होली के रंगों से बचाएं अपने पालतू या गली-सड़कों पर मौजूद जानवरों को

save animals from holi colors

होली रंगों का त्योहार है। बच्चे हों या बड़े सभी को इस दिन अपने दोस्तों के साथ रंग-पिचकारी लिए मौज-मस्ती के मूड में देखा जा सकता है। यह दिन परिवार, रश्तेदारों और दोस्तों के मेल-मिलाप का दिन है।

होली रंगों का त्योहार है। बच्चे हों या बड़े सभी को इस दिन अपने दोस्तों के साथ रंग-पिचकारी लिए मौज-मस्ती के मूड में देखा जा सकता है। यह दिन परिवार, रश्तेदारों और दोस्तों के मेल-मिलाप का दिन है। 

एक संजीदा प्राकृतिक रंगों से खेली गई होली जहां आपसी प्रेम बढ़ाती है वहीं कई लोग होली पर छेड़-छाड़, छींटा-कशी से भी बाज नहीं आते। कुछ लोग सस्ते कृत्रिम रंगों या ग्रीस, डॉमर, कीचड़ से भी होली खेलते हैं जिससे लोगों में प्रेम-सौहार्द की जगह बुराई या रंजिश ही पैदा होती है। होली पर कुछ लोग तो इतनी मस्ती के मूड में होते हैं कि वे अपने पेट्स या कोई राह चलते जानवर पर भी रंग डालने से नहीं चूकते, जो खतरनाक हो सकता है।

दोस्तों, चाहे आपका अपना पेट्स हो या कोई भी जानवर इनकी त्वचा बहुत ही सेंसिटिव होती है इन पर रंग डालना खतरनाक हो सकता है। रंगों के दुष्प्रभावों से बचने के लिए हम और आप तो उपाय कर लेते हैं पर, ये जानवर इन्हें क्या पता कि इन रंगों का उन पर क्या असर होने वाला है। रंग लगने के बाद जानवरों को यदि एलर्जी या तकलीफ होती भी है तो वे इसे बोलकर बयां भी नहीं कर सकते और जब तक उनकी तकलीफ हमें समझ में आती है तब तक कई बार बहुत देर हो चुकी होती है। कई बार रंग इतने पक्के होते हैं कि जानवरों पर से इन्हें छुड़ाते समय उनके शरीर पर से बाल या फर ही गायब हो जाते हैं जो सर्दी-गर्मी से उनकी त्वचा की सुरक्षा करते हैं।  

होली पर उपयोग किए जाने वाले अधिकतर रंगों में केमिकल्स का प्रयोग होता है, जानवरों पर इनका असर काफी गंभीर होता है और कई मामलों में तो जानवर रंग पी जाते हैं जिससे उनके लीवर खराब होने का खतरा रहता है। ध्यान रखें पानी में घुले रंगों की बाल्टी जानवरों के पास न रखें।

होली की मस्ती में कई जगह लोग रंगों से भरे गुब्बारे जानवरों पर फेंकने की शैतानी कर बैठते हैं, ये रंग जानवरों की आंखों में जाने का खतरा रहता है, इससे उनकी आंखों की रोशनी खराब हो सकती है। पानी में घुले रंग ही नहीं बल्कि सूखे रंग भी जानवरों के लिए हानिकारक होते हैं, ये रंग श्वास के जरिए जानवरों की नाक में जलन, रेस्पिरेटरी एलर्जी या इन्फेक्शन पैदा करते हैं। इनसे भी जानवरों को दूर रखना चाहिए। 

बच्चों, त्योहार या उत्सव हमने हमारी खुशियों के लिए बनाए हैं... हमारी जिम्मेदारी है कि मौज-मस्ती में हम कहीं इतने न डूब जाएं कि हमारे सैलिब्रेशन से कोई आहत हो।

-अमृता गोस्वामी

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