दुश्मन मधुमक्खियां (बाल कथा)

राजेश मेहरा । Apr 6 2017 3:02PM

थोड़ी देर बाद ही मधुमक्खियां आईं और प्रजा को तथा सेनापति व सभी सैनिकों को घायल करके चली गईं। कोई भी उनका कुछ नहीं कर पाया। अब सब जानवर राजा शेर सिंह के पास दोबारा पहुंचे।

ताजपुर जंगल में ठंडी हवा बह रही थी। सारे जानवर अपने काम में व्यस्त थे। तभी हरी हिरन तेजी से भागता हुआ आया और बोला- सब अपने आप को बचाओ मधुमक्खियों ने हमारे जंगल पर हमला कर दिया है जो भी उनके रास्ते में आ रहा है वो उस पर अपने जहरीले डंकों से हमला कर देती है और उसे घायल कर रही हैं। हरी हिरन की बात सुनकर जानवर संभल पाते तब तक उन मधुमक्खियों ने आकर सब पर डंक मार दिए और उनको घायल कर दिया। उनको समझ भी नहीं आ रहा था कि इन मधुमक्खियों ने उन पर हमला क्यों किया था? सारे जानवर समझे कि हो सकता है किसी ने उनके शहद के छत्ते को छेड़ा हो और इसलिए नाराज हों? लेकिन अगले दिन फिर उन्होंने जंगल के दूसरे इलाके पर हमला किया और वहां के जानवरों को भी घायल कर दिया। अब तो रोज की बात हो गई थी वो मधुमक्खियां आतीं और ताजपुर जंगल में किसी ना किसी को डंक मार कर घायल कर देती थीं। जब पानी सिर से ऊपर हो गया तो सारे जानवर मिलकर राजा शेर सिंह के पास अपनी शिकायत लेकर पहुंचे और उनसे मधुमक्खियों से बचाने की प्रार्थना की। राजा ने उनकी बात सुनकर अपने सेनापति घोड़ा सिंह को आदेश दिया की वो सारी प्रजा की रक्षा करें और हमे इस बारे में अवगत करायें। सेनापति घोडा सिंह अपने सैनिकों के साथ जंगल में पहरा देने लगे। 

थोड़ी देर बाद ही मधुमक्खियां आईं और प्रजा को तथा सेनापति व सभी सैनिकों को घायल करके चली गईं। कोई भी उनका कुछ नहीं कर पाया। अब सब जानवर राजा शेर सिंह के पास दोबारा पहुंचे। राजा शेर सिंह ने जंगल में घोषणा करवा दी की यदि कोई उन मधुमक्खियों को ताजपुर जंगल से भगा देगा तो उसे उचित इनाम दिया जायेगा। लेकिन मधुमक्खियों के डर से कोई भी जानवर उनको भगाने की हिम्मत नहीं जुटा पाया। अब ताजपुर जंगल में हर तरफ दहशत का माहौल था। वो कभी भी आतीं और सबको घायल करके चली जाती थीं। एक दिन हिम जंगल का भीम भालू ताजपुर जंगल के बाहर से गुजर रहा था। वो पानी पीने के लिये एक घर के सामने से गुजरा तो उसने मधुमक्खियों के आतंक के बारे में सुना और ताजपुर जंगल के जानवरों को उनसे निजात दिलाने की सोची। वह राजा शेर सिंह से मिला और उन्हें आस्वासन दिया की अब इस समस्या से वो जल्द ही छुटकारा पा लेंगे। उसने राजा शेर सिंह से कुछ जरूरी सामान लिया और सेनापति घोड़ा सिंह को साथ लेकर घने जंगल की तरफ चल दिया। दोनों ने मिलकर सारा जंगल छान मारा लेकिन उन खतरनाक मधुमक्खियों का कुछ पता नहीं लगा। उन दोनों ने वापिस जाने का फैसला किया। दोनों वापिस जाने के लिए मुड़े ही थे कि उनको दूर से मधुमक्खियों के आने की आवाज आई। 

भीम भालू ने सेनापति घोड़ा सिंह को दूर झाड़ियों के पीछे जाने का इशारा किया तो वो जल्दी से झाड़ियों में जाकर छिप गया वह नहीं चाहता था कि मधुमक्खियां दोबारा उसे घायल कर दें। थोड़ी देर में मधुमक्खियां भीम भालू के पास आ गईं। उनको देख भीम ने रुकने का इशारा किया तो वो सब उस पर डंक मारने के लिये टूट पड़ीं। भीम भालू के शरीर पर लंबे लंबे बाल थे इसलिय उसे कुछ नहीं हुआ बल्कि उसने कुछ मधुमक्खियों को अपने हाथ में दबोच लिया। ये सब देख कर मधुमक्खियों की रानी घबरा गईं। उसने भीम भालू से उन मधुमक्खियों को छोड़ देने को कहा। भीम भालू बोला- मैं एक शर्त पर ही इनको छोड़ूंगा? रानी मधुमक्खी बोली- वो शर्त क्या है? इस पर भीम भालू बोला- तुम्हें ताजपुर जंगल के जानवरों को डंक से घायल करना बंद करना पड़ेगा। इस पर रानी बोली- हम ऐसा नहीं कर सकते, हमारी मजबूरी है। भीम भालू चोंकते हुए बोला- भला तुम्हारी क्या मजबूरी हो सकती है? इस पर रानी दुःखी हो गई। इतना देख कर भीम भालू ने अपने हाथ में पकड़ी मधुमक्खियों को छोड़ दिया। अब वो रानी मधुमक्खी से बोला- मुझे तुम अपनी मजबूरी बताओ हो सकता है मैं तुम्हारी कुछ मदद कर पाऊं। रानी मधुमक्खी ने बताया कि पड़ोसी जंगल का राजा गेंडा सिंह उनसे ये सब करवा रहा है ताकि वो ताजपुर जंगल के जानवरों को घायल व कमजोर करके एक दिन अचानक हमला करके उसे जीत ले और ये सब हमसे कराने के लिए उसने हमारे बच्चों को कैद कर रखा है। 

अब छुपा हुआ सेनापति घोड़ा सिंह भी बाहर आ गया। भीम भालू और घोड़ा सिंह ने उनके बच्चों को छुड़ाकर लाने की सोची। उन्होंने रानी मधुमक्खी को अपने साथ लिया और पड़ोस के जंगल में चल दिए। उन दोनों ने साथ लाये हथियारों से हमला करके राजा गेंडा सिंह के सैनिकों को घायल कर दिया और मधुमखियों के बच्चो को छुड़ाकर ताजपुर जंगल ले आये। सारी मधुमक्खियां खुश थीं उन्होंने अब किसी पर हमला ना करने की कसम खाई। ताजपुर जंगल के राजा शेर सिंह ने उन मधुमक्खियों को अपने राज्य में रहने की इजाजत दे दी। भीम भालू को उसके काम के लिए इनाम दिया गया और सेनापति घोड़ा सिंह भी पदोन्नति दी गई। राज्य में अब हर तरफ ख़ुशहाली थी।

- राजेश मेहरा

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