सही समय पर हो काम (बाल कहानी)
शेखू बड़ा हो रहा था उसकी मम्मी ने उसे कई अच्छी बातें सिखाई थी जो उसके संस्कार बन गए थे. दूसरों की मदद करनी चाहिए यह भी उसे बताया गया था. वह पढ़ाई में खूब मेहनत करता था और अच्छे नम्बरों में पास होता था।
शेखू बड़ा हो रहा था उसकी मम्मी ने उसे कई अच्छी बातें सिखाई थी जो उसके संस्कार बन गए थे। दूसरों की मदद करनी चाहिए यह भी उसे बताया गया था। वह पढ़ाई में खूब मेहनत करता था और अच्छे नम्बरों में पास होता था। उसने अपने घर के आंगन में अपनी छोटी बहन अन्नू की मदद से कई पौधे फूल लगाए थे। एक पौधे की वजह से जिसे वह अपने पापा की मदद से एक कार्यालय से मुरझाई दशा में लाया था उसे पुरस्कार भी मिला था।
कुछ दिन पहले की बात है, उसकी मम्मी ने सोचा बच्चे अब बड़े हो रहे है इन्हें घर से बाहर के भी छोटे मोटे काम करने सिखाने चाहिए। शेखू की मम्मी ने अन्नू शेखू को एक काम सौंपा कि दोनों बाज़ार जाकर कुछ चीज़ें खरीद कर लाओ। लिस्ट उन्हें ही बनाने को कहा। मुख्य शहर जाने के लिए उनके घर के पड़ोस से लोकल बस मिल जाती थी जो हर आधा घंटे के अंतराल पर मिलती थी. आज सुबह उन्होंने सामान लेने जाना था। शेखू अन्नू दोनों अकेले पहली बार घर का सामान खरीदने जा रहे थे। हालांकि उनके स्कूल में छुट्टी थी फिर भी शेखू सोच रहा था कि नाश्ता कर जल्दी निकलेगें ताकि खरीदकर दोपहर के खाने से पहले लौट सकें।
उसने हमेशा की तरह घड़ी में अलार्म लगाया व उठ गया मगर अन्नू नहीं उठी। उसने कहा अभी उठती हूं। आज तो छुट्टी है न छूट्टी के दिन भी जल्दी क्यूं उठना। जब तक शेखू नहा धोकर तैयार हो गया था सुस्त अन्नू बिस्तर पर लेटी हुई थी। उसकी मम्मी ने कहा उठ जा बच्चे शेखू तो तैयार हो गया मैं नाश्ता बना रही हूं। अन्नू उबासियां लेते उठी और सीधे बाथरूम में घुस गई। इधर शेखू नाश्ता करने बैठ गया सुबह के नौ बज रहे थे वह सोच रहा था कि साढ़े नौ बजे वाली बस से निकल पड़ेगें ताकि दस बजे तक मार्किट पहुंच जाएं। अन्नू ने नहाकर निकलते हुए समय लगाया फिर अपने बाल ठीक करने लगी अभी उसने कपड़े भी बदलने थे। शेखू ने उसे फिर याद दिलाया कि बस निकल जाएगी। वह बोली अगली बस से चलेगें, तो क्या हुआ। हुआ भी यही अन्नू ने नाश्ता करते करते पौने दस बजा दिए। उनकी दस बजे वाली बस छूट गई अब अगली बस साढ़े दस बजे जानी थी। उन्हें उस बस में जाना पड़ा। छुट्टी के कारण बाज़ार में भीड़ थी सो वहां भी समय लग गया वापिस आतेआते और देर हो गईं दोनों खाना खाने के समय घर नहीं पहुंचे तो मम्मी ने डांटा, कहा था न घर से जल्दी निकलो।
बिजली का बिल इस बार देर से आया था. पापा ऑनलाइन बिल जमा करा सकते थे। मगर बच्चों को ज़िम्मेदारी का अहसास हो इसलिए कुछ काम बच्चों से करवाते थे। इस बार शेखू को जिम्मेदारी मिली। रात को पापा ने उसे पैसे दे दिए। सुबह शेखू ने बिजली का बिल जमा कराने जाना था। बिजली का दफतर घर से काफी दूर था और बिल जमा करवाने की अंतिम तारीख थीं उसने जान बूझकर शरारत की। हांलाकि वह अलार्म के बिना ही उठ गया था मगर जानबूझकर लेटा रहा। अन्नू ने उसे कहा जाओ वह बोला जब तू नहीं उठती तो मैं क्यूं उठूं। मम्मी ने कहा उठ जा देर हो जाएगी। उसने कहा कोई बात नहीं मैं दूसरी बस से चला जाऊंगा। वह लेट करते करते दस बजे वाली बस से गया।
बिजली के दफतर पहुंच कर उसने देखा वहां तो लम्बी लाइन लगी हुई है बिल जमा कराने की अंतिम तारीख जो थी तभी रश कुछ ज्यादा ही था। वह भी लाइन में लग गया। उसकी बारी आते आते दो घंटे लग गए। वह खड़ा खड़ा थक गया। बिल चुका कर हटा तो उसे भूख लग गई थी। घर वापिस जाने के लिए उसकी बस निकल चुकी थी। अगली बस से जब वह घर पहुंचा तो बहुत थक गया था।
शेखू बोला मम्मी मैं तो परेशान हो गया दो घंटे लाइन में खड़ा होना पड़ा। मम्मी बोली तुम्हें समझाया था कि घर से साढ़े आठ बजे निकल जाना ताकि जल्दी पहुंचकर लाइन में खड़े हो जाओ। अगर ऐसा करते तो तुम्हारा नम्बर जल्दी आ जाता। सही समय पर पहुंचने की बढ़िया आदत हर जगह काम आती है। सुबह उठने में, नाश्ता करने में, खाने में, कहीं भी जाने में या पढ़ने में यानी स्वानुशासन. सामने खड़ी अन्नू भी सुन रही थी उसे भी समझ आ रहा था। बाद में मम्मी ने शेखू से पूछा तुम तो सभी काम ठीक समय पर करते हो आज ऐसा क्यूं किया। अन्नू को सबक सिखाने के लिए शेखू का जवाब रहा। शायद अन्नू को भी समझ आ चुका था कि उसके भैया ने उसे सबक सिखा दिया।
- संतोष उत्सुक
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