माओ और जियाओपिंग के बाद चीन में तीसरे युग की शुरुआत, इतिहास को फिर से लिख रहे जिनपिंग

China
अभिनय आकाश । Nov 9 2021 1:44PM

अतीत में दूसरों की जमीन पर कब्जा करके फैलाए ड्रैगन के साम्राज्य में शी जिनपिंग वो नाम है जिन्हें तानाशाह की पदवी प्राप्त हो गई है। दुनिया की सबसे बड़ी आबादी वाले देश में शी जिनपिंग ही अब वो नाम हैं जो माओ के बाद सत्ता की धुरी बनने में कामयाब हुए। राष्ट्रपति के तौर पर शी अगले साल अपना पांच साल का दूसरा कार्यकाल पूरा करने वाले हैं।

कम्युनिस्टो के किले में हर शख्स शी जिनपिंग के नाम से वाकिफ है। कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव, चीन के राष्ट्रपति और पीएलए के कमांडर इन चीफ ड्रैगन लैंड के इन तीन सबसे बड़े पदों पर एक ही नाम विराजमान है। शी जिनपिंग ने अपने  में सर्वशक्तिमान नेता के तौर पर खुद को स्थापित किया। लेकिन इस शक्ति को महसूस करने की लालसा अब भी खत्म होने का नाम नहीं ले रही है। उनकी मंशा है कि अब वो ताउम्र इसी ताकत के गुमान में जिए। इस दिशा में काम शुरू भी हो चुका है। यहां तक की चीन को सुपरपावर बनाने का ख्वाब भी उन्होंने संजो लिया है।  अतीत में दूसरों की जमीन पर कब्जा करके फैलाए ड्रैगन के साम्राज्य में शी जिनपिंग वो नाम है जिन्हें तानाशाह की पदवी प्राप्त हो गई है। दुनिया की सबसे बड़ी आबादी वाले देश में शी जिनपिंग ही अब वो नाम हैं जो माओ के बाद सत्ता की धुरी बनने में कामयाब हुए। राष्ट्रपति के तौर पर शी अगले साल अपना पांच साल का दूसरा कार्यकाल पूरा करने वाले हैं।

माओ के बाद सबसे शक्तिशाली नेता जिनपिंग

राष्ट्रपति शी चिनफिंग के अभूतपूर्व तीसरे कार्यकाल का मार्ग प्रशस्त करने के उद्देश्य से चीन की कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीसी) के सैकड़ों वरिष्ठ अधिकारियों ने 100 साल पुराने सत्तारूढ़ दल के एक ऐतिहासिक प्रस्ताव पर चर्चा करने और उसे पारित करने के लिए चार दिवसीय अधिवेशन शुरू किया। राजनीतिक रूप से, यह बैठक शी के लिए महत्वपूर्ण मानी जा रही है, जो सत्ता में अपने पिछले नौ वर्षों के कार्यकाल में पार्टी के संस्थापक माओ त्से तुंग के बाद सबसे शक्तिशाली नेता के तौर पर उभरे हैं। अपने पूर्ववर्ती हू जिनताओ के विपरीत जिनफिंग के तीसरे कार्यकाल के लिए पद पर बने रहने की व्यापक रूप से उम्मीद की जा रही है। जिनताओ दो कार्यकाल के बाद सेवानिवृत्त हुए थे।   

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विकास के बखान से भरी हुई 531 पन्नों की किताब

सीपीसी केंद्रीय समिति के महासचिव शी ने राजनीतिक ब्यूरो की ओर से एक कार्य रिपोर्ट दी और सीपीसी के 100 वर्षों के प्रयासों की प्रमुख उपलब्धियों और ऐतिहासिक अनुभव पर एक मसौदा प्रस्ताव पर स्पष्टीकरण दिया। कम्युनिस्ट पार्टी का आधिकारिक इतिहास को नए ढंग से लिखा गया है। 531 पृष्ठों वाले इस किताब का एक चौथाई से अधिक हिस्सा सिर्फ नौ साल में हुए विकास को समर्पित है। पार्टी की जीवनी लिखने वाले इतिहासकारों ने भी जिनपिंग के रिटायरमेंट का कोई संकेत नहीं दिया है। दशकों में देश में हुए विकास का जश्न मनाने के लिए पूरे चीन में कई प्रदर्शनियों और संग्रहालयों को भी सजाया गया है।  

संकल्प पत्र के जरिये इतिहास और भविष्य का एक कॉमन विजन

 न्यूयॉर्क टाइम्स ने जिसको लेकर To Steer China’s Future, Xi Is Rewriting Its Past शीर्षक से एक रिपोर्ट प्रकाशित की है। रिपोर्ट में जर्मनी की फ़्रेबर्ग यूनिवर्सिटी में इतिहासकार डेनियल लीज़ का एक बयान भी है जिसमें वो कहते हैं कि चीन में सुप्रीम लीडर संकल्प पत्र के जरिए पार्टी एलीट के बीच इतिहास और भविष्य का एक कॉमन फ्रेमवर्क, कॉमन विजन तैयार कर रहे थे। अगर आप सत्ता के गलियारे में मौजूद लोगों को अतीत के मुद्दे पर एकमत नहीं करते, तो उन्हें भविष्य के लिए राज़ी करना लगभग असंभव होगा। जियाओपिंग ने एक साथ दोनों चीज़ों को साध लिया था। उन्होंने अतीत के साथ बहुत छेड़छाड़ नहीं की थी। साथ ही, आगे के लिए उदार नीतियां भी ले आए।

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मीडिया भी गुणगान में लगा

साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट ने पीपुल्स डेली के आलेख के हवाले से कहा है, ‘‘हर चीनी को सच्चे मन से शी का समर्थन करना चाहिए। ’’ चीन की सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ ने अपनी टिप्प्णी में कहा है कि शी के नवंबर 2012 में सीपीसी केंद्रीय समिति का महासचिव चुने जाने के बाद से, ‘‘चीन एक शक्तिशाली देश बन रहा है और अब यह मजबूती के युग में प्रवेश कर रहा है। इस नयी यात्रा में शी नि:संदेह प्रमुख चेहरा हैं।’’  

माओ लेकर आए पहला संकल्प पत्र

माओ के संकल्प-पत्र का नाम- ‘रिजॉल्यूशन ऑन सर्टेन क्वेश्चन्स इन द हिस्ट्री ऑफ अवर पार्टी’ था। इसमें शंघाई नरसंहार से लेकर लॉन्ग मार्च तक के पार्टी के बीते दो दशकों के संघर्ष पर बात की गई थी। पार्टी काडर की वफ़ादारी हासिल करने के लिए ऐसा किया गया था। माओ के समय में चीन सिविल वॉर और जापानी आक्रमण से जूझ रहा था।  माओ ने सितंबर 1976 में अपने मरने तक चीन पर शासन किया।

जियाओपिंग लेकर आए दूसरा संकल्प पत्र

माओ की मौत के बाद डेंग जियाओपिंग चीन के सुप्रीम लीडर बने। जियाओपिंग के सामने माओ की हिंसक विरासत और अस्थिर नेतृत्व का संकट था। 1981 में वो दूसरा संकल्प-पत्र लेकर आए। इसमें पार्टी की स्थापना से लेकर उनके समय तक के इतिहास का ज़िक्र किया गया था। संकल्प-पत्र में जियाओपिंग ने माओ की नीतियों की आलोचना की थी और माओ की नीतियों में भारी फेरबदल किया था। उन्होंने इकोनॉमिक रिफॉर्म्स पर काफी जोर दिया था, जिससे चीन के बाज़ार बाकी दुनिया के लिए खुलने लगे थे।

 तीसरा संकल्प पत्र

चीन की कम्युनिस्ट पार्टी अपने इतिहास का तीसरा संकल्प पत्र लेकर आ रही है। जिसमें सीसीपी की 100 साल की उपलब्धियों पर चर्चा की जाएगी। माओ और जियाओपिंग के बाद चीन में तीसरे युग की शुरुआत हुई है। जियाओपिंग चीन को अमीर बनाने का सपना देखते थे जबकि जिनपिंग ने चीन को शक्तीशाली बनाने पर जोर दिया है। जब माओ और जियाओपिंग रेज़ॉल्यूशन लेकर आए थे, उस समय चीन अलग-अलग संकटों के दौर से गुज़र रहा था। लेकिन इससे इतर जिनपिंग के सामने ऐसी कोई समस्या दूर-दूर तक नहीं। 

अगले टर्म में जिनपिंग को छोड़ अधिकतर हो जाएंगे रिटायर

राष्ट्रपति के तौर पर वह अगले साल अपना पांच साल का दूसरा कार्यकाल पूरा करने वाले हैं। 2018 में चीन ने संविधान संशोधन करके राष्ट्रपति के लिए अधिकतम दो कार्यकाल की सीमा को हटा दिया था।  माना जा रहा है कि जिनपिंग को छोड़कर प्रधानमंत्री ली क्विंग समेत ज्यादातर अधिकारी रिटायर हो जाएंगे। मतलब साफ है उनके नेतृत्व को चुनौती देने की कोई संभावना भी नहीं बचेगी।  

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