भारतीय मूल के अमेरिकी सांसदों ने ट्रंप के नये आदेश की आलोचना की

american indian mps  criticize Trump''s new order
[email protected] । Jun 21 2018 6:26PM

भारतीय मूल के अमेरिकी सांसदों ने अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की उनके उस नये शासकीय आदेश को लेकर आलोचना की है जिसमें देश में अवैध रूप से प्रवेश करने वाले परिवारों को अनिश्चित समय के लिए हिरासत में रखने का प्रावधान है

वाशिंगटन। भारतीय मूल के अमेरिकी सांसदों ने अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की उनके उस नये शासकीय आदेश को लेकर आलोचना की है जिसमें देश में अवैध रूप से प्रवेश करने वाले परिवारों को अनिश्चित समय के लिए हिरासत में रखने का प्रावधान है, यद्यपि इसमें बच्चों को उनके अभिभावकों से अलग करने की कार्रवाई पर रोक लगा दी गई है।

कांग्रेस सदस्य प्रमिला जयपाल ने कहा कि ट्रंप का नया शासकीय आदेश पूरी तरह से अस्वीकार्य है जो कि परिवारों को अनिश्चित समय के लिए हिरासत में रखने की इजाजत देता है। उन्होंने कहा कि प्रवासियों के नजरबंदी शिविर ‘‘अमानवीय’’ हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘इसके अलावा बच्चों को लंबे समय तक या अनावश्यक रूप से हिरासत में रखने को गैरकानूनी करार दिया गया है। यदि ट्रंप प्रशासन एक आपराधिक अदालत मामले की सुनवायी के दौरान परिवारों को अनिश्वित समय के लिए हिरासत में रखना चाहता है तो यह अजीबोगरीब होगा और इसे अदालत में चुनौती दिये जाने की उम्मीद है। परिवार को अलग करना गलत है। इसके साथ ही परिवारों को जेल डालना भी गलत है।

ट्रंप ने अमेरिकी सीमा पर प्रवासी बच्चों को उनके अभिभावकों से अलग करने की कार्रवाई पर रोक लगाने का एक शासकीय आदेश दिया है। ट्रंप ने यह आदेश रिपब्लिकन, डेमोक्रेट सदस्यों और अंतरराष्ट्रीय समुदाय के भारी दबाव में दिया है।

यह शासकीय आदेश दक्षिण अमेरिकी सीमा से अवैध रूप से अमेरिका में प्रवेश करने वालों से उनके बच्चों को अलग करने के बाद आया है। पिछले कुछ हफ्तों में 2,300 से अधिक बच्चों को उनके मां-बाप से अलग किया गया।

सीनेटर कमला हैरिस ने कहा कि शासकीय आदेश से संकट का हल नहीं होता। उन्होंने कहा, ‘‘बच्चों को उनके परिवारों के साथ शिविरों में अनिश्चित समय के लिए रखना अमानवीय है और इससे हम सुरक्षित नहीं होंगे।

कांग्रेस सदस्य आर खन्ना ने कहा कि ट्रंप का शासकीय आदेश का परिणाम यह होगा कि अभी भी मनुष्यों को सलाखों के पीछे रखा जाएगा। उन्होंने कहा,‘‘मुझे इस बात की खुशी है कि इन बच्चों को अब उनके अभिभावकों से अलग नहीं किया जाएगा लेकिन यह ‘‘हल’’ समस्या सुलझाने के करीब नहीं होगा। हम और की मांग करते हैं।’’ 

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