Japan की राजनीति में हो गया बड़ा उलटफेर, शिगेरु इशिबा का दांव पड़ा उल्टा, 15 सालों में पहली बार ऐसा क्या हो गया
एनएचके की रिपोर्ट में कहा कि इशिबा की लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी और उसके गठबंधन सहयोगी कोमिटो को 456 सीटों वाले निचले सदन में बहुमत (233 सीटें) मिली है।
महज चार साल में जापान में तीन प्रधानमंत्री का दौर देखने को मिल रहा है। शिंजो आबे के बाद कमान संभालने वाले फुमयो किशिदा की जगह कमान संभालने वाले शिगेरु इशिबा की सत्तारूढ़ गठबंधन को बड़ा झटका लगा है। जापानी मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार सत्तारूढ़ लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी (एलडीपी) भी बढ़त बनाने में कामयाब नहीं हो पाई। वहीं एलडीपी की सहयोगी दल कोमिटो को करारी हार का सामना करना पड़ा और निचले सदम में बहुमत हासिलस करने में सफल नहीं हो पाई।
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एनएचके की रिपोर्ट में कहा कि इशिबा की लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी और उसके गठबंधन सहयोगी कोमिटो को 456 सीटों वाले निचले सदन में बहुमत (233 सीटें) मिली है। जापान की द्विसदनीय संसद में निचला सदन बहुत ताकतवर है। बहुमत खोने का मतलब सरकार में बदलाव नहीं है, लेकिन नतीजों के कारण इशिबा के लिए अपनी पार्टी की नीतियों को संसद में पारित कराना मुश्किल हो जाएगा और उन्हें तीसरा गठबंधन सहयोगी तलाशना पड़ सकता है। गौरतलब है कि एक अक्टूबर को पदभार ग्रहण करने वाले इशिबा ने अपने पूर्ववर्ती फुमियो किशिदा द्वारा लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी के कदमों के कारण जनता में उपजे आक्रोश को शांत करने में विफल रहने के बाद समर्थन जुटाने की उम्मीद में तुरंत चुनाव का आदेश दिया था।
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15 साल में सबसे खराब परिणाम
जापान में रविवार को हुए चुनावों ने एलडीपी को एक बड़ा झटका दिया है, जो देश की सबसे शक्तिशाली और प्रमुख पार्टी रही है। एलडीपी मुख्यालय के पहले के फुटेज में उदास चेहरे दिखाई दे रहे थे क्योंकि अनुमानों से पता चला था कि इशिबा के न्याय और कृषि मंत्रियों की सीटें हारने की संभावना थी। आखिरी बार एलडीपी 2009 में चुनाव हार गई थी जब उसे तीन साल के लिए जापान की केंद्र-वाम डेमोक्रेटिक पार्टी द्वारा प्रतिस्थापित किया गया था। हालाँकि, डीपीजे की नीतिगत विफलताओं और 2011 फुकुशिमा परमाणु आपदा के प्रति इसकी खराब प्रतिक्रिया ने शिंजो आबे के तहत एलडीपी को 2012 के अंत में सत्ता में लौटने की अनुमति दी।
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