शांति और सुरक्षा को विकास से अलग नहीं करके देख सकतेः भारत
भारत ने शांति स्थापित करने और संघर्ष से बचने के लिए समावेशी तरीका अपनाने की जरूरत को रेखांकित करते हुए कहा है कि शांति और सुरक्षा को विकास से अलग करके नहीं देखा जा सकता।
संयुक्त राष्ट्र। भारत ने शांति स्थापित करने और संघर्ष से बचने के लिए समावेशी तरीका अपनाने की जरूरत को रेखांकित करते हुए कहा है कि शांति और सुरक्षा को विकास से जुड़े व्यापक मुद्दों से अलग करके नहीं देखा जा सकता। ‘अफ्रीका में शांति स्थापना’ के मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की चर्चा में शामिल होते हुए संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी उप प्रतिनिधि तन्मय लाल ने कहा कि संघर्ष से बचने के लिए और शांति की स्थापना के लिए समावेशी नजरिया जरूरी है। उन्होंने कहा, ‘‘शांति एवं सुरक्षा को विकास से जुड़े व्यापक मुद्दों से अलग करके नहीं देखा जा सकता और संघर्ष से बचने एवं शांति की स्थापना के लिए एक ज्यादा समावेशी नजरिया अपनाने की जरूरत है।’’
लाल ने कहा कि पिछले साल महत्वाकांक्षी टिकाऊ विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को अंगीकार करते समय जिस भावना का प्रदर्शन किया गया था, वह साझा लक्ष्यों को हासिल करने के लिए साझा संसाधनों की गोलबंदी पर की जाने वाली चर्चाओं से मेल नहीं खाते। यह बात ‘दुखद’ है। उन्होंने कहा, ‘‘यह एक बार फिर दिखाता है कि आज की दुनिया में शांति और समृद्धि के स्थान नहीं हो सकते। हम इसे अपने चारों ओर देख सकते हैं। हम इसे सीमाओं के पार आतंकियों की बढ़ती पहुंच, बढ़ते शरणार्थी संकट और घृणित विचारधाराओं के प्रसार के रूप में देख सकते हैं।’’ अफ्रीका के साथ भारत के प्राचीन जुड़ाव को रेखांकित करते हुए लाल ने कहा कि दोनों देशों ने विऔपनिवेशीकरण, रंगेभद उन्मूलन, विकासशील देशों के अधिकारों के लिए एकसाथ मिलकर काम किया है और अब वे महत्वपूर्ण विकास साझेदार हैं। उन्होंने कहा कि भारत की ओर से उपलब्ध करवाई गई अब तक की पहली महिला पुलिस इकाई को लाइबेरिया में तैनात किया गया है और इसे लैंगिक समानता के आदर्श मॉडल के रूप में मान्यता मिली है।
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