चीनी मीडिया ने भारत को दी परिणाम भुगतने की चेतावनी

[email protected] । Jul 25 2016 11:03AM

सरकारी दैनिक अखबार ने चेतावनी दी है कि यदि तीन चीनी पत्रकारों की वीजा अवधि बढ़ाने से इंकार का कदम एनएसजी में चीन के रुख पर भारतीय प्रतिक्रिया है तो इसके ‘‘गंभीर परिणाम’’ होंगे।

बीजिंग। भारत की ओर से चीन के तीन पत्रकारों के वीजा की अवधि बढ़ाने से इंकार किए जाने पर चीन के एक सरकारी दैनिक अखबार ने आज चेतावनी दी है कि यदि यह कदम एनएसजी में भारत की सदस्यता हासिल करने की कोशिश में चीन द्वारा उसका साथ न दिए जाने की प्रतिक्रिया है तो इस बात के ‘‘गंभीर परिणाम’’ होंगे। ‘द ग्लोबल टाइम्स’ के संपादकीय में कहा गया, ‘‘ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि चूंकि चीन ने परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) में भारत के शामिल होने का विरोध किया, इसलिए भारत अब बदला ले रहा है। यदि नयी दिल्ली वाकई एनएसजी सदस्यता के मुद्दे के चलते बदला ले रही है तो इसके गंभीर परिणाम होंगे।’’

चीन की सरकारी समाचार एजेंसी शिंहुआ के तीन चीनी पत्रकारों की भारत में रहने की अवधि बढ़ाने से इंकार कर दिया गया है। इन तीन पत्रकारों में दिल्ली स्थित ब्यूरो के प्रमुख वू कियांग और मुंबई स्थित दो संवाददाता-तांग लू और मा कियांग शामिल हैं। इन तीन पत्रकारों का वीजा की अवधि इस माह के अंत में पूरी हो रही है। इन तीनों ने ही उनके बाद इन पदों को संभालने वाले पत्रकारों के यहां पहुंचने तक के लिए वीजा अवधि में विस्तार की मांग की थी। संपादकीय में कहा गया कि भारत के इस कदम को कुछ विदेशी मीडिया संस्थानों ने एक ‘निष्कासन’ करार दिया है।

‘ग्लोबल टाइम्स’ ने संपादकीय में कहा, ‘‘वीजा की अवधि नहीं बढ़ाए जाने के लिए कोई आधिकारिक कारण नहीं दिया गया। कुछ भारतीय मीडिया संस्थानों का दावा है कि इन तीन पत्रकारों पर फर्जी नामों का इस्तेमाल कर दिल्ली एवं मुंबई के कई प्रतिबंधित विभागों में पहुंच बनाने का संदेह है। ऐसी रिपोर्ट भी है कि इन पत्रकारों ने निर्वासित तिब्बती कार्यकर्ताओं से मुलाकात की।’’ समाचार पत्र ने भारत में अपने पूर्व संवाददाता लु पेंगफेई के हवाले से कहा कि चीनी पत्रकारों को साक्षात्कार लेने के लिए फर्जी नामों का इस्तेमाल करने की ‘‘कतई आवश्यकता’’ नहीं है और संवाददाताओं के लिए दलाई लामा समूह का साक्षात्कार लेने का अनुरोध करना पूरी तरह सामान्य बात है।

‘भारत द्वारा संवाददाताओं का निष्कासन एक तुच्छ कार्य है’ शीर्षक से छपे संपादकीय में कहा गया, ‘‘इस कदम ने नकारात्मक संदेश भेजे हैं और इससे चीन एवं भारत के बीच मीडिया संवाद पर निस्संदेह नकारात्मक असर पड़ेगा।’’ इसमें दावा किया गया है कि एनएसजी में भारत की सदस्यता का विरोध करके चीन ने कुछ अनुचित नहीं किया। उसने ऐसा करके इस नियम का पालन किया कि सभी एनएसजी सदस्यों के लिए अप्रसार संधि (एनपीटी) पर हस्ताक्षर करना आवश्यक है। समाचार पत्र ने कहा, ‘‘भारत का दिमाग शंकालु है। चीनी संवाददाता भले ही लंबी अवधि के वीजा के लिए आवेदन दें या किसी अस्थायी पत्रकार वीजा के लिए आवेदन दें, उन्हें कई समस्याओं का सामना करना पड़ेगा। भारत के साथ काम करने वाले अन्य चीनी लोगों ने भी भारतीय वीजा प्राप्त करने में मुश्किलें पेश आने की शिकायतें की हैं। इसके विपरीत, भारतीयों के लिए चीनी वीजा प्राप्त करना बहुत आसान है।’’ इसमें कहा गया है, ‘‘हमें इस बार वीजा मामले पर, अपनी प्रतिक्रिया दिखाने के लिए कार्रवाई करनी चाहिए। हमें कम से कम कुछ भारतीयों को यह एहसास कराना चाहिए कि चीनी वीजा प्राप्त करना भी आसान नहीं है।’’

संपादकीय में चीन एवं भारत के बीच मित्रवत संबंध बनाए रखने की भी बात की गई है। समाचार पत्र ने कहा, ‘‘चीन और भारत के संबंध अभी सही पटरी पर हैं, सीमा पर कुल मिलाकर शांति है और व्यापार में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। अंतरराष्ट्रीय मामलों के संबंध में दोनों दूसरे पक्ष के संबंध में आम तौर पर तटस्थता बनाए हुए हैं।’’ इसमें कहा गया है, ‘‘चीन को भारत के प्रति मित्रवत रणनीति अपनाए रखनी चाहिए क्योंकि हमारा मानना है कि द्विपक्षीय मित्रता भारत के भी हित में है।’’ सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना के आधिकारिक समाचार पत्र ‘पीपल्स डेली’ ने उन मीडिया रिपोर्टों का जिक्र किया जिनमें दावा किया गया है कि तीनों पत्रकार हाल में बेंगलूर गए थे और उन्होंने निर्वासित तिब्बती कार्यकर्ताओं से मुलाकात की थी। समाचार पत्र ने लु के हवाले से कहा, ‘‘मैंने मध्यस्थों के जरिए निर्वासित तिब्बती कार्यकर्ताओं से कई बार मुलाकात की और दलाई लामा से भी बात की। यदि भारत सरकार ने यह कारण बताया है तो मुझे तो कई बार निष्कासित किया जाना चाहिए। ऐसी संभावना है कि एनएसजी की सदस्यता हासिल करने में भारत का समर्थन करने से इनकार कर देने पर यह चीन से बदला लेने के लिए उठाया गया कदम है।’’

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