चीन अपनी कूटनीतिक शक्तियों से कर रहा है मानवाधिकार समूहों पर वैश्विक हमले

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[email protected] । Jan 15 2020 4:40PM

चीन अपनी आर्थिक और कूटनीतिक शक्तियों का इस्तेमाल वैश्विक मानवाधिकार संस्थाओं को खोखला करने के लिए कर रहा है।गैर सरकारी संगठन ने चीन सरकार पर आरोप लगाया कि चीन में मौजूदा समय में सर्वाधिक व्यापक और बर्बर दमन की सरकार अनदेखी कर रही है। संगठन ने रिपोर्ट में शिनजियांग प्रांत के भयावह निगरानी तंत्र का भी जिक्र किया।

न्यूयॉर्क। चीन अपनी आर्थिक और कूटनीतिक शक्तियों का इस्तेमाल वैश्विक मानवाधिकार संस्थाओं को खोखला करने के लिए कर रहा है। ऐसा मानवाधिकारों के लिए काम करने वाले एक समूह का कहना है। एक प्रमुख गैर सरकारी मानवाधिकार संगठन ‘ह्यूमन राइट्स् वॉच’ ने इस बारे में अपनी सालाना रिपोर्ट न्यूयॉर्क में जारी की। दरअसल यह रिपोर्ट संगठन के कार्यकारी निदेशक केनेथ रोथ हांगकांग में दो दिन पहले जारी करने वाले थे, लेकिन उन्हें हांगकांग में प्रवेश करने से रोक दिया गया।

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इस गैर सरकारी संगठन ने चीन सरकार पर आरोप लगाया कि चीन में मौजूदा समय में सर्वाधिक व्यापक और बर्बर दमन की सरकार अनदेखी कर रही है। संगठन ने रिपोर्ट में शिनजियांग प्रांत के भयावह निगरानी तंत्र का भी जिक्र किया। एचआरडब्ल्यू ने कहा कि जवाबदेही से बचने के लिए चीन मानवाधिकार की रक्षा के उद्देश्य से 20वीं सदी में बनी अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं को कमजोर करने के प्रयास कर रहा है। रोथ ने 652 पन्नों की रिपोर्ट में कहा कि चीन लंबे समय से घरेलू आलोचकों का दमन करता आ रहा है। अब चीन की सरकार इस सेंसरशिप को पूरी दुनिया में लागू करना चाहती है।

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इसमें यह भी कहा गया कि अगर इसे अभी चुनौती नहीं दी गई तो बीजिंग की गतिविधियों को देखते हुए कहा जा सकता है कि भविष्य में कोई चीन के सेंसर से नहीं बच सकेगा और अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार तंत्र इतना कमजोर हो जाएगा कि यह सरकारी दमन पर निगरानी का काम भी नहीं कर सकेगा। रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि चीन लगातार संयुक्त राष्ट्र के अन्य सदस्यों को चेतावनी देता है कि वह उसकी छवि की रक्षा करें और मानवाधिकार दुर्व्यवहारों को लेकर हुई बातचीत को किसी और दिशा में मोड़ दें। रिपोर्ट में यह भी आरोप लगाए गए हैं कि यह दबाव अब संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंतोनियो गुतारेस तक पहुंच चुका है और ऐसा संज्ञान में लिया गया है कि वह शिनजियांग में मुस्लिमों के हिरासत को खत्म करने के लिए सार्वजनिक स्तर पर मांग करने के इच्छुक भी नहीं दिखते हैं।

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रिपोर्ट में बताया गया है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य चीन नियमित तौर पर मानवाधिकार परिषद में नियमित तौर पर इस मुद्दे पर बातचीत की कोशिश को भी रोकता है। रोथ ने चीन को तलब नहीं करने के लिए पश्चिमी देशों की भी आलोचना की। उन्होंने कहा कि पश्चिमी देश ‘कार्रवाई करने से चूक’ रहे हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, ब्राजील के राष्ट्रपति जेयर बोलसोनारो उन्हीं अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानूनों को दबाने की कोशिश करते हैं जिसे चीन खोखला करता है। रोथ ने कहा कि यूरोपीय संघ का ध्यान ब्रेक्जिट को लेकर बंटा है और वह राष्ट्रवादी सदस्यों की वजह से असमर्थ बना हुआ है।

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