रोहित को नहीं बनना था अप्रैल फूल, बन गया (कहानी)

रोहित पिछले साल के ‘अप्रैल फूल डे’ को भूला नहीं था, जब उसके दोस्त विकी ने उसे अपने गांव यह कहकर बुलाया था कि उसके घर पर पार्टी है और जब रोहित वहां पहुंचा तो उसके घर पर ताला मिला था...

रोहित पिछले साल के ‘अप्रैल फूल डे’ को भूला नहीं था, जब उसके दोस्त विकी ने उसे अपने गांव यह कहकर बुलाया था कि उसके घर पर पार्टी है और जब रोहित वहां पहुंचा तो उसके घर पर ताला मिला था जिसके साथ एक पर्ची भी लगी थी, यार तुम अप्रैल फूल बन गए हो बुरा मत मानना, मैं बाहर हूं। तब रोहित को बहुत गुस्सा आया था और उसके बाद उसने कई दिनों तक विकी से बात भी नहीं की थी। और तब बड़ी मुश्किलों से विकी ने रोहित को मनाया था।

आज 1 अप्रैल का दिन था। रोहित ने सुबह से ही अपने स्मार्टफोन पर हर घंटे का अलार्म शिड्यूल किया हुआ था कि चाहे जो हो इस बार अप्रैल फूल नहीं बनना है, किसी के भी कहने पर बाहर नहीं निकलना है। वहीं रोहित के दोस्त विकी, मोंटू, सोनू और संजू आपस में विचार कर रहे थे कि रोहित को अप्रैल फूल कैसे बनाया जाए।

विकी बोला-यार, पिछले साल मैनें रोहित को अप्रैल फूल बनाया था। इस बार मुझे नहीं लगता वो मेरे कहने पर फिर से फूल बनेगा।

मोंटू बोला- चलो, मैं रोहित को फोन करता हूं और उसे सिनेमा हॉल में मूवी देखने बुलाता हूं और फिर उसके वहां पहुंचने के बाद हम सभी... बस अभी पहुंचे... अभी पहुंचे... कहकर समय गुजारते रहेंगे पर वहां पहुंचेंगे नहीं और जब फिल्म का समय निकल जाएगा, वह बहुत गुस्से में होगा तब फोन पर एक सुर में गाना गाएंगे ‘अप्रैल फूल बनाया तो उनको गुस्सा आया।''

मोंटू ने रोहित को फोन लगाया- हैलो, रोहित आज फिल्म देखने का प्रोग्राम है। बहुत दिन हुए, इस बार हॉल में बहुत दिनों बाद कोई अच्छी मूवी आई है। जॉली एलएलबी. हम सब दोस्त पहुंच रहे हैं, तुम भी पहुंच जाना।

रोहित कुछ कहने ही वाला था कि उसके स्मार्टफोन का अलार्म बज उठा- 1 अप्रैल फूल डे देखते ही रोहित को ख्याल आया कि कहीं उसे अप्रैल फूल तो नहीं बनाया जा रहा है. रोहित को जॉली एलएलबी देखने की तो बहुत इच्छा थी पर, उसे अप्रैल फूल नहीं बनना था. रोहित ने मोंटू को बोला- नहीं, मोंटू! मैं आज नहीं आ पाऊंगा। आज मेरा कहीं और प्रोग्राम है। रोहित के सभी दोस्त हाथ पर हाथ धरे बैठे रह गए।

सोनू बोला- यार, एक आइडिया है। दरअसल रोहित ने कल मुझसे स्कूल नोट्स मंगाए हैं। मैं उसे कहता हूं कि कल मैं बाहर निकल रहा हूं, वह आज ही मेरे घर आ जाए और नोट्स ले जाए। जब रोहित घर आएगा, उससे पहले ही मैं घर से से निकल चुका होउंगा। इस तरह वह अप्रैल फूल बन जाएगा।

आइडिया अच्छा था रोहित वैसे भी पढ़ाई को बहुत महत्व देता था।

सोनू ने रोहित को फोन लगाया और वही सब कहा जो उसने विचार किया था।  पर, रोहित को तो अप्रैल फूल नहीं बनना था तो नहीं बनना था। उसने मोंटू को कह दिया कि कोई बात नहीं वह नोट्स किसी और से ले लेगा पर, आज नहीं आ सकता।

रोहित के दोस्तों के सभी प्लॉन्स फेल होते जा रहे थे। विकी बोला- लगता है रोहित को पिछले साल का अप्रैल फूल बनना आज भी याद है और उसने हर हाल में आज घर से बाहर न निकलने की ठान रखी है।

क्या किया जाए, सभी दोस्त सोच रहे थे। संजू बोला- कोई बात नहीं यदि रोहित ने अप्रैल फूल न बनने की सोच ही रखी है तो हमने भी सोच रखा है कि उसे आज अप्रैल फूल बनाकर ही छोड़ेंगे। संजू ने कहा- एक आइडिया है, यदि रोहित को आज किसी के भी कहने पर घर से बाहर नही आना है तो न आए। हम उसे उसके घर रहते हुए भी तो अप्रैल फूल बना सकते हैं।

संजू ने अपना आइडिया मोंटू विकी और सोनू को बताया तो सभी के चेहरे पर खुशी से खिल उठे।

रोहित घर पर ही था और अपने दोस्तों के आइडियॉज फेल करके वह खुद पर गर्व कर रहा था। तभी उसके घर की डोर वेल बजी. रोहित ने दरवाजा खोला तो उसके नाम का कूरियर था। रोहित ने कूरियर लिया और घर के अंदर आकर उसे खोला तो उसे खोलते ही रोहित के मुंह से चीख निकल गई। दरअसल कूरियर का पेक खोलते ही उसके चेहरे पर एक मुक्का पड़ा था।  कूरियर रोहित के दोस्तों का भेजा ‘अप्रैल फूल डे’ का तोहफा, एक स्प्रिंग वाला पंचिंग बैग था।  

दरवाजे के बाहर से रोहित को उसके दोस्तों के हंसने की आवाज आई तो रोहित ने दरवाजा खोला। रोहित के सभी दोस्त एक साथ गा उठे- अप्रैल फूल बनाया तो उनको गुस्सा आया, इसमें मेरा क्या कुसूर, जमाने का कुसूर जिसने दस्तूर बनाया।

अप्रैल फूल न बनने की पूरी कोशिशों के बाद भी रोहित आज फिर अप्रैल फूल बन चुका था। उसे जहां खुद पर गुस्सा आ रहा था वहीं वह अपने सब दोस्तों को एक साथ हंसता देखकर खुद भी हंसने लगा।

अमृता गोस्वामी

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