किसी भी चीज का दुरुपयोग कतई पसंद नहीं था पंडित नेहरू को

Pandit Nehru was very much loved by the country
नरेश कौशिक । Jan 22 2018 12:50PM

पंडित नेहरू को कई दशक पहले से ही बिजली की कीमत का अंदाजा हो गया था और यही कारण था कि उन्हें न केवल बिजली बल्कि किसी भी चीज का दुरुपयोग कतई पसंद नहीं था।

पंडित नेहरू को कई दशक पहले से ही बिजली की कीमत का अंदाजा हो गया था और यही कारण था कि उन्हें न केवल बिजली बल्कि किसी भी चीज का दुरुपयोग कतई पसंद नहीं था। हर रोज रात में खाना खाने के बाद डायनिंग हाल से निकलते हुए वह कर्मचारियों को बत्तियां बुझाने को कहते थे। देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू के नौ साल तक निजी सुरक्षाकर्मी रहे और दिल्ली पुलिस से बतौर वरिष्ठ सब इंस्पेक्टर सेवानिवृत 80 वर्षीय बलबीर सिंह ने पंडित जी के साथ बिताए दिनों की याद ताजा करते हुए यह जानकारी दी।

बलबीर सिंह ने अपने संस्मरणों को इस प्रकार बांटा− ''पंडित जी कार्यालय से लौटने के बाद तीन मूर्ति स्थित आवास के अपने कार्यालय में रात दो बजे तक काम करते थे और बिना मतलब लाइट जलाना या पंखा चलाना उन्हें सख्त नापसंद था।'' 

उन्होंने एक रोचक किस्सा सुनाया ''एक बार विजयलक्ष्मी पंडित और पद्मजा नायडू के साथ वह तीन मूर्ति के बगीचे में टहल रहे थे। मैं उनके पीछे था। एक पेड़ को लेकर तीनों में बहस हो गयी। पंडित जी ने कहा, आम का पेड़ है। पद्मजा नायडू ने कहा कि आम का नहीं है, आखिर में वह बोले कि मेरे आदमी बता देंगे कि यह किस चीज का पेड़ है।'' 

बलबीर सिंह बोले ''इस बहस में मुझे अंदाजा हो गया था कि पेड़ के बारे में मुझसे पूछा जा सकता है और यही हुआ भी। जब उन्होंने मुझसे पूछा तो मैंने कहा कि यह आम का पेड़ नहीं है क्योंकि आम के पेड़ की शाख पर नीचे तक पत्ते नहीं होते। इसकी नमेड़ (छोटा फल) देखने से पता चलता है कि यह लीची का पेड़ है।''

पंडित जी इस पर बहुत हंसे। 26 जनवरी के संबंध में उन्होंने बताया कि हर बार गणतंत्र दिवस परेड समारोह के बाद पंडित जी तीन मूर्ति निवास पर एनसीसी कैडेटों से मिलते थे और टोपी पहन कर उनके साथ नाचते थे। बलबीर सिंह ने 15 अगस्त का एक वाकया सुनाया कि पंडित जी लालकिले की प्राचीर से भाषण दे रहे थे कि उसी समय बारिश शुरू हो गयी। अपने शीर्ष अधिकारियों के आदेश पर वह छतरी लेकर पंडित जी के पास खड़े हो गए। पंडित जी ने अपना भाषण बीच में ही रोक कर धीरे से कहा, ''इतने लोग बैठे हैं, इनके ऊपर भी छतरी क्यों नहीं लगा देते।'' उनका इतना कहना ही डांटने के बराबर था लेकिन इससे यह पता चलता है कि आम आदमी के प्रति उनके दिल में कितनी मुहब्बत थी। 

एक बार बलबीर सिंह का तबादला हौजकाजी पुलिस स्टेशन में हो गया। वह जाने से पहले पंडित जी से मिलने आए और उन्हें उनका प्रिय गुलाब का फूल भेंटकर अभिवादन करते हुए इसकी जानकारी दी। उस दिन पंडित जी लंदन यात्रा पर जाने से पहले जनता से मिलने बाहर आए थे। इस पर नेहरूजी ने छूटते ही कहा, ''यहां अच्छा नहीं है क्या।''

इसके बाद पता नहीं क्या हुआ कि बलबीर सिंह का तबादला रद्द हो गया और उन्होंने पंडित जी के साथ नौ साल बिताए। उनके निधन के बाद ही बलबीर सिंह की भी तीन मूर्ति से विदायी हो गयी। 1964 में पंडित जी के निधन के बाद सुरक्षा अधिकारियों ने बलबीर सिंह को भी अंतिम समय का ब्यौरा देने को कहा था जिस पर उन्होंने करीब पांच छह पन्नों में अपनी बात लिखकर अधिकारियों को सौंपी थी।

−नरेश कौशिक

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