बरकरार है चीन एवं भारत के बीच सीमा विवाद: अमेरिका

[email protected] । Jun 7 2017 1:22PM

पेंटागन ने कहा है कि भारत और चीन के बीच हालिया कुछ वर्षों में आर्थिक संबंध मजबूत हुए हैं लेकिन दोनों देशों के बीच सीमा के विवादित भागों पर तनाव बरकरार है।

वाशिंगटन। पेंटागन ने कहा है कि भारत और चीन के बीच हालिया कुछ वर्षों में आर्थिक संबंध मजबूत हुए हैं लेकिन दोनों देशों के बीच सीमा के विवादित भागों पर तनाव बरकरार है। कांग्रेस में प्रस्तुत की गई अपनी वार्षिक रिपोर्ट में पेंटागन ने कहा, ‘‘चीन और भारत की सीमा पर विवादित भागों में तनाव बरकरार है जहां दोनों देश सशस्त्र बलों के साथ गश्त करते हैं।’’ इसमें कहा गया है कि सितंबर 2016 में एक भारतीय गश्ती दल ने देखा कि 40 से अधिक चीनी सैनिकों ने अरुणाचल प्रदेश में उस भारतीय क्षेत्र में अस्थायी शिविर बना लिए हैं जिसे चीन दक्षिण तिब्बत का हिस्सा बताता है।

पेंटागन ने कहा, ‘‘दोनों पक्षों ने फ्लैग ऑफिसर स्तर की बैठकें कीं जिनमें उन्होंने शांति बनाए रखने पर सहमति जताई और इसके बाद आपसी रूप से स्वीकार्य स्थानों पर वापस चले गए।’’ उसने चीन के उसके पड़ोसी देशों के साथ सीमा संबंधी अन्य विवादों को भी सूचीबद्ध किया जिनमें मुख्य विवाद पूर्वी चीन सागर को लेकर है। पेंटागन ने कहा कि कुछ विवादों के कारण युद्ध हुए जैसे कि वर्ष 1962 में भारत और वर्ष 1979 में वियतनाम के साथ सीमा संबंधी संघर्ष हुआ। पूर्व सोवियत संघ के साथ विवादित सीमा के दौरान 1960 के दशक में परमाणु युद्ध का खतरा पैदा हो गया था।

पेंटागन ने कहा, ‘‘चीन ने वर्ष 1998 से अपने छह पड़ोसियों के साथ भूमि संबंधी 11 क्षेत्रीय विवाद सुलझाए हैं।’’ इसमें कहा गया कि चीन ने हालिया वर्षों में उन कई विवादों को सुलझाने के लिए बलप्रयोग करने का नजरिया अपनाया है जो समुद्री सुविधाओं एवं संभावित रूप से समृद्ध अपतटीय तेल एवं गैस भंडारों के स्वामित्व से जुड़े हैं। पेंटागन ने कहा कि भारत और चीन के बीच राजनीतिक एवं आर्थिक संबंध सुधरने के बावजूद अरुणाचल प्रदेश को लेकर 4,057 किलोमीटर लंबी साझा सीमा पर तनाव बरकरार है। इस क्षेत्र के बारे में चीन का दावा है कि यह तिब्बत का हिस्सा है। इसके अलावा तिब्बती पठार के पश्चिमी छोर स्थित अक्साई चिन क्षेत्र को लेकर भी विवाद बरकरार है। चीनी आंकड़ों के अनुसार भारत में सितंबर 2016 तक चीन का निवेश 4.75 अरब डॉलर था जबकि चीन में भारत का निवेश 0.689 अरब डॉलर था। चीन में आईटी, फार्मास्युटिक्ल एवं ऑटोमोबाइल जैसे क्षेत्रों में भारतीय कारोबार की मौजूदगी है।

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