क्या आपके मोबाइल फोन में वायरस आ सकता है? ध्यान से देखने पर मिलेंगे यह बड़े संकेत

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फोन आमतौर पर पर्सनल कंप्यूटर की तुलना में वायरस से बेहतर तरीके से सुरक्षित होते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि सॉफ़्टवेयर आमतौर पर अधिकृत ऐप स्टोर के माध्यम से इंस्टॉल किया जाता है जो प्रत्येक ऐप की जांच करता है (हालांकि कुछ संदिग्ध ऐप अन्य रास्तों से भी घुस सकते हैं)।

दुनिया की लगभग 84 प्रतिशत आबादी के पास अब एक स्मार्टफोन है, और उन पर हमारी निर्भरता लगातार बढ़ रही है, ये डिवाइस स्कैमर्स के लिए एक आकर्षक जगह बन गए हैं। पिछले साल, साइबर सुरक्षा कंपनी कास्परस्की ने मोबाइल फोन उपयोगकर्ताओं पर लगभग 35 लाख दुर्भावनापूर्ण हमलों का पता लगाया था। टेक्स्ट संदेश या ईमेल के माध्यम से हमें अपने फोन पर मिलने वाले स्पैम संदेशों में अक्सर वायरस के लिंक होते हैं, जो एक प्रकार का दुर्भावनापूर्ण सॉफ़्टवेयर (मैलवेयर) होता है बहुत मुमकिन है कि कभी आपने मैलवेयर इंस्टॉल किया हो जो आपके फोन को संक्रमित करता है और पृष्ठभूमि में काम करता है (बिना आपके ध्यान में आए)। निजी कंपनी जिम्पेरियम द्वारा कमीशन की गई एक वैश्विक रिपोर्ट के अनुसार, हर पांच में से एक से अधिक मोबाइल उपकरणों को मैलवेयर का सामना करना पड़ता है। और दुनिया भर में हर दस में से चार मोबाइल साइबर हमलों की चपेट में हैं। लेकिन आपको कैसे पता चलेगा कि आपके फोन को निशाना बनाया गया है? और आप क्या कर सकते हैं? फोन कैसे संक्रमित होता है? पर्सनल कंप्यूटर की तरह, मैलवेयर से फोन में भी छेड़छाड़ की जा सकती है।

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उदाहरण के लिए, हमिंगबैड वायरस ने 2016 में इसके निर्माण के कुछ महीनों के भीतर एक करोड़ उपकरणों को संक्रमित कर दिया और साढ़े आठ करोड़ उपकरणों को खतरे में डाल दिया। आमतौर पर, एक फोन वायरस कंप्यूटर वायरस की तरह ही काम करता है: एक खराब इरादे वाला कोड आपके डिवाइस को संक्रमित करता है,यह आपकी संपर्क सूची में दूसरों को ऑटो-मैसेज करके या ईमेल के रूप में ऑटो-फॉरवर्ड करके अन्य डिवाइसों में फैलता है। एक वायरस आपके फोन की कार्यक्षमता को सीमित कर सकता है, हैकर्स को आपकी व्यक्तिगत जानकारी भेज सकता है, आपके संपर्कों को मैलवेयर से लिंक करने वाले स्पैम संदेश भेज सकता है, और यहां तक ​​कि वायरस के ऑपरेटर को आपकी स्क्रीन और कीबोर्ड इनपुट कैप्चर करके और आपकी भौगोलिक स्थिति को ट्रैक करके आपकी जासूसी करने तक में मदद दे सकता है। ऑस्ट्रेलिया में, स्कैमवॉच को 2021 में केवल आठ हफ्तों में फ्लूबोट वायरस की 16,000 रिपोर्टें मिलीं। यह वायरस मैलवेयर के लिंक के साथ एंड्रॉयड और आईफोन उपयोगकर्ताओं को टेक्स्ट संदेश भेजता है।

लिंक पर क्लिक करने से आपके फोन पर एक संदिग्ध ऐप डाउनलोड हो सकता है, जिससे स्कैमर आपकी व्यक्तिगत जानकारी तक पहुंच सकते हैं। फ्लूबोट स्कैमर नियमित रूप से अपने लक्षित देशों को बदलते हैं। साइबर सुरक्षा फर्म बिटडेफेंडर के अनुसार, फ्लूबोट ऑपरेटरों ने इस साल 1 दिसंबर 2021 से 2 जनवरी के बीच ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी, पोलैंड, स्पेन, ऑस्ट्रिया और अन्य यूरोपीय देशों को निशाना बनाया। क्या एप्पल या एंड्रायड अधिक सुरक्षित है? जबकि एप्पल उपकरणों को आमतौर पर एंड्रायड की तुलना में अधिक सुरक्षित माना जाता है, और वायरस के हमलों की संभावना कम होती है, आईफोन का इस्तेमाल करने वाले लोग अगर अपने फोन को मोडिफाई करते हैं, तो वे सुरक्षा प्रणाली में खुद ही सेंध लगाते हैं। इसी तरह, एंड्रायड उपयोगकर्ता जो गूगल प्ले स्टोर के बाहर से ऐप्स इंस्टॉल करते हैं, उनमें मैलवेयर इंस्टॉल करने का जोखिम बढ़ जाता है। यह अनुशंसा की जाती है कि सभी फ़ोन उपयोगकर्ता सावधान रहें, क्योंकि एप्पल और एंड्रायड दोनों सुरक्षा जोखिमों के प्रति संवेदनशील हैं।

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कहते हैं कि फोन आमतौर पर पर्सनल कंप्यूटर की तुलना में वायरस से बेहतर तरीके से सुरक्षित होते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि सॉफ़्टवेयर आमतौर पर अधिकृत ऐप स्टोर के माध्यम से इंस्टॉल किया जाता है जो प्रत्येक ऐप की जांच करता है (हालांकि कुछ संदिग्ध ऐप अन्य रास्तों से भी घुस सकते हैं)। साथ ही, कंप्यूटर की तुलना में, फ़ोन अधिक सुरक्षित होते हैं क्योंकि ऐप्स के आमतौर पर अपने अलग सैंडबॉक्स होते हैं - अन्य ऐप्स तक पहुंचने या हस्तक्षेप करने में असमर्थ होते हैं। यह मैलवेयर से संक्रमण या क्रॉस संदूषण के जोखिम को कम करता है। हालांकि, कोई भी उपकरण पूरी तरह से सुरक्षित नहीं है। वायरस आने के संकेतों को पहचानें हालांकि यह बताना हमेशा आसान नहीं होता है कि आपका फ़ोन वायरस से संक्रमित है या नहीं, लेकिन यदि उसमें वायरस आ गया है तो यह कुछ असामान्य व्यवहार प्रदर्शित करेगा। देखने के लिए कुछ संकेतों में शामिल हैं: खराब प्रदर्शन, जैसे ऐप्स को खुलने में सामान्य से अधिक समय लेना, या बेतरतीब ढंग से अत्यधिक बैटरी खत्म हो जाना (बैकग्राउंड में लगातार काम करने वाले मैलवेयर के कारण) मोबाइल डेटा की खपत में वृद्धि अस्पष्ट कारणों से बिल बढ़ना (जिसमें मैलवेयर द्वारा आपके डेटा को हड़पने के परिणामस्वरूप बढ़ा हुआ डेटा उपयोग शुल्क शामिल हो सकता है) असामान्य पॉप-अप, और डिवाइस अप्रत्याशित रूप से गर्म हो रहा है। यदि आपको संदेह है कि किसी वायरस ने आपके डिवाइस को संक्रमित कर दिया है, तो आप कुछ कदम उठा सकते हैं। सबसे पहले, आगे की क्षति को रोकने के लिए आपको मैलवेयर को हटाना होगा।

यहाँ कुछ सरल समस्या निवारण चरण दिए गए हैं:अपने फोन को स्कैन करने के लिए एक विश्वसनीय एंटीवायरस ऐप का उपयोग करें। भुगतान और मुफ्त सुरक्षा सेवाओं की पेशकश करने वाले कुछ प्रतिष्ठित विक्रेताओं में अवास्ट, एवीजी, बिट्डेफेंडर, मैक्एफी औश्र नोरटोन शामिल हैं। अपने फ़ोन की मेमोरी और कैशे (एंड्रायड डिवाइस में), या ब्राउज़िंग इतिहास और वेबसाइट डेटा (एप्पल डिवाइस में) साफ़ करें। अपने आईफोन को रीस्टार्ट करें, या सुरक्षित मोड में जाने के लिए अपने एंड्रायड फ़ोन को रीस्टार्ट करें - एंड्रायड में एक विशेषता है जो तृतीय-पक्ष एप्लिकेशन को तब तक चलने से रोकता है जब तक वह सक्षम है। अपनी डाउनलोड की गई ऐप्स सूची से किसी भी संदिग्ध या अपरिचित ऐप्स को हटा दें और, यदि आप एक एंड्रॉइड उपयोगकर्ता हैं, तो ऐप्स हटा दिए जाने के बाद सुरक्षित मोड बंद कर दें। अंतिम उपाय के रूप में, आप अपने सभी डेटा का बैकअप ले सकते हैं और अपने फ़ोन पर फ़ैक्टरी रीसेट कर सकते हैं। किसी फ़ोन को उसकी मूल सेटिंग पर रीसेट करने से कोई भी मैलवेयर समाप्त हो जाएगा। अपने फोन को संक्रमण से बचाएं अब आपने अपना फ़ोन ठीक कर लिया है, इसे भविष्य के वायरस और अन्य सुरक्षा जोखिमों से सुरक्षित रखना महत्वपूर्ण है। ऊपर बताए गए मोबाइल सुरक्षा ऐप इसमें मदद करेंगे। लेकिन आप यह भी कर सकते हैं: असामान्य पॉप-अप, या असामान्य टेक्स्ट संदेशों, सोशल मीडिया पोस्ट या ईमेल में लिंक पर क्लिक करने से बचें, केवल अधिकृत ऐप स्टोर से ऐप इंस्टॉल करें, जैसे कि गूगल प्ले या ऐप्पल का ऐप स्टोर। इंस्टॉल करने से पहले ऐप अनुमतियों की जांच करें। इंस्टॉल कर रहे हैं, ताकि आपको मालूम हो कि ऐप की पहुंच कहां तक होगी(इस पर आंख मूंदकर भरोसा न करें)। आपके डेटा का नियमित रूप से बैकअप लें, और अपने फ़ोन सॉफ़्टवेयर को नवीनतम संस्करण में अपडेट रखें (जिसमें नवीनतम सुरक्षा पैच होंगे)। संदिग्ध गतिविधि के लिए अपने फोन की लगातार निगरानी करें और संदेह होने पर संदिग्ध सामग्री हटा दें।

-रितेश चुग, एसोसिएट प्रोफेसर, सीक्यूयूनीवर्सिटी,ऑस्ट्रेलिया ब्रिस्बेन

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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