आयुर्वेद में हैं स्मरण शक्ति बढ़ाने वाली कई जड़ी बूटियाँ
जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में सफलता के लिए अच्छी स्मरण शक्ति का खासा महत्व है इसलिए अच्छी स्मरण शक्ति की नींव बचपन से ही डाली जानी चाहिए।
स्मरण शक्ति का हमारे जीवन में क्या महत्व है इससे हम सभी परिचित हैं। दरअसल स्मरण शक्ति ही हमारे जीवन की दिशा निर्धारित करती है। अच्छी स्मरण शक्ति जीवन के हर क्षेत्र में आगे बढ़ने में सहायक सिद्ध होती है। रोजमर्रा के जीवन में भी अनेक कार्य ऐसे होते हैं जो हम अपनी स्मरण शक्ति के आधार पर ही करते हैं। यदि यही स्मरण शक्ति क्षीण हो जाए तो निश्चय ही हम स्वयं को असहाय स्थिति में पाएंगे।
तनाव एक ऐसा कारक है जो स्मरण शक्ति को कमजोर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। प्रायः तनावग्रस्त व्यक्ति ही तथ्यों को ठीक से याद नहीं रख पाते इसके अतिरिक्त गहरी दिमागी चोट, कोई घातक रोग या किसी शोक में पड़ने के कारण भी स्मरण शक्ति कमजोर पड़ जाती है। नशीले पदार्थों का ज्यादा मात्रा में लगातार सेवन करने से भी स्मरण शक्ति क्षीण होने लगती है। स्मरण शक्ति का प्रभाव उम्र से भी संबंधित होता है किशोरावस्था तथा नौजवानी में स्मरण शक्ति तेज होती है। बढ़ती उम्र के साथ−साथ स्मरण शक्ति भी घटती जाती है।
जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में सफलता के लिए अच्छी स्मरण शक्ति का खासा महत्व है इसलिए अच्छी स्मरण शक्ति की नींव बचपन से ही डाली जानी चाहिए। यदि बचपन से ही इस बात का ख्याल रखा जाए कि बच्चे की स्मरण शक्ति तेज हो तो आगे चलकर वह कुशाग्र बुद्धि वाला बनता है।
आयुर्वेद में अनेक ऐसी जड़ी−बूटियां हैं जिनका प्रयोग स्मरण शक्ति को तेज करने के लिए प्राचीन काल से ही किया जा रहा है। एक से तीन वर्ष तक के बच्चों को ब्राह्मी तथा शंखपुष्पी का शरबत नियमित रूप से देना चाहिए। इनके प्रयोग से बच्चे ह्ष्ट−पुष्ट तथा कुशाग्र बुद्धि वाले बनते हैं। इसके अतिरिक्त बेल का शरबत भी मस्तिष्क को पुष्ट करता है।
ब्राह्मी का शरबत बनाने के लिए 50 ग्राम ब्राह्मी के पत्ते लेकर कैंची से काटकर साफ कर लें। बाद में उसे पीस कर उबालें जब तक कि अधिकांश पानी वाष्पित न हो जाए। जब यह पानी केवल 250 ग्राम रह जाए तो उसमें लगभग 500 ग्राम चीनी डालकर दो तार की चाशनी होने तक पका लें।
इसी प्रकार शंखपुष्पी का शरबत भी बनाया जा सकता है। शंखपुष्पी के फूल बाजार में आसानी से मिल जाते हैं। देखने में ये शंख जैसे लगते हैं। तीन वर्ष तक के बच्चों को इस शरबत की एक चम्मच मात्रा सुबह और इतनी ही मात्रा शाम को दी जा सकती है। इससे बच्चों के व्यक्तित्व का समग्र विकास होता है।
आंवले, गाजर तथा सेब के मुरब्बे को एक साथ मिक्सी में पीसकर चटनी बना लें। बाद में इस चटनी में 5−5 ग्राम ब्राह्मी, शंखपुष्पी तथा जटामांसी का चूर्ण मिला लें। लगभग 10 ग्राम छोटी इलायची भी पीस कर इसमें मिला लें। इस चटनी को किसी साफ−सुधरे मर्तबान में संग्रहित कर लें। तीन से आठ वर्ष तक के बच्चों को यह चटनी दिन में तीन बार सुबह, दोपहर तथा शाम को आधी से एक चम्मच दें। इससे बच्चों की स्मरण शक्ति बढ़ती है।
आठ से बीस वर्ष तक के बच्चों को एक अवलेह दिया जा सकता है। जिससे स्मरण शक्ति तेज होती है। इस अवलेह को बनाने के लिए कागजी बादाम की गिरी, अखरोट की गिरी, कच्चे चिलगोजे की 100−100 ग्राम मात्रा तथा 100 ग्राम चारों मगज (खरबूजा, तरबूज, खीरा तथा घीया) को मिलाकर ऑवले का पिसा हुआ मुरब्बा मिला लें। बाद में इस मिश्रण में ब्राह्मी शंख पुष्पी तथा जटांमासी का 10−10 ग्राम चूर्ण तथा छोटी इलायची का 20 ग्राम चूर्ण मिला ले। इस अवलेह को साफ मर्तबान में भरकर रखें। इस मिश्रण की एक−एक चम्मच मात्रा सुबह−शाम लें। इसे गुनगुने दूध के साथ भी लिया जा सकता है।
इसके सेवन से स्मरण शक्ति तो दुरुस्त रहती है साथ ही यह हृदय, नेत्र तथा दांतों को भी पुष्ट करता है। बच्चों को भोजन के बाद मौसम के अनुसार यदि गाजर, घीया या फूल मखाने की खीर दी जाए तो इससे भी शरीर एवं मस्तिष्क स्वस्थ रहता है।
कमलगट्टे के हलुए का सेवन सभी उम्र के लोग कर सकते हैं। मस्तिष्क के लिए यह अमृत के समान होता है। इसे बनाने के लिए कमलगट्टे के बीज निकालकर उसका छिलका उतार लें। इसका हरा भाग हटा दें। इसे पीसकर शुद्ध घी में गुलाबी होने तक भून लें बाद में इसमें चीनी तथा पिसी इलायची मिला लें। यह हलुआ शरीर को निरोग बनाए रखने में भी मदद देता है।
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