रक्षा मंत्रालयों के बीच हॉटलाइन स्थापित करने के लिए चीन कर रहा वार्ता
डोकलाम गतिरोध की पृष्ठभूमि के मद्देनजर दोनों देशों की सेनाओं सहित भारत - चीन के संबंधों के विभिन्न पहलुओं के प्रबंधन के लिए मोदी और शी की वुहान में अप्रैल में हुई अनौपचारिक बैठक में एक सहमति बनी थी।
बीजिंग। चीनी रक्षा मंत्रालय के एक शीर्ष अधिकारी ने आज कहा कि भारत और चीन 12 साल पुराने एक रक्षा समझौते को अद्यतन करने और विश्वास बहाली के उपायों के तहत दोनों रक्षा मंत्रालयों के बीच एक ‘‘हॉटलाइन’’ स्थापित करने के लिए वार्ता कर रहे हैं। रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता कर्नल वु कियान ने बताया कि पिछले सप्ताह नयी दिल्ली में चीनी रक्षा मंत्री जनरल वेई फेंग की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ हुई बैठक में दोनों देशों ने मोदी और चीन के राष्ट्रपति के बीच बनी अहम सहमति को आगे क्रियान्वित करने के तरीके पर गहन चर्चा की थी।
डोकलाम गतिरोध की पृष्ठभूमि के मद्देनजर दोनों देशों की सेनाओं सहित भारत - चीन के संबंधों के विभिन्न पहलुओं के प्रबंधन के लिए मोदी और शी की वुहान में अप्रैल में हुई अनौपचारिक बैठक में एक सहमति बनी थी। दोनों देशों की सेनाओं के बीच हॉटलाइन को विश्वास बहाली के एक बड़े उपाय के तौर पर देखा जा रहा है। यह दोनों सेनाओं के मुख्यालयों को सीमा पर गश्त के दौरान तनाव दूर करने और डोकलाम जैसे गतिरोध को टालने के लिए बातचीत में तेजी लाने में सक्षम बनाएगा।
भूटान के पास डोकलाम में दोनों देशों की सेनाओं के बीच 73 दिनों तक रहे गतिरोध के चलते तनाव अपने चरम पर पहुंच गया था। इलाके में चीन द्वारा सड़क निर्माण किए जाने को लेकर गतिरोध की स्थिति बनी थी। वु ने कहा कि दोनों देश रक्षा मंत्रालयों के बीच एक नये सहमति पत्र (एमओयू) पर काम करने के लिए मशविरा कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘2006 में भारत और चीन ने रक्षा आदान - प्रदान और सहयोग पर एक एमओयू पर हस्ताक्षर किया था। भारत ने एमओयू के एक नये प्रारूप पर हस्ताक्षर करने की अपनी इच्छा से अवगत कराया है। चीन इसके प्रति एक सकारात्मक रूख रखता है और दोनों देश एक दूसरे के संपर्क में हैं।’’
वु ने कहा कि यदि चीन और भारत के बीच संबंध सहज रहते हैं तो इसका दोनों को फायदा होगा और यह एशिया को समृद्धि की राह पर बढ़ने में मदद करेगा। यदि वे एक दूसरे से लड़ेंगे तो इससे दोनों में से किसी को फायदा नहीं होगा, बल्कि अन्य को फायदा पहुंचेगा। वु ने कहा कि वह संचार और समन्वय बढ़ाने, परस्पर लाभकारी सहयोग मजबूत करने, अपने मतभेदों को उपयुक्त रूप से दूर करने और अपने सैन्य संबंधों को स्वस्थ्य एवं क्रमिक रूप से आगे बढ़ाने के लिए मोदी और शी के बीच बनी सहमति को क्रियान्वित करने के लिए भारत के साथ मिल कर काम करने को इच्छुक हैं।
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