मात्र पर्व नहीं, रक्षा और बन्धन का संगम है राखी
रक्षाबंधन केवल एक त्योहार नहीं बल्कि हमारी परंपराओं का प्रतीक है, जिसने आज भी हमें अपने परिवार व संस्कारों से जोड़े रखा है। राखी का वास्तविक अर्थ भी यही है कि किसी को अपनी रक्षा के लिए बांध लेना।
भारतीय संस्कृति में अलग−अलग प्रकार के धर्म, जाति, रीति, पद्धति, बोली, पहनावा, रहन−सहन के लोगों के अपने−अपने उत्सव, पर्व और त्यौहार हैं, जिन्हें वर्ष भर बड़े धूमधाम से मनाये जाने की सुदीर्घ परम्परा है। भारत त्योहारों का देश है। यहाँ विभिन्न प्रकार के त्योहार मनाए जाते हैं। हर त्योहार अपना विशेष महत्त्व रखता है। रक्षाबंधन भाई−बहन के प्रेम का प्रतीक त्योहार है। यह भारत की गुरु−शिष्य परंपरा का प्रतीक त्योहार भी है। यह दान के महत्त्व को प्रतिष्ठित करने वाला पावन त्योहार है। रक्षाबंधन केवल एक त्योहार नहीं बल्कि हमारी परंपराओं का प्रतीक है, जिसने आज भी हमें अपने परिवार व संस्कारों से जोड़े रखा है।
रक्षाबंधन बहन की रक्षा की प्रतिबद्धता का दिन है, जिसमें भाई हर दुख−तकलीफ में अपनी बहन का साथ निभाने का वचन देता है। यही वह वचन है, जो आज के दौर में भी भाई−बहन को विश्वास के बंधन से जोड़े हुए है। राखी का वास्तविक अर्थ भी यही है कि किसी को अपनी रक्षा के लिए बांध लेना। इस दिन बहनें भाइयों को सूत की राखी बांधकर अपनी जीवन रक्षा का दायित्व उन पर सौंपती हैं। त्योहार हमारी सांस्कृतिक धरोहर है। इन्हीं के माध्यम से रिश्तों की गहराई महसूस की जाती है। रक्षाबंधन भाई−बहन के स्नेह व ममता की डोर में बंधा ऐसा पर्व है, जिसे परस्पर विश्वास की डोर ने सदियों से बांध रखा है। रक्षाबंधन श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। सावन में मनाए जाने के कारण इसे श्रावणी भी कहते हैं। रक्षाबंधन के त्योहार में राखी या रक्षासूत्र का महत्व सबसे अधिक है। राखी कच्चे सूत के धागे जैसे सस्ती वस्तु से लेकर रंगीन कलावे, रेशमी धागे तथा सोने−चांदी जैसी मंहगी वस्तु तक की होती है । सामान्यतः राखी के त्योहार में बहनें भाई को राखी बांधती हैं। लेकिन राखी के त्योहार को और भी तरिके से मनाया जाता है, जैसे बेटी अपने बाप को, शिष्य अपने गुरु को और औरतें उस आदमी को बाँध सकती है, जो कि उसकी रक्षा कर सके। इस पर्व को सार्वजनिक रूप से लोगों के बीच में भी मनाया जाता है।
प्रकृति संरक्षण के लिए वृक्षों को भी राखी बांधने की परंपरा का आरंभ हो गया है। रक्षासूत्र को बांधते समय सभी आचार्य एक श्लोक का उच्चारण करते हैं, जिसमें रक्षाबंधन का सम्बन्ध राजा बलि के स्पष्ट रूप से दृष्टिगोचर होता है। यह श्लोक रक्षाबंधन का अभीष्ट मंत्र है। श्लोक में कहा गया है कि, जिस रक्षासूत्र से महान शक्तिशाली दानवेन्द्र राजा बलि को बांधा गया था, उसी रक्षाबंधन से मैं तुम्हें बांधता हूं, जो तुम्हारी रक्षा करेगा।
राजस्थान में ननद अपनी भाभी को एक विशेष प्रकार की राखी बाँधती है जिसे लुम्बी कहते हैं। कई जगह बहनें भी आपस में राखी बाँध कर एक दूसरे को सुरक्षा को भरोसा देती हैं। इस दिन घर में नाना प्रकार के पकवान और मिठाइयों के बीच घेवर (मिठाई) खाने का भी विशेष महत्व होता है। रक्षा सूत्र के साथ अनेक प्रान्तों में इस पर्व को कुछ अलग ही अंदाज में मनाते हैं। महाराष्ट्र में ये त्योहार नारियल पूर्णिमा या श्रावणी के नाम से प्रचलित है। तमिलनाडु, केरल, महाराष्ट्र और ओडिशा के दक्षिण भारतीय ब्राह्मण इस पर्व को अवनी अवित्तम कहते हैं। कई स्थानों पर इस दिन नदी या समुद्र के तट पर स्नान करने के बाद ऋषियों का तर्पण कर नया यज्ञोपवीत धारण किया जाता है। रक्षाबंधन के इस पावन पर्व का महत्व इसलिए और अधिक हो जाता है क्योंकि इसी दिन अमरनाथ की यात्रा सम्पूर्ण होती है, जिसकी शुरुआत गुरु पूर्णिमा से होती है।
इस दिन बहनें अपने भाई के दायें हाथ पर राखी बांधकर उसके माथे पर तिलक करती हैं और उसकी दीर्घ आयु की कामना करती हैं। बदले में भाई उनकी रक्षा का वचन देता है। ऐसा माना जाता है कि राखी के रंगबिरंगे धागे भाई−बहन के प्यार के बंधन को मजबूत करते है। भाई बहन एक दूसरे को मिठाई खिलाते हैं और सुख दुख में साथ रहने का यकीन दिलाते हैं। यह एक ऐसा पावन पर्व है जो भाई−बहन के पवित्र रिश्ते को पूरा आदर और सम्मान देता है। सगे भाई बहन के अतिरिक्त अनेक भावनात्मक रिश्ते भी इस पर्व से बंधे होते हैं जो धर्म, जाति और देश की सीमाओं से भी परे होते हैं। रक्षा बंधन आत्मीयता और स्नेह के बंधन से रिश्तों को मजबूती प्रदान करने का पर्व है।
रक्षाबंधन पारिवारिक समागम और मेल−मिलाप बढ़ाने वाला त्योहार है। इस अवसर पर परिवार के सभी सदस्य इकट्ठे होते हैं। विवाहित बहनें मायके वालों से मिल−जुल आती हैं। उनके मन में बचपन की यादें सजीव हो जाती हैं। बालक−बालिकाएँ नए वस्त्र पहने घर−आँगन में खेल−कूद करते हैं। बहन भाई की कलाई में राखी बाँधकर उससे अपनी रक्षा का वचन लेती है। भाई इस वचन का पालन करता है। इस तरह पारिवारिक संबंधों में प्रगाढ़ता आती है। लोग पिछली कड़वाहटों को भूलकर आपसी प्रेम को महत्त्व देने लगते हैं। इस तरह रक्षाबंधन का त्योहार समाज में प्रेम और भाईचारा बढ़ाने का कार्य करता है। संसार भर में यह अनूठा पर्व है। इसमें हमें देश की प्राचीन संस्कृति की झलक देखने को मिलती है।
- बाल मुकुन्द ओझा
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