बोरिस जॉनसन को बड़ा झटका, कोर्ट ने संसद को निलंबित करने फैसला गैरकानूनी माना
मिलर ने मार्च 2017 में ब्रिटेन के यूरोपीय संघ (ईयू) से अलग होने की समयसीमा निर्धारित करने के संबंध में पूर्व प्रधानमंत्री टेरिजा मे को अनुच्छेद 50 को लागू करने से पहले संसद की मंजूरी मांगने के लिए बाध्य कर दिया था और इस तरह इतिहास में नाम दर्ज करा लिया था।
लंदन। प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन को बड़ा झटका देते हुए ब्रिटेन की शीर्ष अदालत ने मंगलवार को एक ऐतिहासिक फैसले में व्यवस्था दी कि ब्रेक्जिट से पहले संसद को निलंबित करने का उनका फैसला ‘गैरकानूनी’ था। जॉनसन ने इस महीने की शुरूआत में संसद को पांच सप्ताह के लिए निलंबित या सत्रावसान कर दिया था। उनका कहना था कि उनकी नयी सरकार की नीतियों को रेखांकित करने के लिहाज से महारानी के भाषण के लिए ऐसा किया गया। हालांकि विपक्षी सांसदों और जॉनसन की ही कंजर्वेटिव पार्टी के कई सदस्यों ने उन पर 31 अक्टूबर को ब्रेक्जिट की समयसीमा से पहले अस्थिरता के इस दौर में संसदीय पड़ताल से बचने की कोशिश करने का आरोप लगाया है।
UK Supreme Court rules Prime Minister Boris Johnson's suspension of parliament was unlawful: Reuters (File pic) pic.twitter.com/3USdHn7xcf
— ANI (@ANI) September 24, 2019
भारतीय मूल की ब्रेक्जिट विरोधी कार्यकर्ता गीना मिलर ने जॉनसन के फैसले को ब्रिटेन की हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। हाई कोर्ट ने इसे शीर्ष अदालत को भेज दिया था। शीर्ष अदालत की अध्यक्ष लेडी ब्रेंडा हेल ने कहा, ‘‘महारानी को संसद सत्र का अवसान करने की सलाह देने का उनका फैसला गैरकानूनी था।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हमारे लोकतंत्र की बुनियादों पर इससे गहरा असर पड़ा।’’ उन्होंने कहा कि 11 न्यायाधीशों के सर्वसम्मति से दिये गये फैसले का अर्थ है कि संसद का सत्रावसान नहीं हुआ है। इसका मतलब जॉनसन का फैसला निष्प्रभावी हो गया है। जजों ने कहा कि अब हाउस ऑफ कॉमन्स और हाउस ऑफ लॉर्ड्स के स्पीकर अगले कदम के बारे में निर्णय लेंगे। यह फैसला जॉनसन के लिए बड़ा झटका है जो फिलहाल संयुक्त राष्ट्र महासभा में भाग लेने के लिए अमेरिका में हैं। उन्होंने कहा था कि अदालतों को ऐसे राजनीतिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। डाउनिंग स्ट्रीट ने कहा कि वह फिलहाल फैसले का अध्ययन कर रही है।
इसे भी पढ़ें: ब्रिटेन में संसद निलंबित करने के मुद्दे पर अगले सप्ताह व्यवस्था देगा सुप्रीम कोर्ट
मिलर ने मार्च 2017 में ब्रिटेन के यूरोपीय संघ (ईयू) से अलग होने की समयसीमा निर्धारित करने के संबंध में पूर्व प्रधानमंत्री टेरिजा मे को अनुच्छेद 50 को लागू करने से पहले संसद की मंजूरी मांगने के लिए बाध्य कर दिया था और इस तरह इतिहास में नाम दर्ज करा लिया था। अपनी ताजा कानूनी जीत के संदर्भ में उन्होंने कहा, ‘‘आज किसी व्यक्ति या उद्देश्य की जीत नहीं है। यह संसदीय संप्रभुता, अधिकारों के विभाजन तथा हमारी ब्रिटिश अदालतों की स्वतंत्रता की जीत है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘अहम बात यह है कि आज की व्यवस्था इस बात की पुष्टि करती है कि हम कानून व्यवस्था से संचालित देश के वासी हैं। ऐसा कानून जिसके प्रति सभी, यहां तक की प्रधानमंत्री भी जवाबदेह हैं।’’ मिलर ने कहा कि ऐतिहासिक फैसले का आशय है कि संसद सत्र चालू है और इसका कभी अवसान नहीं किया गया।
अन्य न्यूज़