इसकी सांस्कृतिक महत्ता भी कम नहीं है। भारत में सदियों से काली पूजा के लिए काली हल्दी का इस्तेमाल किया जाता रहा है, यह पूजा काली देवी को समर्पित है और यह जड़ी बूटी का सामान्य नाम भी है। इतना ही नहीं, काली हल्दी का उपयोग पूर्वोत्तर भारत में जनजातियों द्वारा बुरी आत्माओं को दूर भगाने के लिए किया जाता हैय जड़ के टुकड़ों को जेब या दवा की थैली में रखा जाता रहा है। वहीं, मध्य प्रदेश के कुछ हिस्सों में भी काली हल्दी की जड़ को शुभ माना जाता है।
जानें न्यूटि्रशन वैल्यू
काली हल्दी में किसी भी पौधे की प्रजाति के करक्यूमिन की मात्रा सबसे अधिक होती है। यह एक शक्तिशाली एंटीऑक्सिडेंट और एंटी−इंफलेमेटरी गुण हैं। गठिया, अस्थमा और मिर्गी के इलाज के लिए जड़ का उपयोग सदियों से औषधीय रूप से किया जाता रहा है। काली हल्दी की जड़ को कुचल दिया जाता है और बेचैनी को कम करने के लिए घाव और मोच पर लगाया जा सकता है या माथे पर लगाने से माइग्रेन के लक्षणों से राहत पाने में मदद मिलती है। चूंकि इसमें पावरफुल एंटी−ऑक्सिडेंट्स पाए जाते हैं, इसलिए यह कैंसर के उपचार के लिए बेहद प्रभावी है।
काली हल्दी के औषधीय उपयोग
इंटरनेशनल जर्नल ऑफ रिसर्च इन फार्मेसी एंड केमिस्ट्री में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, काली हल्दी के कई उपयोग हैं। काली हल्दी प्रकंद या जड़ के सबसे लोकप्रिय उपयोगों में से एक इसे एक पेस्ट में कुचलने और गैस्टि्रक मुद्दों से पीडि़त किसी भी व्यक्ति को देने के लिए है। पेट में दर्द और पेचिश की समस्या होने पर यह एक जादू की तरह काम करती है। काली हल्दी पाउडर को पानी में मिलाकर सेवन करने से गैस्टि्रक संबंधी समस्याओं से राहत मिलती है। आम हल्दी की तरह, काली हल्दी को भी रक्तस्राव को नियंत्रित करने और घाव और सांप के काटने के मामलों में त्वरित उपचार के लिए इस्तेमाल किया जाता है। काली हल्दी सूजन वाले टॉन्सिल से भी राहत दिला सकती है। काली हल्दी में एंटीऑक्सीडेंट और एंटी−फंगल गुण पाए जाते हैं और यह शरीर में सूजन से लड़ने में मदद करती है, साथ ही यह संक्रमण को भी दूर रखती है।
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महिलाओं के लिए भी है लाभदायक
हेल्थ एक्सपर्ट बताते हैं कि काली हल्दी महिलाओं के लिए अत्यधिक फायदेमंद मानी गई है क्योंकि यह मासिक धर्म को नियमित करने में मदद करती है। मूत्र संबंधी रोगों को ठीक करने के लिए भी इसे एक इंग्रीडिएंट के रूप में उपयोग किया जा सकता है।
लुप्त होने के कगार पर है काली हल्दी
2016 तक, काली हल्दी को भारतीय कृषि विभाग द्वारा लुप्तप्राय प्रजातियों के रूप में सूचीबद्ध किया गया है। बंगाल की खाड़ी के साथ, मध्य पूर्वी तट पर, ओडिशा में काली हल्दी की रक्षा और संरक्षण के लिए प्रयास किए जा रहे हैं।
मिताली जैन
धरती की संजीवनी है गेहूं के जवारे, जानिए इसके बेहतरीन फायदे...
- सिमरन सिंह
- जनवरी 18, 2021 19:22
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गेहूं के जवारे का वनस्पतिक नाम ट्रिटकम वेस्टिकम है। इसे गेहूं का जवारा या घास कहना सही नहीं है, क्योंकि ये असल में अंकुरित गेंहू होते हैं। जब गेहूं के बीजों को अच्छी उपजाऊ वाली जमीन या मीटी के बर्तन में खाद मिली हुई मिट्टी में बोया जाता है तो कुछ ही दिनों में ये अंकुरित होकर बढ़ने लगते हैं।
इस बात से तो हम सभी वाकिफ है कि सेहतमंद शरीर के लिए अनेक तरह के पौष्टिक फल, फूल और अन्य आहारों का सेवन करना काफी जरूरी है। चिकित्सकों के अनुसार गेहूं के जवारे शरीर के लिए बेहद फायदेमंद होते हैं। इसे पृथ्वी की संजीवनी भी कहा जाता है, जो व्यक्ति को एक तरह का नया जीवनदान दे सकते हैं। इसके उपयोग से आंतों की सूजन, रक्त की कमी, अल्सर, उच्च रक्तचाप, दांत संबंधी समस्या, सर्दी, चर्म रोग, अस्थमा,पाचन संबंधी रोग, किडनी, कैंसर समेत कई अन्य समस्याओं से छुटकारा पाया जा सकता है।
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गेहूं के जवारे का वनस्पतिक नाम ट्रिटकम वेस्टिकम है। इसे गेहूं का जवारा या घास कहना सही नहीं है, क्योंकि ये असल में अंकुरित गेंहू होते हैं। जब गेहूं के बीजों को अच्छी उपजाऊ वाली जमीन या मीटी के बर्तन में खाद मिली हुई मिट्टी में बोया जाता है तो कुछ ही दिनों में ये अंकुरित होकर बढ़ने लगते हैं। ऐसे में इनमें पत्तियां निकली शुरू हो जाती हैं। इस दौरान जब ये अंकुर 5 से 6 पत्तों के हो जाते हैं तो अंकुरित बीज का वो भाग जवारा कलाता है। गेहूं के जवारे का रस का सेवन करने से शरीर को कई तरह से लाभ होते हैं। इसमें क्लोरोफिल मौजूद होता है, जो कई रोगों से लड़ने में मददगार साबित होता है। इसके अलावा इसमें अमाइनो एसिड्स, वसा, विटामिन, शर्करा, एंजाइम्स और खनिज मौजूद होते हैं।
ऐसे करें प्रयोग
गेहूं के जवारे को काटने के बाद अच्छे से पहले धो लें। इसके बाद इसमें 1 गिलास के करीब पानी मिलाकर मिक्सी में पीस लें। आप चाहें तो स्वाद के लिए इसमें नमक, नींबू, शहद या अदरक का रस भी मिलाकर पी सकते हैं। आपको रोजाना इसी तरह इसका ताजा जूस बनाकर पीना है। ऐसा इसलिए क्योंकि तीन घंटे के अंदर इस जूस के पोषक तत्व खत्म हो जाते हैं। आप दिन में कभी भी जवारे के जूस का सेवनकर सकते हैं। हालांकि, अगर आप खाली पेट इसका सेवन करेंगे तो आपको ज्यादा लाभ हो सकता है। वहीं, अगर आप दिन में इसे कभी भी पीने का सोच रहे हैं तो इसे पीने से आधे घंटे पहले और बाद कुछ भी न खाए-पिए।
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जवारे के रस के फायदे
1. पेट गैस से राहत मिलती है
2. डायबिटीज के मरिजों के लिए फायदेमंद है
3. पुरानी एलर्जी को दूर करें
4. बालों का सफेद होना रोके
5. बालों का झड़नापन कम करें
6. आंखों की रोशनी बढ़ाए
7. शक्तिशाली टॉनिक का काम करें
8. खून की कमी को दूर कर खून बढ़ाए
9. जोड़ों में सूजन को दूर करें
10. लकवा मरीजों के लिए फायदेमंद
इनके अलावा हृदयरोग, गठिया, दमा, पायरिया, कैंसर, लीवर और पाचन क्रिया जैसी संबंधित समस्यों से भी जवारे का रस राहत दिलवाने में मददगार साबित हो सकता है। इतना ही नहीं, इसका सेवन करने से शरीर में मौजूद विषैले पदार्थ भी बाहर निकाले जा सकते हैं।
- सिमरन सिंह
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- मिताली जैन
- जनवरी 16, 2021 16:22
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कॉफी का सेवन करना आपके लिवर के लिए बेहद फायदेमंद है। कॉफी लीवर में एंटीऑक्सीडेंट के स्तर को बढ़ाती है, जबकि सूजन को कम करती है। यह यकृत रोग, कैंसर और फैटी लीवर के विकास के जोखिम को भी कम करता है।
लिवर हमारे शरीर का एक महत्वपूर्ण अंग है। यह विभिन्न प्रकार के आवश्यक कार्य करता है, जिसमें प्रोटीन, कोलेस्ट्रॉल और पित्त के निर्माण से लेकर विटामिन, खनिज और यहां तक कि कार्बोहाइड्रेट भी शामिल हैं। इतना ही नहीं, यह शरीर में मौजूद टॉक्सिन को तोड़ने में भी मदद करता है। इसलिए यह जरूरी है कि आप खुद को हेल्दी बनाए रखने के लिए अपने लिवर का भी उतना ही ख्याल रखें। इसके लिए आपको अपने आहार पर ध्यान देना होगा। ऐसे कई खाद्य पदार्थ हैं, जो आपके लिवर के लिए बेहद फायदेमंद हैं और इसलिए आपको इन्हें अपनी डाइट में जगह देनी चाहिए। तो चलिए जानते हैं ऐसे ही कुछ फूड्स के बारे में−
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कॉफी
डायटीशियन बताते हैं कि कॉफी का सेवन करना आपके लिवर के लिए बेहद फायदेमंद है। कॉफी लीवर में एंटीऑक्सीडेंट के स्तर को बढ़ाती है, जबकि सूजन को कम करती है। यह यकृत रोग, कैंसर और फैटी लीवर के विकास के जोखिम को भी कम करता है। हालांकि आपको इसका सेवन सीमित मात्रा में करना चाहिए, क्योंकि इसमें कैफीन होता है।
चकोतरा
हेल्थ एक्सपर्ट के अनुसार, चकोतरा भी आपके लिवर को लाभ पहुंचाता है। चकोतरा में एंटीऑक्सिडेंट सूजन को कम करके और इसके सुरक्षात्मक तंत्र को बढ़ाकर लिवर की रक्षा करते हैं। वैसे चकोतरे के अलावा अंगूर का सेवन करना भी लिवर के लिए काफी अच्छा माना गया है।
चुकंदर का जूस
सर्दियों में चुकंदर के जूस को सेहत का साथी माना गया है। इससे आपको कई तरह के लाभ मिलते हैं। यह लिवर के लिए भी बेहद फायदेमंद है। चुकंदर का जूस लीवर को ऑक्सीडेटिव डैमेज और सूजन से बचाता है, और इसके प्राकृतिक डिटॉक्सिफिकेशन एंजाइम को बढ़ाता है।
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जैतून का तेल
अध्ययनों से पता चलता है कि जैतून के तेल का सेवन जिगर में वसा के स्तर को कम करता है, रक्त के प्रवाह को बढ़ाता है और लिवर एंजाइम के स्तर में सुधार करता है। ऐसे में आप इसे अपने सलाद से लेकर खाने तक में शामिल करके अपनी लिवर हेल्थ को बेहतर बना सकते हैं।
ओट्स
डायटीशियन कहते हैं कि लिवर को हेल्दी बनाए रखने के लिए ओट्स को भी डाइट में शामिल करना चाहिए। इसमें मौजूद फाइबर आपके लिवर के लिए लाभकारी है। वैसे, शोध से पता चलता है कि यह आपको कुछ अतिरिक्त पाउंड और पेट की चर्बी कम करने में मदद कर सकता है, जो यकृत की बीमारी को दूर रखने का एक अच्छा तरीका है।
मिताली जैन

