‘मिराइतोवा’ और ‘सोमाइटी’ होंगे टोक्यो ओलंपिक 2020 के शुभंकर

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ओलंपिक खेलों का क्रेज दुनिया भर में देखते ही बनता है। प्राचीन ओलंपिक खेलों की शुरूआत 776 ईसा पूर्व ग्रीस में हुई थी उसके बाद काफी समय तक इन खेलों में विराम रहा। 1896 में एथेंस, ग्रीस से आधुनिक ओलंपिक खेलों की शुरूआत हुई।

ओलंपिक खेलों का क्रेज दुनिया भर में देखते ही बनता है। प्राचीन ओलंपिक खेलों की शुरूआत 776 ईसा पूर्व ग्रीस में हुई थी उसके बाद काफी समय तक इन खेलों में विराम रहा। 1896 में एथेंस, ग्रीस से आधुनिक ओलंपिक खेलों की शुरूआत हुई। आधुनिक ओलंपिक खेलों के जनक पियरे डी कुवर्तेन थे जिन्होंने 1894 में अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति की स्थापना की थी। इन खेलों का प्रारंभ ओलंपिया में होने के कारण इन्हें ओलंपिक खेल नाम दिया गया। इन खेलों के प्रतीक चिन्ह में लाल, नीले, हरे, पीले और काले रंगों के पांच वलय दर्शाए गए हैं जो पांच महाद्वीपों अमरीका, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया, एशिया और अफ्रीका का प्रतिनिधित्व करते हैं।

ओलंपिक खेलों के साथ ही नाम आता है पैरालंपिक खेलों का भी जिन्हें ओलंपिक खेलों के तुरंत बाद ही उसी मैदान पर आयोजित किया जाता है। पैरालंपिक खेल अब ओलंपिक खेलों का ही हिस्सा बन चुके हैं जिनमें दिव्यांग खिलाड़ियों को खेलों में अपनी प्रतिभा दिखाने का मौका मिलता है। पैरालंपिक खेलों की शुरुआत दूसरे विश्व युद्ध के बाद घायल सैनिकों के जज्बे को कायम रखने के मकसद से हुई थी। शुरूआत में इन्हें अंतर्राष्ट्रीय व्हीलचेयर गेम्स नाम दिया गया था। ये खेल पहली बार 1960 में रोम में आयोजित हुए थे जिनमें 23 देशों के 400 खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया था।

दोस्तों, जब ओलंपिक खेलों की बात हो रही हो तब इनके शुभंकरों की चर्चा न हो अधूरी सी बात है। शुभंकर जिन्हें किसी आयोजन में शुभता के संदर्भ में देखा जाता है को लोगों को प्रेरित करने के लिए बनाया जाता है। ओलंपिक खेलों में शुभंकर अपनी खास भूमिका निभाते हैं। पिछले ओलंपिक जो 2016 में रियो में खेले गए थे का शुभंकर पीले रंग का विनिसियस था जिसमें बिल्ली और बंदर जैसी चपलता और पक्षियों जैसा भोलापन देखने को मिला था। वहीं इन खेलों के पैरालंपिक का शुभंकर नीले रंग का टॉम था जिसमें ब्राजील के जंगलों के पेड़ों और पौधों को दर्शाया गया था।

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अब बात आती हैं 2020 में जापान, टोक्यो में आयोजित होने ओलंपिक के शुभंकर की। इन खेलों की तैयारियां जोरों पर हैं और इनके लिए भी शुभंकर चुने जा चुके हैं। इन ओलंपिक में जो खास शुभंकर आपको नजर आने वाले हैं वे सुपर पॉवर वाले  हैं। जापान ने जहां बच्चों से लेकर बड़ों तक का मनोरंजन करने वाले सुपर पॉवर करेक्टर्स पोकेमॉन, निंजा हथौडी हैली किटी, डोरेमॉन, सैलरमून, और ड्रेगनबॉल दुनिया को दिए है जाहिर है यहां के लिए शुभंकर भी कोई सुपर पॉवर वाला करेक्टर ही चुना जाना था। इन ओलंपिक के लिए जो दो करेक्टर्स शुभंकर के रूप में अंतिम रूप से चयनित किए गए उनके नाम हैं ‘मिराइतोवा’ और ‘सोमाइटी'। मिराइतोवा, भविष्य और अमरत्व से जुड़े जापानी शब्दों का मिश्रण है जबकि सोमाइटी का नामकरण जापान के एक खास प्रकार के चेरी के पेड़ और अंग्रेजी उच्चारण सो माइटी (इतना शक्तिशाली) से लिया गया है।

‘मिराइतोवा’ को ओलंपिक में शुभंकर चुना गया जो नीले-चेक की धारियों, हिरण जैसी आंखों और नुकीले कान वाला सुपरहीरो है। यह विशेष ताकत वाला है जो न्याय का पक्षधर है और काफी फुर्तीला है। इसके पास जादुई शक्तियां हैं जिनसे वह किसी भी जगह तुरंत पहुंच सकता है, यह पत्थरों और हवा से बात कर सकता है। पैरालंपिक के लिए ‘सोमाइटी’ शुभंकर पिंक-चेक वाला, काफी धैर्यवान शुभंकर है, जरूरत पड़ने पर यह बहुत ताकतवर बन जाता है और देखकर ही किसी भी चीज को हवा में उड़ा सकता है. जापान में इन करेक्टर्स को शुभंकर के लिए लाखों स्कूली बच्चों द्वारा चुना गया।


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गौरतलब है कि जापान, टोक्यो ओलिंपिक के शुभंकर की चयन प्रतियोगिता के लिए करीब दो हजार व्यक्तिगत और ग्रुप डिजाइन की प्रविष्टियां प्राप्त हुई थीं जिनमें से एक्सपर्ट ने पहले अंतिम तीन जोड़ियों को चुना और फिर जापान के प्राथमिक स्कूल के लाखों बच्चों के सामने इन्हें वोटिंग के लिए रखा गया, बच्चों ने इनमें से मिराइतोवा और सोमाइटी की जोड़ी को चुना। मिराइतोवा और सोमाइटी के रचियता रियो तानीगुची कैलिफोर्निया से हैं जो करेक्टर डिजाइन का काम करते हैं।

- अमृता गोस्वामी

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