सॉफ्ट कीड़े की तरह दरारों में प्रवेश कर सकेगा ‘रोबोट''
‘रोबोट्स’ को मशीनों का इंसानीकरण कहा जा सकता है जिनका विकसित रूप आज अपनी ‘आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस’ का उपयोग करते हुए इंसानी भाषा को भी समझ पाने में सक्षम हो चुका है।
‘रोबोट’ शब्द से दुनिया भर के लगभग सभी लोग परिचित हैं। इंसानी दिमाग की उपज ‘रोबोट्स’ आज उन कई कठिन कार्यों को भी कर पा रहे हैं जो इंसानों के लिए दुष्कर रहे हैं। ‘रोबोट्स’ को मशीनों का इंसानीकरण कहा जा सकता है जिनका विकसित रूप आज अपनी ‘आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस’ का उपयोग करते हुए इंसानी भाषा को भी समझ पाने में सक्षम हो चुका है।
रोबोट्स ने हमारे अधिकतर कठिन कार्यों को आसान बना दिया है, यह धरती पर तो हमारे काम को आसान बना रहा ही रहा है अंतरिक्ष में जाकर भी कार्य करने को तैयार हो चुका है। जल, थल और आसमान सभी जगह रोबोट्स काम कर रहे हैं। ‘स्नेक-बोट’ रोबोट का नाम आपने सुना होगा यह सूखी जगह पर सांप की तरह रेंग सकता है और पानी में तैर भी सकता है। ऐसा ही एक रोबोट ‘नाओ रोबोट’ है जिसे फ्रांस की कंपनी ने विकसित किया है, विभिन्न सतहों पर यह रोबोट तेज गति से चल सकता है साथ ही सुनने और देख पाने में भी सक्षम है। यह रोबोट वस्तुओं की पहचान कर उन्हें खोज सकता है तथा गंगनम स्टाइल में डांस भी करता है।
दशकों से वैज्ञानिकों का प्रयास एक ऐसे रोबोट को विकसित करने का भी रहा है जो केंचुआ अथवा घोंघा जैसे जीव जो चलने के लिए अपने मुलायम शरीर का इस्तेमाल करते हैं की तरह चलकर जटिल माहौल में भी अपनी राह आसान बना पाए और हाल ही में इस तरह के रोबोट को बना पाने में सफलता मिली है। पोलैंड में वारसा यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता ऐसे रोबोट को विकसित कर पाने में सफल हुए हैं जो मुलायम कीड़ों की तरह ही ढलान पर चढ़ सकता है तथा उनकी ही तरह से दरारों में प्रवेश भी कर सकता है।
शोधकर्ताओं के अनुसार उनका बनाया जैव प्रेरित छोटे से आकार का यह सॉफ्ट रोबोट अपने वजन से दस गुना अधिक भार उठा पाने में सक्षम है। इसे लिक्विड क्रिस्टल इलास्टोमेर तकनीक के उपयोग से तैयार किया गया है। पन्द्रह मिमी लंबे इस रोबोट को लेजर किरणों की मदद से संचालित किया जाता है। यह हरी लाइट से ऊर्जा प्राप्त करता है।
वैज्ञानिकों का कहना है कि हालांकि अभी तक ऊर्जा प्रबंधन और रिमोट कंट्रोल में दिक्कतों के चलते ऐसे सॉफ्ट रोबोट्स तैयार कर पाना सीमित था किन्तु अब लिक्विड क्रिस्टल इलास्टोमेर के विकास से इस तरह के रोबोट को बनाया जाना संभव हो गया है। शोधकर्ताओं को उम्मीद है कि इस तकनीक से सूक्ष्म और सॉफ्ट रोबोट के निर्माण की दिशा में नई राह खुल सकती है।
- अमृता गोस्वामी
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