कुत्ते की तरह भौंकता है काकड़ हिरण

काकड़ हिरण बारहसिंगा की प्रजाति का छोटे कद का हिरण है जिसे इसकी विशेष तीखी आवाज के लिए जाना जाता है, यह कुत्ते के भौंकने जैसी आवाज निकालता है।

काकड़ हिरण बारहसिंगा की प्रजाति का छोटे कद का हिरण है जिसे इसकी विशेष तीखी आवाज के लिए जाना जाता है, यह कुत्ते के भौंकने जैसी आवाज निकालता है इसीलिए इसे ‘भौंकने वाला हिरण’ या ‘बार्किंग डिअर’ भी कहा जाता है। ऊपर की तरफ गहरे भूरे रंग के इन हिरणों का रंग नीचे की तरफ आते-आते हल्का भूरा होता जाता है। लगभग दो फुट ऊंचे और तीन फुट लंबे इन हिरणों के गले का ऊपरी हिस्सा पेट एवं दुम के निचले हिस्से का रंग सफेद होता है। इसके सींग बहुत ही खूबसूरत होते है। इनकी जिह्वा इतनी लंबी होती है कि जिससे ये अपने पूरे चेहरे को चाट कर साफ कर लेते हैं। बारहसिंगा की तरह ही काकड़ हिरण के सींग भी कुछ समय अंतराल पर गिर जाते हैं किन्तु इनके पूरे सींग नहीं बल्कि उनका ऊपरी कुछ हिस्सा ही गिरता है।

काकड़ हिरणों का अस्तित्व दुनिया में 150 से 350 वर्ष पुराना है। वैसे तो ये दक्षिण एशिया के निवासी हैं किन्तु इन्हें भारत सहित श्रीलंका, चीन दक्षिण पूर्वी एशिया और हिमालय या म्यांमार में भी देखा जा सकता है। यह बहुत ही शर्मिला प्राणी है, झुंड बनाकर रहने के बजाए ये अकेला अथवा जोड़ों में रहना पसंद करता है। शिकारी जानवरों से बचने के लिए ये मैदान में रहने की बजाय घने पहाड़ी जंगलों को चुनते हैं। इनका भोजन हरी घास, पत्ते कोंपल, फूल, सीड्स व विभिन्न प्रकार के फल आदि हैं, ये हिरण मांसाहारी भी होते हैं। चारे अथवा पानी की तलाश में यदि इन्हें जंगलों से बाहर जाना भी पड़ता है तो भी यह बहुत दूरी पर नहीं जाते, खतरे का अहसास होते ही यह वापस जंगल में भाग कर छुप जाता है। शिकारी जानवरों की आहट पाते ही काकड़ हिरण अपना सिर नीचे की तरफ झुकाकर बेतरतीब तरीके से जंगल की तरफ भागते हैं। इनके कुकुरदंत बहुत तेज होते हैं, संकट के समय यह अपने कुकुरदंतों से शिकारी पर हमला भी कर देता है।

नर काकड़ हिरण मादा काकड़ हिरण से कुछ भिन्न होते हैं, इनके शृंगाभ विशिष्ट होते हैं। नर काकड़ हिरण के ऊपर के जबड़े में दो तीखे दांत बाहर की ओर निकले होते हैं जिनका उपयोग ये अपने क्षे़त्र की रक्षा के लिए करते है। नर काकड़ हिरण अपने क्षेत्र विशेष की रक्षा कर्तव्य मानकर करते हैं।
 
मूल रूप से यह एक जंगली जानवर है किन्तु इसे पाला भी जा सकता है। उष्णकटिबंधीय इलाकों में रहने के कारण इनका कोई विशेष प्रजनन मौसम नहीं होता, साल भर में ये कभी भी प्रजनन कर सकते हैं किन्तु सर्दियों का मौसम इनके प्रजनन के लिए उपयुक्त होता है। मादा काकड़ गर्भ धारण के पांच माह बाद एक या दो बच्चों को जन्म देती है।

काकड़ हिरणों को बाघ, तेंदुए या जंगली कुत्तों जैसे शिकारी जानवरों से खतरा रहता है। बड़ी संख्या में शिकार होने के कारण वर्तमान में इनकी संख्या लगातार घटती जा रही है जिसे देखते हुए इन्हें संरक्षित प्राणी घोषित किया जा चुका है। अरुणाचल प्रदेश और असम के पहाड़ी जंगलों में शिकारियों और हिंसक जानवरों से खुद को बचाने के लिए ये छह हजार फुट की ऊंचाई तक तेजी से भागते हुए चढ़ जाता है।

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