कहानीः पढ़ोगे-लिखोगे तो बनोगे होशियार

टोनी हाथी शहर से पढ़-लिखकर सुंदरवन वापस लौटा था। एक दिन टोनी ने देखा कि उसका साथी मिंकू बंदर कहीं से सामान्य ज्ञान की कोई किताब उठाकर ले लाया था। मिंकू किताब को उलटी पकड़कर उसके पन्नों को लगातार उलट-पलट कर पढ़ने की कोशिश कर रहा था और बहुत देर तक जब किताब का कोई भी शब्द उसकी समझ में न आया तो उसने एक-एक कर उस किताब के पन्नों को फाड़ना शुरू कर दिया।
टोनी ने मिंकू को किताब के पन्ने फाड़ते हुए देखा तो दूर से चिल्लाते हुए बोला- मिंकू किताब फाड़ना बंद करो। अरे, क्या तुम्हें मालूम नहीं कि तुम्हारे हाथ में जो किताब है, वह कितने काम की है।
टोनी की बात सुनकर मिंकू किताब लेकर टोनी के निकट आ गया। टोनी ने मिंकू के हाथ से किताब ली और उसे पढ़ते हुए बोला- देखो, इस किताब में हम जानवरों के बारे में कितनी अच्छी-अच्छी जानकारियां लिखी हैं। यह देखो, इसमें लिखा है कि घोड़े खड़े-खड़े ही नींद ले लेते हैं और एक जानकारी यह भी कि मेंढक एकमात्र ऐसा उभयचर प्राणी है, जिसकी पूंछ नहीं होती।
मिंकू बंदर किताब में लिखी बातों को सुनकर आश्चर्यचकित था। मिंकू ने टोनी से कहा-अरे वाह, टोनी! मुझे नहीं पता था कि यह किताब इतनी जानकारियों से भरी है, काश मैं भी इस किताब को पढ़ पाता। मिंकू की पढ़ने में रूचि देखते हुए टोनी मिंकू से बोला-मिंकू! पढ़ना लिखना सीखना कोई कठिन बात नहीं। मैं तुम्हें पढ़ना सिखाउंगा। कल से ही तुम पढ़ना-लिखना सीखने के लिए मेरे पास आ सकते हो।
मिंकू को किताबें देखना तो अच्छा लगता ही था उन्हें वह पढ़ भी पाएगा यह सोचकर उसका मन बल्लियों उछलने लगा। पढ़ना-लिखना सीखने के लिए उसने अगले ही दिन से टोनी के पास जाना शुरू कर दिया। मिंकू को पढ़ते देखकर सुंदरवन से और भी बहुत से जानवर टोनी के पास पढ़ने के लिए आने लगे।
सुंदरवन में ही शीलू मेमना भी रहता था, शीलू मेमने का मन पढ़ने-लिखने में बिल्कुल नहीं था उसे तो बस खेलना-कूदना और गाने सुनना पसंद आता था। एक दिन मिंकू ने शीलू मेमने से टोनी की क्लास में पढ़ने आने का कहा तो शीलू मेमना बोला- मिंकू! फालतू की बातें न करो, मैं पढ़ाई में बिल्कुल समय बर्बाद करना नहीं चाहता। मिंकू ने शीलू को पढ़ाई के लिए बहुत उत्साहित किया पर, शीलू ने पढ़ना-लिखना सीखने के लिए स्पष्ट मना कर दिया।
एक दिन की बात है मिंकू बंदर सुबह घर से बाहर टहल रहा था तभी उसे किसी के जोर से चीखने की आवाज सुनाई दी-बचाओ! कोई मुझे गड्ढे से बाहर निकालो। आवाज सुनकर मिंकू चौंका-यह आवाज तो शीलू मेमने की थी। मिंकू ने आसपास से कई जानवरों को इक्ट्ठा किया और वे सभी उस गड्ढे की ओर दौड़ पड़े जहां से आवाज आ रही थी।
जानवर अभी कुछ ही आगे बढ़े थे कि वहां लगे चेतावनी बोर्ड को देखकर ठिठक गए। बोर्ड पर बड़े-बड़े अक्षरों में लिखा था- ‘सावधान आगे गहरा गड्ढा है’। बोर्ड पर लिखी चेतावनी देखकर मिंकू सहित सभी जानवर सतर्क होकर आगे बढ़ने लगे। जानवरों ने जब गड्ढे में झांककर देखा तो शीलू मेमना गड्ढे में पड़ा जोर-जोर से रोता नजर आया।
जानवरों ने शीलू को गड्ढे से बाहर निकालने में जरा भी देरी नहीं की, उन सबने अपनी सूझबूझ से जल्दी ही शीलू को बाहर निकालने में कामयाबी पा ली। गड्ढे से बाहर आकर शीलू की जान में जान आई। मिंकू बंदर ने शीलू से कहा-‘‘शीलू! तुम इस गड्ढे में कैसे गिर गए, क्या तुमने यहां बोर्ड पर इतने बड़े-बड़े शब्दों में लिखी चेतावनी को नहीं पढ़ा। देखो इस बोर्ड में स्पष्ट लिखा है ‘सावधान आगे गहरा गड्ढा है’।
शीलू ने बोर्ड की तरफ देखा किन्तु उसे देखकर भी वह उसे पढ़ न सका। शीलू की आंखों में आंसू आ गए वह बोला- लेकिन मिंकू! मैं इस बोर्ड को कैसे पढ़ता, मैंने तो पढ़ना सीखा ही नहीं।
मिंकू को शीलू पर बहुत गुस्सा आया। वह बोला-देख लिया पढ़ने न जाने का अंजाम। मिंकू, यदि तुमने पढ़ने के लिए हां कर दी होती तो आज तुम्हारे साथ यह सब नहीं होता। भगवान का शुक्र मनाओ कि जब तुम गड्ढे में गिरे तब हम सब आसपास ही मौजूद थे वर्ना यहां तुम्हारी आवाज सुनने वाला कोई न होता।
शीलू को बहुत पछतावा हो रहा था। वह बहुत दुःखी था उसने मिंकू से अपनी गलती की माफी मांगी और अगले ही दिन से पढ़ना-लिखना सीखने के लिए हां कर दी।
शिक्षा- जीवन में पढ़ाई बहुत जरूरी है, यदि पढ़ाई का मौका मिले तो उसे कभी नहीं गंवाना चाहिए।
अन्य न्यूज़