जानते हैं कितने घंटे सोता है अफ्रीकी जंगली हाथी?
यदि अफ्रीका में रहने वाले जंगली हाथी की बात करें तो उसके लिए 24 घंटे में मात्र 2 घंटे की नींद ही पर्याप्त होती है। एक हालिया अध्ययन में यह बात सामने उभर कर आई है।
दोस्तों, हमें यदि एक पूरी रात जागना पड़ जाए तो हमारा अगला पूरा दिन उनींदा ही बीतता है। ज्यादा थकान के कार्यों के बाद भी हमारी यही इच्छा रहती है कि अब जल्दी से बिस्तर मिल जाए ताकि अच्छी नींद ली जा सके और मेहनत-मजदूरी करने वाले कई लोगों के लिए तो बिस्तर होना भी जरूरी नहीं, उन्हें कहीं भी नींद आ जाती है। कहने का मतलब है कि हमारी जिंदगी में नींद बहुत जरूरी है।
वैज्ञानिकों का कहना है कि स्वस्थ रहने के लिए इंसान को 24 घंटों में से कम से कम 7 से 9 घंटे की नींद लेना आवश्यक है। इससे कम नींद होने से शरीर का सिस्टम प्रभावित होता है और दिल की बीमारियां, डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, और मोटापा जैसी बीमारियां होने का खतरा रहता है। कम नींद का असर इंसान के दिमाग पर भी देखा जा सकता है जो व्यक्ति पर्याप्त नींद नहीं ले पाता वह तनाव ग्रस्त रहता है।
देखा जाए तो हम इंसानों के लिए नींद उतनी ही जरूरी है जितना खाना-पीना। परन्तु आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि जानवरों में नींद के मायने हमसे अलग हैं। ऐसा नहीं है कि जानवरों को नींद की जरूरत नहीं होती कई जानवर तो इंसानों से भी ज्यादा सोते हैं किन्तु यदि अफ्रीका में रहने वाले जंगली हाथी की बात करें तो उसके लिए 24 घंटे में मात्र 2 घंटे की नींद ही पर्याप्त होती है।
अब हाथी के जितने विशाल शरीर को देखकर तो यही अंदाजा लगाया जा सकता है कि अवश्य ही यह प्राणी बहुत अधिक सोता होगा किन्तु ऐसा नहीं है। हाल ही में दक्षिण अफ्रीका की यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने हाथियों की नींद की अवधि को जानने के लिए उन पर एक अध्ययन किया। वैज्ञानिकों ने बोत्सवाना के चोबे नेशनल पार्क में दो मादा हाथियों पर 35 दिन तक नजर रखी। इसके लिए हाथियों के शरीर में एक छोटे आकार का उपकरण और जीपीएस कॉलर भी लगाया गया। उपकरण हाथियों की सूंड़ में लगाया गया जो सूंड़ के पांच मिनट तक स्थिर रहने के आधार पर पता लगा लेता था कि वह कब और कितनी देर सोईं।
शोधकर्ताओं के अनुसार ये मादा हाथी कई बार तो 30 किमी तक चलती रहीं और अपने 46 घंटे के लंबे सफर में एक बार भी नहीं सोईं और तना चलने के बावजूद अगली रात को भी उन्होंने अतिरिक्त नींद नहीं ली। शोधकर्ता पौल मैंगर का कहना है कि ये दोनों हथनियां, हाथियों के बड़े समुदाय का प्रतिनिधित्व करती हैं। ये शायद शेर या शिकारियों से बचने के लिए दूर-दूर तक चली गईं। इस दौरान वे खड़ी-खड़ी झपकियां लेती रहीं। ये तीन या चार दिनों में सिर्फ एक बार लेट कर सोईं।
मैंगर के अनुसार अभी हम पूरे यकीन से नहीं कह सकते कि हाथी सबसे कम क्यों सोता है किन्तु यह स्पष्ट हो गया है कि वह रोजाना औसतन दो घंटे की ही नींद लेता है और यह सिलसिला भी उसका रोजाना का नहीं है। कभी कभी तो यह बिल्कुल भी नहीं सोता या खड़े-खड़े ही झपकी मार लेता है। ये किसी भी स्तनपायी जीव की नींद की सबसे कम अवधि है।
वैज्ञानिकों का यह शोध साइंस पत्रिका ‘प्लस वन’ पत्रिका में प्रकाशित हुआ है। शोधकर्ताओं का कहना है कि नींद लेना ना लेना हमारे बस में नहीं है जब कभी कोई प्राणी सो नहीं पाता तो इसके पीछे कई जरूरी कारण हो सकते हैं। जरूरत है कि पशुओं के प्राकृतिक वातावरण के बारे में और अधिक अध्ययन की। भविष्य में हाथियों की नींद पर शोधों को और विस्तार दिया जाएगा जिसमें नर हाथियों को भी शामिल किया जाएगा। आगे शोधों में हाथियों के आंख की रेटिना को घुमा कर झपकी लेने या सपना देखने का भी अध्ययन किया जाएगा।
- अमृता गोस्वामी
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