चीन की सैन्य ताकत में बढ़ोतरी से टेंशन में अमेरिका, ड्रैगन से वार्ता की पहल कर सकता है बाइडेन प्रशासन

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अभिनय आकाश । Dec 3 2021 2:11PM

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार वर्तमान दौर में चीन के पास 350 परमाणु हथियार हैं। अमेरिका के डर की सबसे बड़ी वजह चीन के पास बेहतर तकनीक का होना है। इस महीने की शुरुआत में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ अपनी आभासी शिखर बैठक में स्पष्ट रूप से खुद को माओ के साथ एक युग-परिभाषित नेता के रूप में पेश करने की कोशिश की थी।

चीन अपनी फौजी ताकत में लगातार इजाफा कर रहा है। उसकी तरफ से लगातार खतरनाक हथियारों का परीक्षण किया जा रहा है। जिससे इलाके में तनाव भी बढ़ता जा रहा है। अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉयड अ़ॉस्टीन ने दक्षिण कोरियाई रक्षा मंत्री से बात करते हुए कहा कि चीनी हाइपरसोनिक हथियारों के परीक्षण से इलाके में तनाव बढ़ गया है। अमेरिका चीन की सैन्य ताकत को लेकर चिंतित है। अमेरिका अब चीन के साथ परमाणु अप्रसार संधि करने के लिए वार्ता की तैयारी में है। पेंटागन की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन 2030 तक अपने जखीरे में लगभग 1 हजार परमाणु हथियार जमा कर लेगा। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार वर्तमान दौर में चीन के पास 350 परमाणु हथियार हैं। अमेरिका के डर की सबसे बड़ी वजह चीन के पास बेहतर तकनीक का होना है। इस महीने की शुरुआत में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ अपनी आभासी शिखर बैठक में स्पष्ट रूप से खुद को माओ के साथ एक युग-परिभाषित नेता के रूप में पेश करने की कोशिश की थी। 

बाइडेन चाहते हैं स्थिति में बदलाव

अमेरिका अब चीन के साथ परमाणु क्षमता के मुद्दे पर बातचीत करने का प्रयास कर रहा है। अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि बाइडेन और उनके शीर्ष सहयोगी धीर-धीरे इस योजना पर अमल करना चाहते हैं। वे आकस्मिक टकराव से बचने के लिए वार्ता पर ध्यान केंद्रित करना चाहते हैं। शायद अब से वर्षों बाद दोनों राष्ट्र हथियारों के नियंत्रण पर चर्चा शुरू कर सकते हैं। एक संधि या कुछ राजनीतिक रूप से कम जटिल, समझौता हो सकता है। जिसके तहत व्यवहार के सामान्य नियम तय किए जाएं। बाइडेन के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जैक सुलिवान का कहना है कि बाइडेन और जिनपिंग की बैठक के बाद अब इस प्रकार की संधि की पहल के लिए अनुकूल परिस्थितियां हैं। लेकिन इसके लिए चीन की ओर से भी सकारात्मक संदेश आना चाहिए।

चीन की आधुनिक तकनीक बना खतरा

एंटी सैटेलाइट तकनीक से चीन अमेरिकी सैटेलाइट व अर्ली वार्निंग सिस्टम को पंगु बना सकता है।

रूस के समान अमेरिका के पास चीन से साथ कोई न्यूक्लियर हॉटलाइन भी नहीं है।

चीन ने हाइपरसोनिक मिसाइलों के 150 से ज्यादा टेस्ट किए, अमेरिका 9 ही कर पाया है।

चीनी हाइपरसोनिक मिसाइल में आड़ी-तिरछी उड़ान की क्षमता।

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